पटना

बदला रहेगा नजारा चुनाव का, सौ सीटों पर त्रिकोणीय तो सौ सीटों पर मोदी है बहुत कमजोर

Special Coverage News
12 March 2019 10:41 PM IST
बदला रहेगा नजारा चुनाव का, सौ सीटों पर त्रिकोणीय तो सौ सीटों पर मोदी है बहुत कमजोर
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लोकतंत्र के महापर्व की घोषणा हो चुकी है. इस चुनावी महाभारत के लिये कुरूक्षेत्र का मैदान भी सज चुका है और एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी सेना के साथ चुनाव मैदान में है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी विपक्षी सेना के साथ मोदी के आमने सामने है.


बीजू जनता दल,टी आर एस जैसे अनेक दल है तो अपनी लडाई खुद लड़ने के लिये तैयार है तोअखिलेश और मायावती की सेना भी एनडीए से भिड़ने को तैयार है लेकिन राहुल से अलग रहकर . यानि देखने में मोदी के खिलाफ विपक्ष की एक जुटता कमजोर दिखती है जिस वजह से सौ से अधिक सीटों पर त्रिकोणीय चुनाव की संभावना ज्यादा दिख रही है.और मोदी का पक्ष मजबूत दिख रहा है. लेकिन दक्षिण की सौ से अधिक सीटे ऐसी है जहा मोदी कमजोर दिख रहे.


ऐसे में राजनीतिक विशलेषक कुछ भी भविष्यवाणी करने से परहेज कर रहे. बिहार में तो नजारा बिल्कुल बदला सा है. 2014 में मोदी के साथ जीने मरने की कसमें खाने वाली रालोसपा इस बार राहुल की सेना के साथ है ते लाल झंडे के साथ बीजेपी के कमल को मुरझाने में लगी जद यू की तीर अब मोदी के साथ है. वही सी पी आई भाकपा माले और सी पी एम के अलावे मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी तो राहुल सेना के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में लगे ही है कभी जद यू के सर्वेसर्वा रहे शरद यादव खुद एक सीट के लिये बार - बार लालू दरवार में हाजिरी लगा रहे.


बीजेपी सांसद कीर्ति आजाद , शत्रुध्न सिंहा अब बीजे पी के शत्रु बन उसके ही उम्मीदवार को धूल चटायेगें.वही रामा सिंह और महबूब अली कैसर मिलकर लोजपा के बंगले को ही धाराशायी करने की जुगत करेगें.. यानि नेताओ का चेहरा भले ही देखने में ना बदला हो लेकिन उनका चाल चुरित्र और भाषा बदला रहेगा.. कल तक जिसकी तारीफ के पुल बांधने वाले नेता अब उनके खिलाफ विष वमन करेगें और जनता उनके भाषणो पर ताली पीटेगें.


राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत अभी अनिश्चित है और अगर जमानत नही मिल पायेगी तो लगभग दो दशक के बाद पहला मौका होगा जब लालू का चुनावी भाषण सुनने से जनता वंचित रह जायेगी.बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र पर पूरे देश की नजर होगी जहां कन्हैया के खिलाफ तथाकथित राष्ट्रभक्त होली का जोगीरा चैत में गा रहे होेंगे. यानि सब कुछ बदला हो गा नेता बदलेगें और उनका सुर बदलेगा देखना है कि जनता भी बदलेगी क्या. फिलहाल इस लोकतंत्र के महाभारत का आंखो से दर्शन कीजिये.

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