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मुकाबले के मूड में हैं पीके! कल होगा बड़ा ऐलान, इससे पहले 11 फरवरी को होना था ये काम
राजनीतिक रणनीतिकार से जेडीयू के जरिए अपना सियासी सफर शुरू करने वाले प्रशांत किशोर अब नीतीश कुमार से अलग हो चुके हैं, लेकिन बिहार की सियासत में अब वह नए अवतार में नजर आएंगे. पीके अपनी आगे की राजनीतिक दशा और दिशा पर मंगलवार को पटना में विस्तार से खुलासा करेंगे पीके यानी प्रशांत किशोर पहले यह ऐलान 11 फरवरी को ही करने वाले थे, लेकिन दिल्ली चुनाव के नतीजों के कारण इसे टाल दिया गया था पीके के नाम से मशहूर राजनीतिज्ञ और राजनीति रणनीतिकार मंगलवार को क्या बोलेंगे या कौन सा ऐलान करेंगे इसको लेकर सस्पेंस बरकरार है हालांकि उन्होंने साफ किया है कि वो न तो किसी पार्टी के साथ जाएंगे और न ही किसी के लिए प्रचार करेंगे।
प्रशांत किशोर का कहा है कि मैं बिहार में किसी भी पार्टी के लिए काम नहीं करूंगा ना ही किसी पार्टी से जुड़ूंगा. मैं पॉलिटिकल एक्टिविस्ट के तौर पर ही काम करूंगा। बिहार में जेडीयू में रहते हुए भी विवादित मुद्दों पर पीके पार्टी फोरम से हटकर बयान दे रहे थे. फिर चाहे वह एनआरसी का मुद्दा हो या फिर सीएए का. इसको लेकर पटना में नीतीश के साथ प्रशांत किशोर की तल्खियां बढ़ी थीं, लेकिन नीतीश कुमार को सबकुछ ठीक होने का भी भरोसा था. ये बात और है कि सब कुछ ठीक नहीं हो सका और पीके की पार्टी से विदाई हो गई.
नीतीश कुमार और जेडीयू को लेकर प्रशांत किशोर का स्टैंड क्या होगा इसका खुलासा तो 18 फरवरी को ही हो सकेगा, लेकिन राजनीतिक जानकारों की मानें तो पीके नीतीश कुमार से मुकाबला करने के मूड में हैं. मालूम हो कि JDU में रहते नीतीश ने पीके को नंबर दो की हैसियत से पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था, जिसके बाद कई युवाओं को जोड़ने के लिए पीके ने पार्टी को अपने सुझाव दिए थे.इसी साल होना है चुनाव
बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. हमेशा की तरह इस बार भी मुकाबला एनडीए बनाम महागठबंधन ही है ऐसे में क्या पिछले चुनाव में नीतीश-लालू के मददगार बने पीके इस बार लालू का मददगार बन महागठबंधन के लिए काम करेंगे. ये सिर्फ सवाल है जिसका जवाब काफी हद तक कल होने वाले प्रशांत किशोर के ऐलान के साथ ही मिल जाएगाॉ
बता दें कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 2014 के आम चुनाव में पहली बार चर्चा में आए थे. उन्हें बीजेपी के चुनाव प्रचार को 'मोदी लहर' में तब्दील करने का श्रेय जाता है. इसके बाद प्रशांत किशोर ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और बिहार में नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक मैनेजर के तौर पर काम किया और महागठबंधन को सत्ता दिलाने में सफल रहे.
इसके बाद प्रशांत किशोर ने 2018 में जेडीयू से सियासी पारी का आगाज किया था तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीके को बिहार का भविष्य बताया था, लेकिन वक्त और सियासत ने ऐसी करवट ली अब उसी नीतीश कुमार का रुख प्रशांत किशोर के लिए बदल गया है और उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है, जिसके बाद अब प्रशांत किशोर अपने भविष्य की सियासी लकीर मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके खींचेंगे.
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को जीत का फॉर्मूला गढ़ा. 2015 में बिहार में महागठबंधन की जीत का श्रेय भी पीके को मिला. ऐसे ही आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और पंजाब में कांग्रेस की जीत में पीके की प्रचार टीम का अहम रोल था. इसके अलावा दिल्ली में आम आदमी पार्टी और महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ का काम किया. फिलहाल पीके की कंपनी पश्चिम बंगाल में टीएमसी और तमिलनाडु में डीएमके के साथ काम कर रही है.