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पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतो में हो रही बेतहाशा वृद्धि के विरोध में कांग्रेस द्वारा आहूत और सभी विपक्षी दलो द्वारा समर्थित भारत बंद का मियाद अब खत्म हो चुका है.बंद के एक दिन पहले ही विपक्षी दलो और सरकार चाहे वह केन्द्र की हो या राज्य की .उनकी तैयारी से यह साफ दिख रहा था कि उसने बंद समर्थको के लिये रेड कार्पेट बिछा दिया है. यानि बंद के समर्थक जितना हुड़दंग मचाना चाहे आराम से मचा सके ताकि आम जनता उनकी असली सूरत को देख सके.
हालांकि बंद का समर्थन करने वाले राजद और वामपंथी दलो के कार्यकर्ताओं ने शुरूआत में इस बार हुंडदंग करने से थोड़ा परहेज किया. लेकिन सुबह सुबह पप्पु यादव की मौजूदगी में उनके समर्थको ने राजधानी पटना में जिस तरह से हुडदंग मचाया उसने बंद समर्थको के चेहरे को कालिख पोत दी. शायद यही वजह रही कि उसके बाद राज्य के अनेक हिस्सो से बंद समर्थको द्वारा हुड़दंग की खबरे आयी. इसका प्रत्यक्ष दर्शी मैं खुद रहा हूं किस तरह एक दल के कार्यकर्ता ने राह पर चल रहे मोटरसाईकिल सवारो की चाभी गाड़ी से छीन ली और वकील और आम जनता अपनी चाभी वापस पाने के लिये गिड़गिड़ाते रहे.
हालांकि कैमरे की नजर पड़ने के बाद उन्हें चाभी वापस दी गयी लेकिन क्या आम जनता के समर्थन का दावा करने वाली पार्टियो को क्या उस जनता का समर्थन उन्हें मिल पायेगा जिसे उन्होनें प्रताड़ित किया.राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उनके नेतृत्व में यह पहला देश बंद का आह्वान था. आम जनता की ज्वलंत मुद्दो पर आहूत इस बंद को सभी विपक्षी दलो ने समर्थन भी दिया . शायद यही वजह रही कि आज के बंद को मीडिया ने भी बड़ी कवरेज दी. लेकिन बंद के नाम पर विपक्षी दलो की छवि खराब करने के दोषी पार्टियो से ये परहेज क्यो नही करते. ये क्यो नही कहते कि हमारा आपसे कोई संबंध नही है और आपका समर्थन हमे नही चाहिये.
आज हमारे साथ दिन भर रहा हमारा कैमरा मैन सुनील ने इस हुडदंग पर अपनी प्रतिक्रिया दी कि इस बंदी के बदले अगर सभी विपक्षी दलो के कार्यकर्ता देश के सभी पेट्रोल पंपो पर धरना देते तो इसका सही मैसेज नही जाता क्या. निश्चित रूप से आज के बंद से बिहार के विपक्षी दलो ने जो आम जनता के बीच मैसेज देना चाहा वह कितना पहुंच पाया यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन फिलहाल आप कह सकते है कि बंद को पप्पू की कलंक कथा ने सब कुछ मटियामेट कर दिया.