पटना

नीतीश कुमार अभी नहीं पहले भी होते थे बहुत नाराज, शादी में भी रूठ गये थे और किया था पिता से विद्रोह

Shiv Kumar Mishra
20 Nov 2020 3:48 AM GMT
नीतीश कुमार अभी नहीं पहले भी होते थे बहुत नाराज, शादी में भी रूठ गये थे और किया था पिता से विद्रोह
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कुछ यूँ बंधे थे विवाह के बंधन में नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी नहीं पहले भी काफी गुस्सैल स्वभाव के रहे है. एक वाक्या आज एक अखबार में छपा है जिसके मुताबिक नीतीश कुमार ने अपनी शादी को लेकर अपने पिता से विद्रोह का ऐलान कर दिया था. और अपने दोस्त को लडकी के पिता यानी अपने होने वाले स्वसुर तक के पास अपना संदेश भिजवा दिया था. उस समय किसी को पता नहीं था कि एक साधारण इंजीनियर एक दिन बिहार पर लगातार बीस वर्ष तक राज करेगा.

कुछ यूँ बंधे थे विवाह की डोर में नीतीश कुमार

सियोदा गांव में नीतीश के वास्ते एक मेल मिल गया यह गांव ना तो कल्याणबीघा से अधिक दूर है और न वक्तियारपुर से. कृष्ण नंदन सिन्हा गांव में स्कूल के प्रधानाध्यापक और कुर्मियों की एक सम्मानित वंश परंपरा में से थे. उनकी पुत्री मंजू पटना के मगध महिला कॉलेज में समाजशास्त्र की छात्रा थी. उनके मन में अपने पति को इंजीनियर और शिक्षक पाने की इच्छा थी. क्योंकि नीतीश कुमार इंजीनियर थे और लड़की की इच्छा के अनुसार यह जोड़ा अच्छा बन रहा था. नीतीश के घनिष्ठ मित्रों को ऐसा लग रहा था कि इतनी जल्दी विवाह के चक्कर में पढ़ना नहीं चाहते थे. लेकिन एक समय सीमा के आगे उन्होंने विवाह का विरोध भी नहीं किया.

विवाह के लिए मान जाने पर उन्हें अपने मित्रों को उकसाया कि वे मंजू को मगध महिला कालेज के द्वार पर बुलाकर देख ले और आकर उन्हें बताएं उनकी भाभी वधू कैसी रहेगी. दुबली पतली सीधी सच्ची तुनक मिजाजी से दूर रंग गेंहुआ. यह सुनकर नीतीश कुमार को काफी अच्छा लगा. नरेंद्र सिंह को ऐसा संकेत मिला नीतीश कुमार की तरफ से. लेकिन सब कुछ बढ़िया चल रहा था फिर एक दिन बवाल हो गया स्पष्ट नहीं है कि यह किस तरह से हुआ. लेकिन नीतीश को भनक लग गई थी. उनके पिता ने मंजू के पिता से दहेज के रूप में ₹22000 ले लिए हैं. जातिगत गुटों के अंदर दो परिवारों के बीच परस्पर बातचीत के द्वारा तय की गई शादियों में ऐसा चलन था. आज की अपेक्षा तब यह सब अधिक था. परिवारों में इस तरह का लेना देना उसी तरह से होता था. यह एक तरह से समझौते पर पक्की मुहर लगाने जैसी एक औपचारिकता हुआ करती थी.

लेकिन वृद्ध वैद्य को यह संदेह रहा होगा उनका बेटा इसके लिए हामी नहीं भरेगा. तो उन्होंने यह दहेज नीतीश को बिना विश्वास में लिए हुए पीठ पीछे ले लिया था. इस बात से नाराज नीतीश ने पिता के खिलाफ विद्रोह करने की बात कही और बोले यह शादी कभी नहीं हो सकती है.

पिता के खिलाफ विद्रोह

नरेंद्र सिंह ने बताया जब उन्हें इस बात का पता चला तो नीतीश आज की तरह ही आग बबूला हो गए. वह तुरंत बख्तियारपुर जाकर अपने पिता से इस संबंध में जवाब सवाल जवाब करना चाहते थे और कहना चाहते थे कि वे शादी करेंगे उन्होंने कहा रात ज्यादा हो रही थी और आखरी गाड़ी जा चुकी थी. लेकिन नीतीश जिद पर अड़े थे. इस कारण हमने 1 तीपहिया वाहन लिया और बख्तियारपुर के लिए चल पड़े. उसने हमसे ₹100 से अधिक मांगा जो हमारे पास नहीं थे. नीतीश ने अपने पिता से घर जाकर भाड़ा चुकता कराया फिर एक शब्द भी बिना बोले वीडियो से ऊपर चले गए सारी बातचीत मेरे ऊपर छोड़ दिया गया था.

नरेंद्र सिंह को कई विषयों पर बातचीत करने की जिम्मेदारी दी गई थी. जिसमें एक पैसा भी नहीं, इस तरफ से कोई उपहार नहीं, कोई रीति रिवाज नहीं, कोई जश्न नहीं, कोई समारोह नहीं ,विवाह पटना में रजिस्ट्रार के ऑफिस में होगा अर्थात कोर्ट मैरिज होगी. अगर यह सब नहीं होगा तो विवाह की बात खत्म समझी जाए. वेद्य राम लखन (नीतीश के पिता) ने नीतीश के दूत को समझाने का बहुत प्रयास किया. दहेज स्वीकार करना कोई इतनी बड़ी बात नहीं थी. यह कोई बड़ी रकम भी नहीं थी. वधु के परिवार वालों ने खुशी से वह रकम उनको दी थी और अगर वह रकम लौटाने जाएंगे तो उन्हें खुद कितनी परेशानी से गुजरना पड़ेगा.

नरेंद्र सिंह ने यह सारी बातें बताने के लिए नीतीश के पास गए. दिया हुआ धन वापसी कैसे होगा? तुम्हारा मतलब है कि पहले ही मेरे परिवार के पास दहेज जमा हो चुका है. नीतीश ने शिकायत की यह विवाह नहीं हो सकता नहीं होगा जाओ और मेरे पिता तथा सियोदा के लोगों को जाकर बता दो. यह विवाह और यह लेनदेन की बातचीत पूरी तरह अस्वीकार है. नरेंद्र सिंह सियोदा गए. कृष्ण नंदन सिंह ने नरेंद्र सिंह से कहा कि उन्हें नीतीश के इतने पक्के विचारों की जानकारी नहीं थी और वह समझते थे कि नया नया लड़का है मान जाएगा उसे मना लिया जाएगा. अब क्योंकि नगदी का स्थानांतरण हो चुका है. इसके बारे में हो हल्ला या शिकायत करने का कोई अर्थ नहीं है. यह हमारी प्रथा है. जाकर उसे कह दो यहां सब ठीक है. हमने जो दिया है ख़ुशी से दिया है और हम खुश हैं.

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