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लालू यादव ने लिखी बड़ी बात, लिखा- मुस्लिम तो बहाना है, ये हैं असल निशाना
पटना. NPR और नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के बीच बिहार की सियासत में जातिगत जनगणना (Caste Based Census) का राग फिर से छिड़ गया है. जेडीयू नेता श्याम रज़क ने बात करते हुए जातिगत जनगणना की मांग की है. इसे लेकर अभी राजनीति गर्म थी ही कि लालू यादव ने अपने फ़ेसबुक पेज पर जातिगत जनगणना की मांग उठाकर सियासत को और हवा दे दी. लालू यादव के अपने फ़ेसबुक पेज पर जातिगत जनगणना को लेकर टिप्पणी की है.
लालू ने लिखा
कथित NPR, NRC और वर्ष 2021 की भारतीय जनगणना पर लाखों करोड़ खर्च होंगे. सुना है NPR में अनेकों अलग-अलग कॉलम जोड़ रहे हैं, लेकिन इसमें जातिगत जनगणना का एक कॉलम और जोड़ने में क्या दिक्कत है?
क्या 5000 से अधिक जातियों वाले 60% अनगिनत पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदू नहीं है जो आप उनकी गणना नहीं चाहते? अगर पिछड़ों-अतिपिछड़ों की जातीय जनगणना नहीं होगी तो उन वर्गों के शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक उत्थान एवं कल्याण के लिए योजनाएँ कैसे बनेगी? बजट का प्रावधान कैसे होगा?
आप जनगणना में कुत्ता-बिल्ली, हाथी-घोड़ा, सुअर-चीता सब गिनते है। सभी धर्मों के लोगों को गिनते है लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदुओं को नहीं गिनते? क्यों? क्योंकि पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदू संख्याबल में सबसे ज़्यादा है। उन्हें डर है कि अगर पिछड़े हिंदुओं की आबादी के सही आँकड़े आ गए तो लोग उन आँकड़ों के आधार पर जागरुक होकर अपना हक़ माँगने लगेंगे। बहुसंख्यक हिंदुओं को पता लग जाएगा कि आरएसएस का नागपुरिया गैंग उन बहुसंख्यक हिंदुओं के सभी हक़-अधिकारों का हनन कर हिंदुओं का सारा हिस्सा खा रहा है।
साथियों, मुस्लिम तो बहाना है, दलित-पिछड़ा असल निशाना है। हमने तत्कालीन मनमोहन सरकार से 2010 में जातीय जनगणना को स्वीकृति दिलवाई थी लेकिन उसपर हज़ारों करोड़ खर्च करने के बाद वर्तमान सरकार ने वो सारे आँकड़े छुपा लिए और उन्हें कभी सार्वजनिक नहीं किया। हमारी पार्टी सड़क से संसद तक यह लड़ाई लड़ती रहेगी।