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बिहार में सत्ता के विरोध के दौरान हुई मौत पर राजनीति, बीजेपी का दावा, पुलिस की लाठीचार्ज में हुई कार्यकर्ता की मौत
बिहार की राजधानी पटना में गुरूवार को नितिश कुमार की सरकार के खिलाफ अपना वादा पूरा नहीं करने पर विधानसभा मार्च निकाल रहें बीजेपी कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने बर्बतरता पूर्वक लाठीचार्ज किया। दरअसल इस प्रदर्शन में बीजेपी कार्यकर्ता और पार्टी से जुड़े सांसद-विधायक भी नितिश कुमार की सरकार से उनके चुनावी वादे के मुताबिक शिक्षक भर्ती शुरू करने और 10 लाख युवाओं को रोजगार देने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहें थें। लेकिन इसी दौरान राज्य की पुलिस ने शांति पूर्वक विरोध मार्च निकाल रहें विपक्ष के नेताओं और प्रदर्शनकारियों पर बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज कर दिया। दरअसल इसी दौरान भाजपा के जहानाबाद जिले के महासचिव विजय सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। लेकिन भाजपा नेता विजय सिंह की मौत के बाद अब उस पर राजनीति शुरू हो गई है। दरअसल बीजेपी का कहना है कि विजय सिंह की मौत पुलिस के द्वारा लाठी मारे जाने की वजह हुई है। जबकि बिहार सरकार का दावा है कि भाजपा नेता विजय सिंह की मौत पुलिस की लाठी मारने से नहीं हुई है, बल्कि वह खुद बेहोश होकर गिर गए थें,जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। हालांकि पटना के डीएम इस बयान के बाद भी बीजेपी नेता यह बात मानने को तैयार नहीं है और वह अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी लगातार सवालिया निशान उठा रहे हैं। इतना ही नहीं लाठीचार्ज करते वक्त नितिश कुमार की दमनकारी पुलिस ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी थीं। इसके अलावा पुलिस ने भाजपा के उम्रदराज और वरिष्ठ सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को भी लाठियों से पीट दिया गया। ऐसे में कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री नितिश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की सरकार में बिहार में फिर से जंगलराज की वापसी होती हुई दिख रही है। दरअसल यहां पर जंगलराज से हमारा आशय यह है कि जब जब बिहार में आरजेडी और जेडीयू की सरकारें आती हैं, तो पुलिस का रवैया आम जनता के लिए काफी ज्यादा दमनकारी हो जाता है। दरसअल जब बिहार में मौजूदा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी के पिता व पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की सरकार थी, तो उस समय में भी सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले विपक्षी दलों के नेताओं को बुरी तरह से मारा पीटा जाता था। इतना हीं नहीं लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में तो कई विपक्षी दलों के नेताओं को फर्जी मुकदमें में फंसाकर जेल में भेज दिया जाता था। ताकि वह सरकार की गलत नीतियों को विरोध नहीं कर सकें।
आखिर रोजगार की मांग करने वाले विपक्षी नेताओं को क्यों पीट रहीं नितिश-तेजस्वी की पुलिस
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव के समय प्रदेश के युवाओं से यह वादा किया था कि, यदि उनकी सरकार बनी तो पहली ही कैबिनेट की बैठक में वह 10 लाख युवाओं को रोजगार देने की प्रक्रिया को शुरू करेंगें। इसके अलावा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी कहा था कि, यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो, वह शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को भी जल्द ही शुरू करेंगें। लेकिन विडंबना इस बात की है कि बिहार में ना तो अभी तक 10 लाख नौकरियां दी गई और ना ही शिक्षक भर्ती शुरू हो पाई है। हालांकि उस समय में विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित होने के बाद तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी को चुनाव में बहुमत नहीं मिल सका था। नतीजतन उस समय वह अपनी सरकार नहीं बना सकें थें। लेकिन आज मौजूदा समय में परिस्थितियां बिल्कुल ही अलग है। दरअसल आज तेजस्वी यादव की बिहार में सरकार है। ऐसे में प्रदेश के युवाओं के द्धारा उनसे यह सवाल पूछा जाना स्वाभाविक और सही है कि, उन्होंने जो 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया था, उसे वह कब पूरा करेंगें। दरसअल गुरूवार को भी इसी मुददें को लेकर ही भाजपा के नेता और कार्यकर्ता विधानसभा मार्च निकाल रहें थें। लेकिन जिस तरह से नितिश कुमार और तेजस्वी यादव की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया, उससे प्रदेश की जनता को काफी निराशा हुई है।
क्या जनता की आवाज को दबाने के लिए पुलिस का दुरूपयोग कर रहें नितिश कुमार ?
बिहार में जिस तरह से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहें विपक्ष के नेताओं और प्रदर्शनकारियों के रूप में आम जनता को जिस तरह से पीटा गया, वह बहुत ही निंदनीय है। लेकिन ऐसे में सबसे बड़ा सवाल नितिश कुमार और तेजस्वी यादव से पूछा जाना चाहिए की, क्या बिहार सरकार की अपनी पुलिस का दुरूपयोग कर रहीं है ? दरसअल प्रदर्शन तो हर राज्य में विपक्ष के नेता सत्ता पक्ष के खिलाफ करतें रहतें हैं। लेकिन जिस तरह से बिहार सरकार की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया, वह बहुत ही निर्मम और क्रूरतापूर्ण घटना है। ऐसे में सवालों के घेरे में बिहार पुलिस के वो अधिकारी भी आतें हैं, जिन्होंने अपने कनिष्ठ पुलिस अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने का आदेश दिया होगा। इसके अलावा यहां पर तेजस्वी उपमुख्यमंत्री यादव के उपर भी सवाल उठता है कि जो वादा उन्होंने जनता से चुनाव के पहले किया था, आखिर अब वह उसे वादे को पूरा करने से पीछे क्यों हट रहें हैं। दरसअल प्रदेश की जनता ने तेजस्वी यादव को उनके 10 लाख नौकरियों देने के वादे पर ही उन्हें वोट दिया था। लेकिन आज जब तेजस्वी यादव सत्ता में है तो वह अपना वादा ही भूल चुकें हैं। इतना ही नहीं जब बिहार की जनता तेजस्वी को उनका वादा याद दिला रहीं है तो बदले में तेजस्वी की पुलिस उनके उपर लाठीचार्ज कराने से भी नहीं कतरा रहीं है।
तेजस्वी यादव पर जनता लगा रहीं वादाखिलाफी करने का आरोप
बिहार में पुलिस की बर्बर लाठीचार्ज और पिटाई से भाजपा नेता की मौत के बाद प्रदेश की जनता में सरकार के खिलाफ काफी ज्यादा आक्रोश है। ऐसे में कहीं ना कहीं बिहार की जनता मुख्यमंत्री नितिश कुमार और तेजस्वी यादव पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगा रहीं है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर जो वादा उन्होंने बिहार की जनता से चुनाव के समय किया था, उसे पूरा करने में उनको क्या दिक्कत है। आखिर अब तो तेजस्वी यादव की सरकार है और वह स्वयं उस सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं, फिर उनको अपना वादा पूरा करने में कहां से दिक्कत आ रही है।