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मुंगेर में दुर्गा विसर्जन के समय पुलिस गोलीकांड का खुला राज
ओम प्रकाश पोद्दार
बीते वर्ष बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान के दो दिन पहले 26 अक्तूबर 2020 को मुंगेर दुर्गा प्रतिमा विसर्जन गोली कांड देश के चर्चित घटनाओं में शुमार हो गया । पुलिस ने कोतवाली थाना क्षेत्र के दीनदयाल चौक के पास निहत्थे श्रद्धालु पर अंधाधुंध फायरिंग की जिसमें एक युवक अनुराग पोद्दार की घटनास्थल पर मौत हो गई तो कई श्रद्धालु गोली से गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। पुलिस की बर्बरता यहीं नहीं रूकीं आगे बाटा चौक के पास महा आरती के लिए रूकीं बड़ी दुर्गा महारानी के पास श्रद्धालुओं एवं पुजा समिति के कार्यकर्ताओं पर भी पुलिस ने बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज किया। जिससे दर्जनों श्रद्धालु गंभीर रूप से जख्मी हुआ और शहर में भगदड़ मच गई थी। फिर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन ने धार्मिक भावनाओं को आहत करतें हुए जैसे -तैसे दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया था।
अगले दिन तत्कालीन डीएम राजेश मीणा एवं चर्चित एसपी लिपि सिंह ने संयुक्त रूप से बयान दिया कि दुर्गा विसर्जन गोली कांड में पुलिस ने फायरिंग नहीं की है । उन्होंने इसे अपराधिक घटना कहकर पुलिस को क्लिनचिट दे दी। लेकिन ,जागरूक नागरिकों के द्वारा घटनाओं से संबंधित वायरल वीडियो ने जिला पुलिस को फुटपाथ पर लाकर खड़ा कर दिया ।
प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस घटना को आजाद भारत का जालियांवाला कांड बताया है।चुनाव के बाद मुंगेर शहर बंद की घोषणा हुई । फिर कई थानों में आगजनी की घटनाओं के बाद बिहार चुनाव आयोग हरकत में आया और तत्कालीन डीएम एवं एसपी को मुंगेर से हटाया गया । इसके बाद मानवजीत सिंह ढिल्लों को मुंगेर का एसपी बनाया गया ।
बाद में मामलों को दबाने एवं पक्षपात करनें को लेकर सीआइडी टीम के रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर उन्होंने भी अन्य सहयोगियों के साथ मुंगेर से हटाया गया था। मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा विजय दशमी को स्थान छोड़ कर बाजार आती है अगले दिन मां का विसर्जन होता है उसी दिन बिजली सजावट वाली दुर्गा प्रतिमा रात में बाजार में आतीं है । फिर सुबह तक मां का विसर्जन होता है । परंपरागत विसर्जन श्रृंखलावद्ध होने के कारण दो दिनों तक शहर श्रद्धालुओं से भरा रहता है । जिस वजह मुंगेर की दुर्गा प्रतिमा विर्सजन मेला देश में विख्यात है । यहां आसपास से लाखों लोग दुर्गा विसर्जन देखने आते हैं।
बिहार विधानसभा का मतदान कई चरणों में संपन्न हुआ लेकिन , मुंगेर में विधानसभा का प्रथम चरण का मतदान 28 अक्तूबर 2020 को था । वहीं , परंपरागत दुर्गा प्रतिमा विसर्जन 27 अक्तूबर से लेकर 28 अक्तूबर की सुबह तक होनी थीं । चुनाव सम्पन्न करनें हेतु 27 अक्तूबर को ही चुनाव कर्मियों को बुथ पर पहुँचने की बाध्यता थीं ताकि निर्धारित समयावधि से मतदान की शुरुआत हो सकें ।इन सारी बातों की पूर्व से जानकारी होने के बाद भी जिला प्रशासन ने चुनाव आयोग को सुझाव पत्र नहीं दिया । फिर शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए जिला प्रशासन एवं पुलिस काफी दबाव आ गई । फिर विजयदशमी को रात में ही प्रतिमा विसर्जन का प्रशासनिक आदेश हुआ और दुर्गा प्रतिमा विसर्जन हेतु देर रात शहर के विभिन्न निर्धारित सड़कों पर रूकीं थी । क्योंकि बाटा चौक पर बड़ी दुर्गा महारानी की आरती होनी थी । पुलिस ने बलपूर्वक दीनदयाल चौक पर दुर्गा प्रतिमा को आगे बढ़ाने चाहा तो ,लोगों ने विरोध किया तो पुलिस ने फायरिंग कर दी ।
