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बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष और लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने मंगलवार को फिर ट्वीट के माध्यम से अपनी बात कही है। इसबार उन्होंने अपने सजायाफ्ता पिता लालू प्रसाद यादव की सेहत को लेकर चिंता जताई है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि जिस किसी के पास परिवार होता है, वही ऐसे दर्द और तनाव को समझ सकता है, जिससे हम गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने 16 करोड़ झारखंड और बिहारवासियों की चिंताओं में ख़ुद को सम्मिलित मानते हैं। साथ ही इस तथ्य को सोचकर चिंतित हैं कि वो 72 वर्ष (लालू प्रसाद यादव के विषय में) की उम्र में किड़नी, हॉर्ट, शुगर जैसी अनेक क्रॉनिक बीमारियों से जूझते हुए कोरोना जैसी संक्रमित महामारी के लिए सबसे अधिक असुरक्षित हैं। इसलिए उन्हें अत्यधिक सुरक्षा और सावधानी चाहिए।
क्यों डरे हुए है तेजस्वी यादव
मिली जानकारी के अनुसार, लालू का इलाज कर रहे डॉक्टर उमेश प्रसाद ने खुद को क्वारंटीन करने की बात कही है। दरअसल पिछले 15 दिनों डॉ उमेश प्रसाद के वार्ड में भर्ती 78 साल के एक शख्स की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टर ने यह फैसला लिया है। इसके अलावा कुछ अन्य मेडिकल स्टाफ और मरीज को भी क्वारंटीन करने की बात सामने आई है।
नीतीश के पास सभी समस्या का एक ही समाधान- 1000 रुपये का अनुदान
जेडीयू से निष्कासित और चुनावी रणनीतिकार कहे जाने वाले प्रशांत किशोर ने एक बार फिर बिहार से बाहर फंसे छात्र-छात्राओं और मजदूरों के बहाने नीतीश कुमार पर कटाक्ष किया है। दरअसल प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा है कि देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन की वजह से फंसे बिहार के हज़ारों लोगों की दशा दयनीय बनी हुई है। लेकिन लॉकडाउन की मर्यादा में बंधे नीतीश कुमार जी के पास सबके लिए एक ही समाधान है। फंसे हुए कुछ लोगों को 1000 का अनुदान। अब इस उदारता के लिए हम सबको जीवनभर उनका आभारी होना ही चाहिए।
जेडीयू ने कहा घटिया मजाक स्वीकार्य नहीं
जनता दल यूनाईटेड (जेडीयू) के नेता और प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने प्रशांत किशोर के ट्वीट को घटिया मजाक बताया है। जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि संकट की घड़ी में जनता ऐसे घटिया मजाक पसंद नहीं करती है। राजीव रंजन प्रसाद ने यह भी कहा कि बिहार के रहने वाले प्रशांत किशोर को संकटकाल में बिहार में रहना चाहिए था। लेकिन वो इस वक्त पश्चिम बंगाल में क्या कर रहे हैं, यह सवाल लोग उनसे जरूर पूछेंगे। प्रशांत किशोर को चाहिए था कि वे ट्वीट के माध्यम से घटिया बातें करने के बजाए बिहार के लोगों की मदद करते। इसके साथ ही जेडीयू नेता ने तेजस्वी यादव को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, तेजस्वी यादव को अपने पिता की चिंता सता रही है, ये अच्छी बात है। लेकिन ट्वीट पर चिंता करने के बजाए उन्हें अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि झारखड की सरकार में तो उनकी पार्टी भी शामिल है।
लालू-राबड़ी के अनुकंपा पर राजनीति कर रहे तेजस्वी: बीजेपी
वहीं बीजेपी नेता और प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि तेजस्वी यादव का राजनीति में कोई योगदान नहीं है। वे तो लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के अनुकंपा पर राजनीति कर रहे है, बावजूद इसके वे सिर्फ अपनी परवाह करते है। क्योंकि अगर उनमें जनता की सेवा करने की थोड़ी सी भी भावना होती तो वे ट्वीटर, फेसबुक या सोशल मीडिया के जरिए सिर्फ नीतीश कुमार के नेतृत्व में चलने वाली हमारी सरकार द्वारा किए जा रहे जनहित और मदद के कार्यक्रम का विरोध नहीं करते। बल्कि वे खुद बिहार में रहकर बिहार के लोगों की सेवा करते। पटेल ने यह भी कहा कि चलिए तेजस्वी यादव ने बिहार की जनता के लिए कुछ नहीं किया, बिहार नहीं आए, दिल्ली से ही अपनी राजनीतिक रोटी सेंकते रहे। लेकिन अब तो वो अपने पिता के लिए चिंता जाहिर कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें झारखंड में अपनी सरकार की मदद से रांची पहुंच कर अपने पिता की देखभाल करनी चाहिए।
पोस्टर-बैनर लगाकर करोड़ों कमाने वाले PK गरीबों का उड़ा रहे मजाक: बीजेपी
भाजपा नेता और प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने प्रशांत किशोर पर भी जोरदार वार किया है। बीजेपी नेता ने कहा कि लोगों की चापलूसी और झूठ-सच का झांसा देकर करोड़ों कमाने वाले प्रशांत किशोर जैसे लोग चुनावी रणनीतिकार नहीं, बल्कि ऐसे लोगों को इवेंट मैनेजर कहा जाता है। प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि प्रशांत किशोर जैसे लोगों को पता ही नहीं है कि गरीबों के लिए एक हजार रुपये की कीमत क्या है, और संकट के घड़ी में हमारी सरकार द्वारा दिए जाने वाले पांच किलो चावल, रसोई गैस का गरीबों के जीवन में क्या महत्व रखता है। प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि बिहार सरकार कोरोना संक्रमण के संकटकाल में बिहार के अंदर और बिहार के बाहर फंसे बिहारियों की किस प्रकार मदद कर रही है, इसे एक बार प्रशांत किशोर जाकर देख लें। लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि वो तो सिर्फ अपने व्यापार को बढ़ाने और अपने फायदे के लिए ही हर वक्त सोचते हैं। इसलिए हर मदद के काम के लिए भी उन्हें सिर्फ पैसा ही नजर आता है।