पटना

क्या जनता के सीने पर तीर चलाना चाहता है जदयू?

Shiv Kumar Mishra
14 Aug 2020 10:09 AM IST
क्या जनता के सीने पर तीर चलाना चाहता है जदयू?
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उन्हें 2013 से 2017 के बीच खुद के बदलते राजनीतिक निर्णय के कारण पलटू राम, कुर्सी कुमार आदि व्यंगात्मक उपाधियों से नवाजा जाने लगा।

बेताब अहमद बेताब

सुशासन की सरकार नीतीश कुमार 1994 में जनता दल से अलग होकर संघर्ष के बाद केन्द्रीय मंत्री मंडल के सदस्य अथवा बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में बेहतर प्रदर्शन के बदौलत विकास व स्वच्छ राजनीति करने वाले लोग में पहचान बनाई थी, उन्हें 2013 से 2017 के बीच खुद के बदलते राजनीतिक निर्णय के कारण पलटू राम, कुर्सी कुमार आदि व्यंगात्मक उपाधियों से नवाजा जाने लगा।

चार वर्षों में दल बदल की घटनाओं और इस दौरान दल विशेष व नेता के प्रति इनके द्वारा कभी प्रशंसा तो कभी तिखी आलोचना के विडियो वायरल कर लोग इनका मजाक उड़ाने लगे। इस अवधि में नीतीश सरकार द्वारा लिए गए शराबबंदी, दहेज प्रथा, बालू नीति आदि कई निर्णय धरातल पर उतारने में न केवल विफल रहा, बल्कि ऐसे निर्णयों के आड़ में बिहार में काली कमाई का एक समानांतर अर्थव्यवस्था कायम हो गया है। और इसमें सत्ता के साथ बैठने वाले लोग भी सम्मिलित नजर आते है। सरकार के नीतिगत फैसले की विफलता से सरकार के मुखिया पर उंगली उठना लाजिमी है।

बिहार में कोरोना संक्रमण के बीच हीं चुनाव कराने के लिए जदयू इतना बेचैनी में है कि वह चुनाव के लिए सही व अनुकूल माहौल साबित करने के लिए बेतुका बयान लगातार दे रहा है। इसी तरह का आज भी एक बयान पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यगी के तरफ से आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कोरोना संक्रमण के दौरान जब श्रीलंका में चुनाव सम्पन्न हो सकता है तो फिर बिहार में क्यों नहीं?

अब आप जरा कोरोना संक्रमण के बारे में बिहार के और श्रीलंका के स्थिति पर गौर करें। बिहार की कुल आबादी करीब 13 करोड़ है। बिहार सरकार के आकड़ा के अनुसार हीं यहाँ करीब 80 हजार लोग संक्रमित हुए हैं, जिसमें 419 लोगों की मौत भी हो चुकी है। वहीं श्रीलंका की आबादी करीब 2•13 करोड़ है। जबकि आज तक वहां कुल संक्रमित व्यक्ति की संख्या मात्र 2841 है और केवल 11 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। बिहार के एक जिला पटना को हीं ले लें तो यहाँ श्रीलंका से अधिक संक्रमित तथा वहां कई गुना अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि यहाँ की आबादी श्रीलंका के 10 प्रतिशत के आसपास हीं है।

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