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यूपी में मायावती के ऐलान से बीजेपी का हुआ बड़ा नुकसान, देखते ही देखते बीजेपी कई सीटों पर जायेगी हार!
उत्तर प्रदेश में बसपा राजनीत की धुरी मानी जाती थी. धीरे धीरे समय में परिवर्तन आया बसपा कमजोर हुई और जब जब बसपा कमजोर हुई तब तब बीजेपी एन उसको सपोर्ट किया और उसका नतीजा बीजेपी भी यूपी में डूब गई. वहीं प्रयोग एक बार फिर से बीजेपी ने अपनाया. यहाँ आपको एक और बात बता दें कि जब मध्यप्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव हो रहे थे तब कांग्रेस और बसपा का गठबंधन हो चुका था केवल उसको अंतिम रूप दिया जाना था. उसी समय यकायक नोएडा में आनंद के घर पर सीबीआई के रेड पड़ी थी और दूसरे दिन बसपा ने कांग्रेस से अपना दामन छुड़ा लिया था.
क्योंकि बसपा कांग्रेस के साथ साथ मिलकर चुनाव लड़ने से बीजेपी एमपी में सिर्फ पचास सीटों के भीतर सिमट रही थी. उससे घबराकर बसपा के उस जोड़ तोड़ को अलग किया गया तभी से बसपा का झुकाव बीजेपी की और हो गया. एमपी में भी यही हुआ समर्थन दिया लेकिन एन मौके पर कई बदलाब आये अभी राजस्थान में उठापठक के दौरान बसपा अपने विधायकों कोलेकर कोर्ट तक गई.
अब यूपी उनके यह कहने भर से तेजस्वी यादव के एलाइंस की दस सीटें और बढ़ गई जबकि उपेंद्र कुशवाहा का भी नुक्सान हो गया. क्योंकि सभी समझदार मुस्लिम ओवेसी को बीजेपी का एजेंट मानकर चल रहे है. इसलिए ओवेसी और अब मायावती के ये कहने से कि हम बीजेपी के साथचले जायेंगे सब पोल खुलती नजर आ रही है. इससे बिहार में इनके गठजोड़ की हवा निकल गई.
बात यूपी के करें तो तो जब जब बसपा ने सपा से नजदीकी बढाई तब तब उसका बड़ा नुकसान हुआ है. उससे घबराकर हमेशा बसपा उल्टा करती रही है. अब चूँकि बसपा अपना मुस्लिम प्रेम भी नहीं दिखा सकती है जबकि दलित वोट उससे छिटककर दूर जाता नजर आ रहा है. अभी उप चुनाव में जिस तरह से चंद्रशेखर की रैली में भीड़ उमड़ी है उससे बसपा सुप्रीमों की बैचैनी काफी बड़ी हुई है.
मायावती ने अपनी पार्टी के सात विधायक सस्पेंड किये है. अब उनके पास सिर्फ ग्यारह विधायक बचे है तो चाहे कांग्रेस हो या बसपा दोनों की हालत एक जैसी हो गई है. जहां कांग्रेस अपने को खड़ा करने का प्रयत्न कर रही है जबकि बसपा रोज नई बात करके अपने लिए गढ्ढा खोदने का काम कर रही है.
उधर सपा मौके का फायदा उठाने में जुटी हुई है उसके पास से भी उसका बेस वोट मुस्लिम उससे छिटकता जा रहा है, वो अभी मौके की तलाश में है कि वो कांग्रेस की तरफ जाए या सपा की तरफ चूँकि अभी विधानसभा चुनाव में एक साल से ज्यादा का वक्त है. अगर कांग्रेस ने अपने संगठन का निर्माण भली भांति कर लिया तो यूपी में कांग्रेस बनाम बीजेपी चुनाव होगा जबकि सपा का प्रदर्शन भी अच्छा होगा. ,