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अब नीतीश कुमार करेंगे विपक्षी दलों के साथ बैठक, पटना में किया भाजपा विरोधी पार्टियों को आमंत्रित
रमेश शर्मा
2 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजमेर आगमन पर चाहे राजस्थान में विधानसभा चुनाव की बात हो या फिर आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव की मोदी ने अजमेर में चुनावी शंख बजा दिया, भले ही मोदी ने राजस्थानी अजमेर संभाग को केंद्र से कोई बड़ी योजना की सौगात नहीं दी लेकिन इसे चुनाव से लेकर जोड़कर देखा जा रहा है। कांग्रेस ने भी जिस जोर शोर से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह की घोषणा की थी वह भी तपती गर्मी में बर्फ में जम कर पानी बन बह गई दिखाई पड़ती है।
लेकिन विपक्षी दल लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर भाजपा से मुकाबला करने की तैयारी को लेकर तत्पर हैं। मुख्य रूप से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एक करने की कोशिश में पिछले लगभग 3 महीनों से सक्रियता और गंभीरता से प्रयास रत है। इन 3 महीनों में नीतीश कुमार ने भाजपा विरोधी प्रदेश सरकार के मुखिया से उनकी राजधानी में जाकर मुलाकात की है नहीं विपक्ष के बड़े नेताओं से भी मुलाकात कर चुके हैं। नीतीश कुमार ने अपने प्रदेश की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की एक बैठक 12 जून को आमंत्रित की है। सबसे बड़ी बात यह है कि सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस बैठक में शामिल होने के संकेत दिए हैं लेकिन इस बात पर अभी यह खुलासा नहीं हो पाया है कि कांग्रेस की तरफ से बैठक में कौन भाग लेगा।
राहुल गांधी खुद फिलहाल विदेशी दौरों पर है।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हम मीटिंग में जाएंगे, लेकिन इसमें कांग्रेस की तरफ से कौन शामिल होगा? ये अभी नहीं कहा जा सकता। बताया जाता है कि राहुल गांधी के विदेश दौरे पर होने को लेकर कांग्रेस ने बैठक की तारीख आगे बढ़ाने का अनुरोध किया था। लेकिन उसके बावजूद भी तारीख तय कर दी गई। चूंकि लगभग एक पखवाड़े पहले नीतीश ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी उसको लेकर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की खुद खड़गे भी मीटिंग में शामिल हो सकते हैं। ताजा बात की जाए तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में3 स्पीच के दौरान विपक्षी एकता पर जोर दिया था।
उन्होंने कहा यदि विपक्ष ठीक से एकजुट हो जाए तो केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी को हराया जा सकता है। विपक्षी दलों की एकता की बात की जाए तो दिल्ली में नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह पर 20 विपक्षी दलों ने समारोह का बहिष्कार किया था जिसको लेकर नीतीश ने शायद उसी विपक्ष एकता को कायम रखने के लिए और आगे की रणनीति बनाने के लिए 12 जून को बैठक आमंत्रित कर ली है। देखने वाली बात होगी कि नीतीश कुमार द्वारा पटना में आमंत्रित की गई विपक्षी दलों की बैठक कितनी कारगर सिद्ध होती है।
जहां तक राजस्थान में कांग्रेस की बात करें तो फिलहाल 3 दिन पहले दिल्ली में गहलोत और पायलट के बीच सुलह की घोषणा बर्फ में जमी नजर आ रही है। भाजपा भी फिलहाल राजस्थान के मामले को लेकर स्पष्ट रूप से कोई नजरिया सामने प्रस्तुत नहीं कर पाई है। देखने वाली बात होगी कि विपक्षी दलों द्वारा एकता की बैठक आयोजित हो जाने के बाद क्या भाजपा और कांग्रेस भी राजस्थान में कुछ नया करने की कोशिश करेगी!