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DGP की कार्रवाई को इंस्पेक्टर ने बताया 'चीरहरण', Facebook पर लिखा इमोशनल पोस्ट
बिहार पुलिस इन दिनों अपराधियों (Criminals) के साथ-साथ अपने मुलाजिमों (Employees) से भी जंग लड़ रही है. सरकार की गाईड लाईऩ औऱ विभाग को बेहतर औऱ दागरहित बनाने का हवाला देकर राज्य (State) के 400 थानेदारों (SHO) और अफसरों (Officers) को दागदार या निकम्मा करार देकर पुलिस मुख्यालय (Police Head Quarter) ने हटा दिया. इसके बाद जो हालात पैदा हुए हैं वो किसी विद्रोह का संकेत दे रहे हैं.
पहली बार हुई है ऐसी कार्रवाई
कहा जा रहा है कि बिहार पुलिस के इतिहास में ये पहली बार हुआ है जब इतने बड़े पैमाने पर अधिकारियों को किसी कार्रवाई का शिकार होना पड़ा है. पुलिस विभाग के मुखिया का कहना है कि सरकार द्वारा महकमे को सुधारने की कवायद में ये कार्य किया गया है लेकिन इस कार्रवाई ने विद्रोह के साथ-साथ असंतोष के स्वर मुखर हो गए हैं. पुलिस मुख्यालय के फैसले के खिलाफ बिहार पुलिस एसोसियेशन ने बिगूल फूंक दिया है. पुलिस मुख्यालय के फैसले को मनमाना करार देते हुए एसोसिएशन ने इस फैसले पर पुनर्विचार करने और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है.
सोशल मीडिया में भी दिख रहा गुस्सा
विभाग की इस कार्रवाई की चर्चा सोशल मीडिया में भी हो रही है और कई अधिकारी खुलकर इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं. अपने दोस्तों के साथ-साथ 94 बैच के अधिकारियों पर हुई कार्रवाई के बाद बिहार पुलिस के तेज-तर्रार इंसपेक्टर माने जाने वाले धर्मेंद्र कुमार ने भी फेसबुक पर पोस्ट लिखा है. इस पोस्ट के माध्यम से उन्होंने अपने बैच और एक पुलिसवाले की ड्यूटी का जिक्र किया है तो कार्रवाई पर सवाल भी खड़े किए हैं.
इंस्पेक्टर ने लिखा
धर्मेंद्र कुमार ने लिखा है... बिहार पुलिस का रीढ़ थानाध्यक्षों का आज चीरहरण हो रहा है।जिन थानाध्यक्षों को विभाग, मीडिया,सोशल मीडिया आज दागी दागी संबोधित कर रहे हैं उनके अतीत को झांकने की भी जरूरत है।जिन लोगों ने अपने जीवन के २५साल जनता की सेवा में गुजार दिए , ना होली मनायी ना दिवाली,ना बच्चों का जन्मदिन मनाया ना अपना शादी की साल गिरह। अपने भाई बहनों की शादी को छोड़कर समाज के किसी भी शादी में ना ही शरीक हुआ और ना ही किसी अंत्येष्टि में।हाँ वे अवश्य शामिल हुए अपने शहीद दोस्तों के जनाजे में। अपने जीवन का स्वर्णिम जवानी का २५साल गुजार दिए आम जनता की सेवा में,वरीय पदाधिकारियों के वैध अवैध आदेश के अनुपालन में।गुजारते भी क्यों नहीं वे तो पासिंग आउट परेड में ही वरीय पदाधिकारियों के आदेश का पालन करने का शपथ लेकर आये थे।फिर वैध और अवैध क्या? हर एक पदाधिकारी अपना आदेश का पालन करवाये।जो दूसरे को बुरा लगा दे दिए एक दाग।इनमें कितने ही ऐसे भी जख्मीं हैं जो उनसे ऊपर के पदाघिकारी के विश्वास पर खरा नहीं उतरने के कारण टारगेटेड दागदार हुए। कुछ आम जनता के अनुकूल कार्य नहीं करने के कारण आरोप लगाने के कारण दागी हुएतो कुछ मीडिया को संतुष्ट नहीं कर पाने के कारण।कुछ कार्य की अधिकता में तो कुछ अपेक्षा पर खरा नहीं उतर पाने के कारण।कर्मठ और तेज लोग सामनेवाले से भी वही अपेक्षा रखते हैं। वे भूल जाते हैं कि आपकी तरह सामने कनीय पदाधिकारी भी कर्मठ,लगनशील और तेज होते तो वे आपके कनीय नहीं समकक्ष होते। थानाध्यक्ष सरकार और विभाग की हर कसौटी पर खरे उतरे।आपने नीति बनायी इन्होंने पालन किया।आपकी हर सफलता इन्हीं की देन है।जिस 94 बैच को आज दागदार बताया जा रहा है पूरा सुशासन उनके कठिन परिश्रम का प्रतिफल है।आपने नीति बनायी,निर्देश दिया और पी सी किया। आज उम्र के इस पडाव पर जब उनके बच्चे सयाने हो चले हैं,उनकी प्रतिष्ठा से मत खेलें।थानेदार बनते नहीं बनाये जाते हैं।थानेदार बनाने में वरीय प्रभावित होते हैं तो यह उनका दोष है।