पटना

हजूर आते-आते बहुत देर कर दी, खैर आ ही गए है तो मेरी भी सुन लीजिये

Shiv Kumar Mishra
20 May 2020 12:18 PM IST
हजूर आते-आते बहुत देर कर दी, खैर आ ही गए है तो मेरी भी सुन लीजिये
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शायद आपको और मेरे गरीब बिहारी भाइयों के काम आ जाये

हजूर आते-आते बहुत देर कर दी। खैर आ ही गए है तो मेरी भी सुन लीजिये। शायद आपको और मेरे गरीब बिहारी भाइयों के काम आ जाये।

मुझे खुशी है कि बीते पांच दिनों से ही सही आप बिहारियों को लेकर 'वोकल' हुए हैं। ट्विटर, फेसबुक पर भी आपकी सक्रियता बढ़ी है। इससे आगे भी बनाएं रखिये। यह इसलिए जरूरी है कि अगर, आप बिहार लौट रहे करीब 28 लाख मजदूरों को रोजगार मुहैया नहीं करा पाएंगे तो हालात मौजूदा समय से भी बद से बद्दतर होते चले जाएंगे। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं और यह आप भी जानते है 1990 के दशक में बढ़ती बेरोजारी का दंश ही बिहारियों को अपहरण व्यवसाय में ढकेला था। एक बार फिर से स्थिति भयावह होने वाली है। इसलिए समय रहते वोकल बनिये और अगले छह माह का रोडमैप बनाकर अमल में लाना शुरू कीजिए। मैं यह अनुरोध फिर आप से इसलिए कर रहा हूं कि अभी सत्ता में आप हैं और अगले छह महीने बिहार के लिए बहुत ही क्रिटिकल होने वाले है।

फूड प्रोसेसिंग बन सकता है गेम चेंजर

फूड प्रोसेसिंग का सहारा लेकर बिहारी और बिहारियों की तस्वीर बदली जा सकती है। केंद्र ने भी बिहार में फूड सेसिंग कलस्टर लगाने की बात की है। इसको विस्तर आप अपने स्तर पर भी दे सकते हैं। बिहार में आप लीची, आम, केला, मकई, आलू सहित कई और कलस्टर बना सकते हैं। इसके लिए बड़ी पूंजी निवेश की जरूरत नहीं है। आपको वोकल बनना होगा। देश के तमाम बड़े शहर और विदेश तक आपको अपनी बात पहुंचानी होगी। यह कैसे होगा आप बेहतर तरीके से जानते हैं। बिहारी एनआरआई को बिहारी जो राज्य से बाहर कारोबारियों को आप इसके लिए आमंत्रित कर सकते हैं। अगर आप उनको लैंड मुहैया कराएंगे और टैक्स में रियायत देते हैं तो यकीन मानिये बड़ा निवेश आएगा जो लाखों बिहारी को नौकरी दिलाने में मदद होगा। बिहार के पास कठीन श्रम करने वाले कामगारों की कमी नहीं है। नेचुरल रिसार्स की कोई कमी नहीं है। सिर्फ आपको शुरुआत करनी है।

फूड प्रोसेसिंग पर मेरा जोर क्यों

65 लाख करोड़ रुपये का फूड प्रोसेसिंग कारोबार है अभी भारत में

10% सालाना की दर से बढ़ रहा है फूड प्रोसेसिंग का कारोबार

100% एफडीआई लोने की अनुमति है फूड प्रोसिंगस कारोबार के लिए

11% हिस्सेदारी है इस कारोबार की जॉब मार्केट में मौजूदा समय में

07वें स्थान पर बिहार है देश में अनाज के उत्पादन के मामले में

04थे स्थान पर बिहार मीट के उत्पादन में अभी देश के

38% का योगदान अभी बिहार की जीडीपी में कृषि का

इन आंकड़ों से यह समझा जा सकता है कि बिहार के पास फूड प्रोसेसिंग बिजनेस में कितना बड़ा अवसर है। इसके साथ मीट, मछली, दूध को भी आप अगले स्तर तक ले जाकर लाखों लोगों को रोजगार मुहैया करा सकते हैं। बिहार में न पानी की कमी है न ही दूध उत्पादन की कमी। फिर आंध्रा से मछली मंगाने की जरूरत क्यों। वहीं जब अमूल गुजरात से निकलकर पूरे देश में कारोबार कर सकता है तो सुधा क्यों नहीं। इसके साथ आर्गेनिक फूड की पैदाबर भी एक बड़ा विकल्प बनेगा।

एजुकेशन हब से लाखों को रोजगार

कोटा में फंसे हजारों छात्रों को लेकर जिस तरह की किरकिरी बिहार सरकार की हुई यह किसी से छिपी नहीं है। यह सिर्फ कोटा की बात नहीं है। बिहारी छात्र पूरे देश में पढ़ने जाते हैं। ये सारे प्राइवेट कॉलेज में ही दाखिला लेते हैं। ऐसे में आप बिहार में क्यों न एक एजुकेशन हब बनाने की कोशिश करते हैं जिसमें मेडिकल, इंजीनीयरिंग से लेकर आईटी की पढ़ाई हो। यह आप मुजफ्फरपुर या पटना के आसपास कर सकते हैं। अगर ऐसा करते हैं तो इसके लिए उस एरिया का इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा। बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें बनेंगी। आफिस और घर होंगे। इसके बनाने में लाखों मजदूरों को रोजगार भी मिलेगा और पढ़े लिखे को नौकरी। साथ ही बिहारी की आर्थिक मजबूती भी मिलेगी।

इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की नींव रखें

मैं पहले भी लिख चुका है और आज बस आपको रिकॉल करना चाहता हूं। एक बार इस पर सोचिए। दुनियाभर की कंपनियां कोरोना के बाद चीन से निकलने की तैयारी कर रही है। वह ही राज्य इसका फायदा उठा पाएंगे जो अभी से तैयारी कर रहे हैं। आपके पड़ोसी राज्य यूपी ने इसकी तैयारी शुरू कर दी। आप भी इस पर सोचिए और कम से कम दो इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की घोषणा कीजिये। यकीनन मानिये ये करोड़ों बिहारों को गुरबत की जिंदगी को बदलने का काम करेगा। आज जिस शहर को उसने पूरी जवानी दी और उसे 50 दिन का खाना उस शहर ने नहीं दिया। ऐसे में आप ऐसा कुछ करें कि उसे फिर से लौटना न पड़े।

मनरेगा और इंफ्रा का कॉकटेल तैयार करें

अभी तक मैं जो देखा हूं कि मनरेगा मजदूरी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल दिखाबे के लिए होता है। दिखाबे से मेरा मतलब है कि मुखिया मजदूरों को वैसे काम करता है जिसका फायदा दूरगामी नहीं होता है। इसके पीछे उसकी कमाई भी छिपी होती है। अगर आप इसको प्लानिंग से करेंगे तो राज्य की इंफ्रास्ट्रक्चर भी बेहतर बनेगी और मजदूरों को अधिक काम भी। इससे विकास का पहिया धूमाने में मदद मिलेगी।

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