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कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन और सीसीएचटी ने भारत को 2022 तक रेपमुक्त बनाने का चलाया अभियान
पटना। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित 'कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन' (केएससीएफ) और क्लेक्टिव कोलेशन अगेंस्ट ह्यूमन ट्रैफिकिंग (सीसीएचटी) दोनों ने सामूहिक रूप से भारत को 2022 तक रेपमुक्त बनाने के लिए एक अभियान की शुरुआत की हैं। इस अभियान का आगाज पटना के बिहार वोलेंटैरी हेल्थ एसोसिएशन में शनिवार को एक जन संवाद के साथ किया गया। अभियान को देश के 19 राज्यों में चलाया जाएगा।
देश में बलात्कार की घटनाएं जिस तेजी से बढ़ रही हैं, वह राष्ट्रीय आपातकाल का संकेत देती हैं। मजबूत कानून के बावजूद हमारे बच्चे और महिलाएं भय के वातावरण में जीने को अभिशप्त हैं। दिन प्रतिदिन बलात्कार की बढ़ती घटनाओं को रोकने में हम इसलिए कामयाब नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि हमारे यहां राजनीतिक इच्छाशक्ति, जवाबदेही और सामाजिक जिम्मेदारी का अभाव है। लेकिन हमारे वोट में वह शक्ति है, जिसके जरिए हम अपने उम्मीदवारों से यह मांग कर सकते हैं कि अगर आपको हमारा वोट चाहिए, तो सबसे पहले नए भारत के निर्माण के लिए आपको रेपमुक्त भारत के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करनी होगी।
रेपमुक्त भारत बनाने अभियान के बाबत केएससीएफ के निर्देशक श्री ओमप्रकाश ने कहा, ''महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के मुद्दे से आज देश को दो-चार होना पड़ रहा है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, हमारे देश में हरेक 15 मिनट पर एक बच्चे का यौन शोषण और रोजाना 106 बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। इसलिए स्थिति बहुत विकट है और इसको बदलने की जरूरत है। इसी सिलसिले में हमारा यह 'रेपमुक्त भारत' अभियान है।''
इस अभियान की मुख्य मांगें इस तरह हैं-रेपमुक्त भारत बनाने को सुनिश्चित करने के लिए एक बजटीय राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार किया जाए, केंद्रीय बजट में बाल संरक्षण के लिए 10 प्रतिशत राशि का आवंटन किया जाए और यौन अपराधों के आरोपियों को पार्टी से तत्काल निलंबित किया जाए। दोषमुक्त साबित होने तक ऐसे किसी भी व्यक्ति या उसके समर्थकों को चुनावी उम्मीदवार न बनाया जाए।
"सीसीएचटी के वाईके गौतम का मानना है कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि बलात्कार के मुद्दे को कभी भी देश के राजनीतिक हलकों में प्रमुखता से नहीं उठाया गया है। इसलिए हमारा मानना है कि हमारा देश तब तक नहीं बदलेगा, जब तक कि बलात्कार को एक राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया जाता।
केएससीएफ और सीसीएचटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में राजनेताओं, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े बुद्धिजीवियों और जीवन के अन्य क्षेत्रों के गणमान्य लोगों की भारी संख्या में भागीदारी देखी गई।
बिहार भारत की सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में एक है। बिहार में अकेले बच्चों की आबादी संपूर्ण राज्य की जनसंख्या का 46 प्रतिशत (4.8 करोड़) है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार बिहार में पिछले पांच सालों (2012-16) में बच्चों के खिलाफ अपराधों में 36 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) के तहत 2016 में बच्चों के खिलाफ अपराधों के 3,932 मामले दर्ज किए गए थे। लेकिन 2016 में देशभर में बच्चों के खिलाफ सभी रजिस्टर्ड अपराधों में से लगभग चार प्रतिशत अकेले बिहार से थे। देश में 2016 में दर्ज बच्चों के खिलाफ अपराध की कुल घटनाओं के प्रतिशत की हिस्सेदारी के मामले में राज्य नौवें स्थान पर है।