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भागलपुर में हुआ अंग राष्ट्रीय साहित्य संगम उद्घाटन, नई पीढ़ी को स्वाधीनता संग्राम के इतिहास से रूबरू कराना जरूरी पद्मश्री उषा किरण खान
प्रसून लतांत
भागलपुर। प्रसिद्ध लेखिका पद्मश्री डॉ.उषाकिरण खान ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम की चेतना का मूल्य नई पीढ़ी में भरना समय की मांग है, इस दृष्टि से भागलपुर का आयोजन महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि भागलपुर मेरा बहुत प्रिय शहर है, जहां जाकर मैं बहुत ख़ुश होती हूँ।
डॉ. खान ने कहा कि स्वाधीनता का भाषा और संस्कृति से गहरा संबंध है ,इसलिए भाषायी और सांस्कृतिक मुक्ति ही वास्तव में स्वाधीनता चेतना का प्रसार है। यह बात उषा किरण खान भागलपुर नही आ पाने के कारण ऑनलाइन वीडियो संदेश के जरिये कार्यक्रम के दौरान लाइव कही।उन्होंने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में अगर साहित्य को प्रभावित किया तो कभी साहित्य ने स्वाधीनता को प्रभावित किया।अनेक कालजयी और कारगार कृतियों की रचना स्वाधीनता संग्राम के दौरान साहित्यकार और कवियों ने कही। गांधी और तिलक के अनेक साहित्यकारों को जेल जाना पड़ा और उनकी किताबें ब्रिटिश हुकूमत ने जप्त की।
इस राष्ट्रीय समागम का आयोजन जानकारी देते हुए फाउंडेशन की सचिव प्रसिद्ध समाजकर्मी वंदना झा ने कहा कि ऐसा आयोजन हर वर्ष आयोजित किया जाएगा। आजादी के अमृत महोत्सव पर स्वाधीनता सेनानी तिलकामांझी को समर्पित शहर में पहली बार 9 जुलाई से शुरू हुए दो दिवसीय अंग राष्ट्रीय साहित्य समागम का संयोजन अस्तित्व झा ने किया। वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन और प्रसून लतांत ने सभी सत्रों का संचालन किया।
बीज वक्तव्य देते हुए विख्यात कवि और अमृत साहित्य के संपादक लक्ष्मी शंकर वाजपई ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में सभी विचारधारा और सभी वर्ग के लोगों के साथ हासिए के दलित, शोषित और किसान व श्रमिक एकजुट हो गए थे। उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आंदोलन में से एक बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि आजादी के अमृत महोत्सव पर देशवासियों को कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे नई पीढ़ीयां करोड़ो शहीदों के त्याग - तपस्या से रूबरू हो सके।उन्होंने कहा कि हम स्वाधीनता के योगदान के मूल्य भूल जाएंगे तो इतने संघर्ष और कुर्बानियां के बाद मिली आजादी की रक्षा करने के काबिल भी नही रह सकेंगे।
अध्यक्षीय भाषण में वरिष्ठ लेखक और नई धारा के संपादक डॉ शिवनारायण ने अंग राष्ट्रीय साहित्य समागम की प्रशंसा करते हुए कहा कि अंग प्रदेश का भारतीय स्वाधीनता संग्राम में बहुत योगदान है। अंग प्रदेश के तिलकामांझी और महेंद्र गोप को याद करते हुए कहा कि अंग प्रदेश के लोग आज भी संघर्षित है।
प्रसिद्ध समाजसेवी डॉ शंभु दयाल खेतान ने मांग की कि तिलकामांझी का राष्ट्रीय स्मारक भागलपुर में बनाया जाए। समागम के उद्घाटन समारोह में सुल्तानगंज विधायक डॉ ललित नारायण, विधायक गोपाल मंडल ने अंग राष्ट्रीय साहित्य समागम के के महत्व उजागर करते हुए कहा कि अंगिका का सहित्य समृद्ध हो रहा लेकिन अंगिका को सार्वधनिक विकास दिलाने के लिए संघर्ष करना जरूरी है।
स्वागत भाषण के दौरान टीएमबीयू के कुलानुशासक प्रो रतन मंडल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भागलपुर में आये दिन बहुत पहले साहित्यिक गतिविधियां होती थी। लेकिन उन्होंने कहा कि समाज के विवेक को जगाने की जरुरत है ताकि समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना हो सके।