दुर्गा विसर्जन गोली कांड के जबावदेही से बचने के लिए तत्कालीन मुंगेर पुलिस कप्तान लिपि सिह ने पुलिस को क्लिनचिट दे दिया था। लेकिन ,वायरल वीडियो एवं थानों में आगजनी की घटनाओं के बाद चुनाव आयोग हरकत में आया और मुंगेर डीएम एवं एसपी पर गाज गिरी । फिर मानवजीत सिहं ढिल्लों मुंगेर के नये एसपी बनें लेकिन, मामलों को लीपा-पोती एवं पक्षपातपूर्ण कार्य करनें के कारण अन्य सहकर्मियों सहित इन पर हाईकोर्ट की गाज गिरी ।
पिछले साल बिहार के मुंगेर में मतदान कराने के लिए सीआइएसएफ के जवान एवं पदाधिकारी मुंगेर पुहंचे थे । जिसे मुंगेर पुलिस ने दुर्गा पूजा मेला ड्यूटी में लगा दिया था । सीआइएसएफ के आंतरिक रिपोर्ट में बताया गया कि दीनदयाल चौक पर पहले मुंगेर पुलिस ने फायरिंग किया तत्पश्चात् सीआइएसएफ जवान ने सुरक्षा के लिए हवाई फायरिंग की ।
इस गोली कांड में अनुराग पोद्दार के युवक की मौत हो गई थी और कुछ लोग घायल हो गए थे। घटना के बाद मामले को रफा दफा करने की कोशिश की गई लेकिन सी आईं एस एफ की आंतरिक रिपोर्ट के सामने आते ही पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल गए।
मृतक अनुराग पोद्दार के पिता ने तत्कालीन वासुदेवपुर ओपी प्रभारी सुशील कुमार को अपने पुत्र की हत्यारोपी बताते हुए उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया लेकिन , मुंगेर कोतवाल ने कपटपूर्ण एफआईआर दर्ज की जिसमे अज्ञात को हत्यारे बताया गया था । न्याय पाने के लिए पीड़ित पिता हाईकोर्ट गए फिर हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच का जिम्मा सीआइडी के विशेष टीम को मिली । फिर आरोपित पुलिस पदाधिकारी को मुंगेर कोतवाली कांड संख्या 311/20 में अप्राथमिक अभियुक्त बनाया गया है । हाईकोर्ट के आदेश के बाद मृतक अनुराग के पिता अमरनाथ पोद्दार को राज्य सरकार के निर्देश पर मुंगेर डीएम ने 22 जून 2021 को दस लाख रूपये अनुग्रह राशि दी है ।
मानवाधिकार एवं आरटीआई एक्टिविस्ट एवं मुंगेर सिविल कोर्ट के अधिवक्ता ओमप्रकाश पोद्दार ने बताया कि दुर्गा प्रतिमा विर्सजन गोली कांड में तत्कालीन डीएम राजेश मीणा , एसपी लिपि सिंह , एसडीओ, सदर खग्रेश चन्द्र झा सहित अन्य वरीय अधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी की इस घटना में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्तता हैं । जिनके विरुद्ध अब तक कार्रवाई नहीं हुई है । जबकि मामलों की जांच सीआइडी की विशेष टीम कर रही है और उसकी निगरानी खुद हाईकोर्ट कर रही है । कई माह बीत जाने के बाद भी अनुराग हत्या कांड में आरोपित पुलिस पदाधिकारी सुशील कुमार को भी सीआइडी टीम ने गिरफ्तार नहीं किया है । ना ही उनके विरुद्ध कुर्की जब्ती के लिए केस के आईओ सह डीएसपी ने कोर्ट में प्रतिवेदन दिया है । वहीं,हाईकोर्ट में मामले मे अगली सुनवाई 26 अगस्त 21 को निर्धारित है ।