पटना

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, भागलपुर के पी जी डाक्टरों और इंटर्न की व्यथा सुन लें, आपके हस्तक्षेप की ज़रूरत है

रवीश कुमार
25 April 2020 4:18 PM IST
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, भागलपुर के पी जी डाक्टरों और इंटर्न की व्यथा सुन लें, आपके हस्तक्षेप की ज़रूरत है
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जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल भागलपुर के प्रथम वर्ष से लेकर पोस्ट ग्रेजुएट के छात्र और इंटर्न तक परेशान हैं। स्थानीय अख़बारों में संक्षिप्त रूप से इस संबंध ख़बरें छप रही हैं लेकिन आज कई जगहों से फोन आने लगे। माता-पिता से लेकर दोस्तों तक के कि वहां पढ़ने वाले मेडिकल छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

इस अस्पताल के एक पी जी इंटर्न का कोविड-19 पोज़िटिव आया है। यह डॉक्टर कोविड वार्ड में 8 बजे सुबह से लेकर 2 बजे दोपहर तक ड्यूटी के बाद बिना विश्राम के इमरेंसी वार्ड में ड्यूटी कर रहा था। जिस दिन सैंपल लिया गया उस दिन भी ड्यूटी करता रहा। कोविड-19 वार्ड में देह से दूरी और सावधानियां तो बरती जाती हैं लेकिन जब वही डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड में जाता है तो सारे नियम टूट जाते हैं। वहां आने वाले मरीज़ का पता नहीं होता कि वह कोविड है या नहीं। साथ ही डाक्टर और उनके इंटर्न व अन्य स्वास्थ्यकर्मी एक दूसरे के संपर्क में आते हैं। ज़ाहिर है संक्रमण की आशंका सबको हो सकती है।

इस अस्पताल के कैंपस में पी जी इंटर्न पुरुषों का अलग से हॉस्टल है जहां कोविड-19 से संक्रमित डॉक्टर भी रहते हैं। उस हास्टल में रहने वाले छात्रों को क्वारिंटिन उसी जगह में किया गया है। यहां पर चार फ्लोर हैं। हर फ्लोर पर 13-14 कमरे हैं लेकिन वॉश रूम कॉमन है। साफ सफाई पहले जैसी नहीं है। तो फिर क्वारिंटिन का क्या मतलब। काफी ख़राब खाना दिया जा रहा है।

इसमें महिला डॉक्टर की अलग समस्या है। महिला इंटर्न भी पी जी डाक्टर के साथ काम करती है। एक हॉस्टल में रहती हैं। क़ायदे से सभी उनका भी सैंपल लिया जाना चाहिए लेकिन नहीं लिया गया है। केवल महिला पी जी डाक्टर का सैंपल लिया गया । इंटर्न और पी जी डाक्टर दोनों एक ही फ्लोर पर रह रहे हैं। क्या पैसे के कारण सबका सैंपल नहीं लिया गया?

हैरान करने वाली बात ये है कि जिस डाक्टर को संक्रमण हुआ है उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है लेकिन 17 घंटे तक कोई उसे देखने तक नहीं गया। यह ख़बर स्थानीय अख़बारों में छपी है। डॉक्टर होते हुए भी उसकी शुरूआती जांच नहीं की गई। अगर यह सही है तो मुख्यमंत्री को सामान्य से अधिक कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। यह तो अपने ही डॉक्टर छात्र की ज़िंदगी ख़तरने में डालने जैसी है।

इस मंगलवार को जब उक्त डॉक्टर का संक्रमण पोज़िटिव आया तो बाकी डाक्टरों को अस्पताल के प्रमुख के घर जाकर मांग करनी पड़ी कि सभी का सैंपल लिया जाए। क्योंकि पहले सभी का सैंपल नहीं लिया जा रहा था। तब घर पर दंगा निरोधक गाड़ी और पुलिस बुला ली गई। 23अप्रैल को इन सभी के सैंपल लिए गए लेकिन 25 अप्रैल के दोपहर 3 बजे तक सैंपल का नतीजा नहीं आया है। तब तक डाक्टर सामान्य ड्यूटी कर रहे हैं। उन्हें क्वारिंटिन नहीं किया गया है।

भागलपुर के मेडिकल छात्रों की जांच रिपोर्ट अगर दो दिनों में नहीं आ पा रही है तो बिहार सरकार को अपनी स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा ईमानदारी से करनी चाहिए।

यह पता चल रहा है कि कोविड-19 वार्ड पीजी इंटर्न और डाक्टरों के सहारे चल रहा है। उनकी मजबूरी का फायदा उठा कर सीनियर डाक्टर नहीं जाते हैं। अगर यह सही है तो शर्मनाक है। सीनियर को फ्रंट से लीड करना चाहिए। आई सी एम आर इसकी गंभीरता से जांच करे। कोविड-19 वार्ड में सी सी टी वी लगा दे। होगा भी। पता करे कि पी जी इंटर्न के अलावा सीनियर डाक्टर ड्यूटी पर जाते हैं या नहीं।