इस मौके पर ममता किरण, एनुल हुदा, मृदुला शुक्ला, डॉ सुधीर मंडल आदि ने अपने विचार रखा। दूसरे सत्र में भागलपुर के प्रसिद्ध समाजकर्मी कुणाल सिंह ने समागम जैसे आयोजन लगातार करने की जरूरत की बात कही। समागम का दूसरा सत्र स्वाधीनता आंदोलन में गांधी और हिंदी की भूमिका पर केंद्रित थी। इस सत्र में डॉ मीरा झा ने विस्तार से चर्चा की और डॉ साकेत सहाय ने स्वाधीनता संग्राम में हिंदी की प्रबल भूमिका की चर्चा की।इस सत्र की अध्यक्षता लक्ष्मी शंकर वाजपई ने की।
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी तक आंगका में संदेश पहुचाने वाली ललीता देवी , बिहुला विषहरी पर किताब लिखने के लिए आलोक कुमार , संजीव कुमार शर्मा- जीवन जागृति ,डॉ शकल देव शर्मा - अंगिका साहित्यिक पत्रकारिता के लिए, सरयुग सौम्य को अंगिका प्रचार प्रसार के लिए अंग राष्ट्रीय सम्मान से से सम्मानित किया गया।
समागम के दूसरे दिन भागलपुर के सांसद अजय मंडल ने घोषणा की है कि अगले साल राष्ट्रीय स्तर का बड़े पैमाने पर साहित्य समागम का आयोजन कवयित्री सम्मेलन लाजपत पार्क या सैंडिस कॉम्पाउंड में आयोजित करने के लिए तन- मन धन से अंग मदद फाउंडेशन की मदद करेंगे। सांसद ने यह आश्वासन केन्द्रीय हिंदी संस्थान और अंग मदद फाउंडेशन की ओर से समाजसेवी कुणाल सिंह की मदद से होटल मैक्स इन में आयोजित राष्ट्रीय कवयित्री सम्मेलन का उद्घाटन समारोह के बाद दिया।
सम्मेलन का आगाज प्रसिध्द कवि लक्ष्मी शंकर वाजपई के वक्तव्य से हुआ। उन्होने कहा कि मौजुदा दौर महिलाओं का है क्योंकि उन्होंने आज पुरूषों के वर्चस्व वाले सभी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। उन्होनें सूभ्रदा कुमारी चौहान की कविता की पंक्ति को दोहराने हुए कहा कि महिलाएं अब अबला नहीं है, सबला बन गई है।
अंग राष्ट्रीय साहित्य समागम के समापन पर दिल्ली से आई ममता किरण की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कवयित्री सम्मेलन की शुरूआत स्वाराक्षी स्वरा द्वारा सरस्वती वंदना से हुई। उन्होनें अपनी गजल गाकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी।
रानीगंज से आई ज्योति रीता ने अपनी प्रखर कविताओं के जरिए देश के युवाओं की परिस्थितियों पर सवाल उठाए। दिल्ली से आई डॉ. आरती स्मिथ ने अपनी कविताओं से श्रोताओं का मन झकझोरा। अंग राष्ट्रीय कवयित्री सम्मेलन दिल्ली से आई विश्वविख्यात कवयित्री ममता किरण की अध्यक्षता शुरु हुए इस सम्मेलन में गजलों से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। जमुई से आई डॉ. नुतन सिंह ने भी अपनी कई गजलें पेश की। उन्होनें अपनी गजलों के जरिए स्वाधीनता सेनानीयों को श्रध्दांजलि अर्पित की।
इस मौके पर मीना तिवारी, रेणु ठाकुर, अनिता तिवारी,डॉ. रोजी निक्की, सिनु कल्याणी ,कृष्णा सिंह और श्वेता सुमन ने भी अपनी- अपनी कविताओं को पढ़कर महिलाओं के दर्द को उजागर किया। सम्मेलन का संचालन अनिता तिवारी और प्रसून लतांत नें किया। अंग मदद फाउंडेशन की सचिव ने खासकर सांसद अजय मंडल के प्रति आभार जताते कहा कि अगले साल बड़े पैमाने राष्ट्रीय कवयित्री सम्मेलन होकर रहेगा। इस मौके पर डॉ. सुधीर मंडल, राजेश तिवारी, कुमार कृष्णन, शिवशंकर सिंह पारिजात, डॉ. साकेत सहाय, , अंकित राजहंस आदि मौजुद थे। समाजसेवी कुणाल सिंह और अस्तित्व झा ने सम्मेलन का संयोजन किया।