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लालूप्रसाद यादव ने जन्मदिन पर मिली बधाइयों का यूँ दिया उत्तर, लिखा ये भावुक संदेश
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव का 11 जून को जन्मदिन था. उनका जन्मदिन रांची के जेल में मना. देश के सभी राजनेताओं ने उन्हें बधाई दी. उसके बाद लालू ने सभी को जन्मदिन की बधाई का यूँ जबाब दिया. उन्होंने अब संदेश दिया है.
प्यारे देशवासियों,
जन्मदिन पर आपकी ढेर सारी बधाई पाकर अभिभूत हूँ। वर्तमान परिस्थिति में आपकी एक-एक बधाई मुझे संघर्षों का सम्बल, आशाओं का स्रोत, अन्याय का दमन और बदलाव की किरण दिखाई देती है। उम्र का ये भी पड़ाव है, शायद तबीयत उतना साथ नहीं दे रही, लेकिन हौसला तो अभी भी उतना ही है, अन्याय को मिटाने का जूनून रत्ती भर भी कम नहीं हुआ। लालू में आज भी वही ऊर्जा है जिसे लिए मैं फुलवरिया के अपने गॉंव से पटना चला था, ऊंच-नीच का भाव मिटाने की ऊर्जा, सामंती और तानशाही सत्ता को हटाने की ऊर्जा, गरीब-गुरबों के हक़ की आवाज़ उठाने की ऊर्जा। मेरे बिहारवासियों ये मेरे प्रति आपका स्नेह और विश्वास ही है कि ये ऊर्जा आज भी रत्ती भर कम नहीं हुई।
आज बिहार के जो हालात हैं उस से मन गमगीन है, राजनीति मन से कोसों दूर है और बिहारी भाई-बहनों का दर्द मन में कहीं गहरे से बैठा है। क्या शब्द दूँ उस पीड़ को जो अपने बिहार से दूर अस्पताल के इस कमरे के भीतर मेरे मन में उठ रही है। बिहार में होता तो जतन में रत्ती भर कोताही ना करता, अब तेजस्वी और अपनी पार्टी के कन्धों पर ये जिम्मेदारी दी हैं। सत्ता ने जब-जब निराश किया। तेजस्वी और पार्टी ने मन को राहत दी और महसूस कराया कि भले ही कुर्सी पर बैठे लोग बेपरवाह हैं लेकिन मेरे राजद परिवार, मेरे बिहार के लोग संकट की इस घड़ी में एक दूसरे का बखूबी साथ दे रहें हैं।
जीवन भर विरोधी ये कहते रहे कि लालू हंसी-मजाक करता है, संजीदा नहीं होता। मेरे बिहारवासियों मैं आज ये आपसे कहना चाहता हूँ कि मैं जीवन भर अपने दिमाग से हर वो प्रयत्न संजीदा होकर करता रहा जो मेरे गरीब, दलित, शोषित, वंचित और पिछड़े भाइयों का हक़ दिलाएं उनके जीवन को ऊपर उठाएं, और दिल से मेरी यही कोशिश रही कि मेरे बिहारवासी हमेशा हँसते रहें, मुस्कुराते रहें। मेरी एक बात सुनकर जब सामने खड़े लाखों लोग हंस देते हैं तो विरोधियों के सारे आरोप और तमगे मुझे बेमानी लगने लगते हैं।
लेकिन आज मेरे यही बिहारवासी सदमे में है, दुःख में हैं , सुविधाओं के अभाव में जी रहें है, सड़कों पर पैदल चल रहें हैं , भूख से मर रहें हैं तो मेरा मन अथाह पीड़ा का अनुभव कर रहा है। जब कहीं से सुनता हूँ रोते हुए मजदूरों की व्यथा, महसूस करता हूँ उनकी आँखों के आंसू तो लगता है कि अपने अंदाज़ में कंधे पर हाथ मारूं और कहूं "काहे फ़िक्र करता है, हम है न साथ में", लेकिन हालात से मजबूर हूँ, साजिश की बेड़ियों में जकड़ा हुआ हूँ। मुझे अफ़सोस होता है उनपर जो आजाद हैं, सत्ता में बैठ कर भी लाचार हैं। उन्हें कैसे नींद आ रही होगी, कैसे खाना खाया जाता होगा।
तेजस्वी से मैंने कहा कि तुम्हारी कच्ची उम्र में तुमने जो किया मुझे गर्व है तुमपर, पर तुम्हे तनिक भी रुकना नहीं हैं, तुम्हे अपनी ऊर्जा के साथ-साथ लालू की ऊर्जा से भी काम करना है, दोगुना करना है हर कार्य, जनसेवा का वचन यूँ ही निभाते रहना है, दुःखी चेहरों पर मुस्कुराहट सजाते रहना है। यही मेरे जन्मदिन का सबसे बड़ा उपहार होगा।
जनसेवा ही मेरा जन्मदिन है, जनसेवा ही उपहार है
मैं कहीं किसी हालात मैं रहूं, मन में हमेशा बिहार है।
मुझे बताया गया कि कल देशभर के करोड़ों न्यायपसंद प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर ख़ूब प्यार बरसाया। मैं सबों को हाथ जोड़कर प्रणाम और धन्यवाद करता हूँ। राजद कार्यकर्ताओं ने 5 लाख से अधिक ग़रीबों को भोजन कराया। उनका भी शुक्रगुज़ार हूँ। मैं एक बार फिर से आप सभी की करोड़ो शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद देता हूँ और दुआ करता हूँ कि बिहार पर बीमारी का ये संकट जल्द से जल्द ख़त्म हो जाए, मेरा बिहार जल्द से जल्द मुस्कुराए।
आपका विश्वासी,
लालू प्रसाद