जांच का विषय यह भी है कि क्या कोविड-19 वार्ड में ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों को उसके बाद इमरजेंसी वार्ड में तैनात किया जाता है? सूत्रों की मानें तो यही हो रहा है अब अगर यह सही है तो भारतीय चिकित्सा शोध परिषद के दिशानिर्देशों का सरासर उल्लंघन है। ICMR को भी देखना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है और कार्रवाई करनी चाहिए। यह तो इमरजेंसी वार्ड के मरीज़ों के साथ भी खिलवाड़ है। नियम तो यह है कि जो अस्पताल कोविड-19 के लिए चिन्हित किया गया है वहां इमरजेंसी वार्ड न चले। लेकिन यहां तो मरीज़ से डाक्टर को और डाक्टर को मरीज़ से कम संक्रमण हो जाए किसी को नहीं पता।

डॉक्टरों की शिकायत पी पी ई किट को लेकर भी है। उनका कहना है जो किट एम्स के डाक्टरों को दिए गए हैं उनके पास नहीं है। पहले तो वो भी नहीं दिया गया था। N-95 मास्क नहीं दिया गया। सर्जिकल मास्क से काम चलाना पड़ा। पहले एक आदेश भी आया गया था कि डॉक्टर बिना किट्स के ही मरीज़ों को देखें।

मुझे लगता है कि इस अस्पताल और मेडिकल कालेज के छात्रों की काउंसलिंग बहुत ज़रूरी है। उनके मां बाप के भी होश उड़े हुए हैं। कई लोगों के फोन आए ही जा रहे हैं। कोई सुन नहीं रहा है। हम डाक्टरों को उनका करियर बर्बाद करने के नाम पर डरा नहीं सकते हैं।

इनकी बात सही लगती है कि एक डाक्टर को हुआ है तो उनके संपर्क में आए स्वास्थ्यकर्मी और सहयोगियों को क्वारिंटिन किया जाए। तीसरा हास्टल में रहने को कहा गया है। मेस बंद कर दिया है। बहुत ही खराब स्तर का खाना इन्हें दिया जा रहा है। भागलपुर शहर के प्रभावी लोगों को देखना चाहिए कि उनके शहर के डाक्टरों को कोई असुविधा न हो और उनकी ज़िंदगी ख़तरे में न डाली जाए। बहुत आराम से भागलपुर में डाक्टरों को होटल में रखा जा सकता है जहां खाने पीने की दिक्कत न हो।

मैं लिखने बोलने के अलावा क्या कर सकता हूं। लेकिन जितने लोगों से बात की है लगा कि वे काफी चिन्तित हैं। माननीय मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और ट्विटर पर अच्छा कार्य कर रहे स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार जी इन शिकायतों पर तुरंत ध्यान दें। सिर्फ मेडिकल सर्जन की न सुनें। डाक्टरों की भी सुनें। खासकर पी जी डाक्टरों और इंटर्न की। यह ऐसी समस्या नहीं है जिसके समाधान का रास्ता मैं बताऊं। ये सिस्टम एक दो लोगों की लापरवाही से हो रहा है।

नोट- तस्वीर में आप देख सकते हैं कि जब पी जी लेवल के डॉक्टर जो कि संख्या में 40-50 ही हैं। सैंपल टेस्ट की मांग के लिए मेडिकल सर्जन के घर गए तो दंगा निरोधक गाड़ी और पुलिस बुलाई गई है। अब इन बातों को लेकर IMA क्या कर रहा है?

रवीश कुमार

रवीश कुमार

रविश कुमार :पांच दिसम्बर 1974 को जन्में एक भारतीय टीवी एंकर,लेखक और पत्रकार है.जो भारतीय राजनीति और समाज से संबंधित विषयों को व्याप्ति किया है। उन्होंने एनडीटीवी इंडिया पर वरिष्ठ कार्यकारी संपादक है, हिंदी समाचार चैनल एनडीटीवी समाचार नेटवर्क और होस्ट्स के चैनल के प्रमुख कार्य दिवस सहित कार्यक्रमों की एक संख्या के प्राइम टाइम शो,हम लोग और रविश की रिपोर्ट को देखते है. २०१४ लोकसभा चुनाव के दौरान, उन्होंने राय और उप-शहरी और ग्रामीण जीवन के पहलुओं जो टेलीविजन-आधारित नेटवर्क खबर में ज्यादा ध्यान प्राप्त नहीं करते हैं पर प्रकाश डाला जमीन पर लोगों की जरूरतों के बारे में कई उत्तर भारतीय राज्यों में व्यापक क्षेत्र साक्षात्कार किया था।वह बिहार के पूर्व चंपारन जिले के मोतीहारी में हुआ। वह लोयोला हाई स्कूल, पटना, पर अध्ययन किया और पर बाद में उन्होंने अपने उच्च अध्ययन के लिए करने के लिए दिल्ली ले जाया गया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की और भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया।

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