पटना

रोजी रोजगार और संक्रमण के कारण उपजे हालतों में पेट की आग तमाम अपराधों को जन्म दे सकती है - ललन कुमार

Shiv Kumar Mishra
13 Aug 2020 11:35 AM GMT
रोजी रोजगार और संक्रमण के कारण उपजे हालतों में पेट की आग तमाम अपराधों को जन्म दे सकती है - ललन कुमार
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कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण देश एवं राज्य में बेरोजगारी दर बढ़ते हुए विकराल रूप लेती जा रही है। इस महामारी के दौरान राज्य के लाखों युवा बेरोजगार हो गए है। युवा कांग्रेस मानती है कि बेरोजगारी की समस्या से निबटने के लिए राज्य सरकार को तत्काल प्रभावी उपाय करने चाहिए। उक्त बातें युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने कही।

उन्होंने कहा कि राज्य में निजी क्षेत्र में काम कर रहे युवाओं की नौकरी उनसे छीन रही है, वहीं विभिन्न शिक्षण संस्थान के लॉकडाउन के दौरान बंद रहने से उससे जुड़े युवा बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं। आज रियल स्टेट, इंफ़्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोबाइल आदि में संभावित मंदी के कारण राज्य के युवाओं के रोजगार छीन गए है और बेरोजगारी बढ़ी है। वही प्रवासी युवाओं के राज्य में लौटने एवं उनके रोजगार सृजन के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई सतत पहल ना किये जाने से भी बेरोजगारी रूपी संकट को बढ़ावा मिला है।

उन्होंने कहा कि जब संक्रमण का असर कम होगा तो बेरोजगारी एवं आजीविका का गंभीर संकट सामने मुंह बाये खड़ा होगा और इसके निदान नही खोज लिया गया तो स्थिति भयावह हो सकती है। पेट की आग तमाम अपराधों को जन्म दे सकती है जिससे सामाजिक ताना बाना डांवाडोल हो सकता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की समस्या के अलावा युवाओं में पारिवारिक असंतोष, सम्पत्ति बंटवारा, राजस्व विवाद, महिलाओं के प्रति अपराध, घरेलू हिंसा, नशाखोरी, विषाद जैसे कुछ अन्य सामाजिक समस्याओं में स्वाभाविक वृद्धि हो सकती है, इसी प्रकार की समस्या छोटे शहरों और कस्बो में भी निश्चित रूप से हो सकती है।

कोरोना संकट के इस दौर से उत्पन्न होने वाली उपरोक्त सामाजिक संकट का निराकरण हमे समय रहते खोजना ही होगा, इसके समाधान हेतु सरकार को अपने वादे के अनुसार बेरोजगारी भत्ता देकर युवाओं के दर्द को बांटना होगा ताकि इस विकट परिस्थिति में उन्हें आंशिक रूप से राहत दी जा सके।

नीति निर्माताओं को तत्काल संभावित स्थिति का आकलन करके प्रभावी योजना तैयार करनी होगी. इस दिशा में निम्न कुछ सुझाव व्यवहारिक हो सकते हैं। ग्रामीण और कस्बे के स्तर पर रोजगार और आजीविका के छोटे अवसरों की उपलब्धता बने, इसके लिए छोटी पूंजी से लगने वाली इकाइयों की स्थापना हेतु सहज, सस्ता और सुलभ ऋण उपलब्ध करांया जाए। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को भी छोटी और घरेलू इकाइयां लगाने के लिए प्रेरित किया जाय।

मनरेगा का दायरा बढ़ाया जाय और इसी तर्ज पर शहरी अकुशल श्रमिकों के लिए रोजगार गारंटी योजना लाई जाय। कृषि और सहायक उद्योग में अधिकतम रोजगार के अवसर तलाशने होंगे। इसके लिए उचित प्रशिक्षण और प्रोत्साहन देना होगा।

कुशल और तकनीकी युक्त कामगारों को स्वरोजगार के प्रेरित करने के साथ ही उन्हें स्थानीय स्तर पर ऐसे अवसर उपलब्ध कराने होंगे जिससे उनकी योग्यता और क्षमता के अनुरूप रोजगार मिल सके। ग्रामीण क्षेत्रों, छोटे कस्बो में उच्च स्तरीय गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य के संसाधन मुहैया करने होंगे जिससे इनकी चाह में शहरों में विस्थापित होने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगे।

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