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Patna Special Coverage : छात्रा ने IAS से पूछा सवाल, सैनिटरी पैड फ्री क्यों नहीं? जबाब में बोली अधिकारी कल कंडोम भी फ्री मांगोगी!
सशक्त बेटी समृद्ध बिहार कार्यक्रम में छात्राओं के सवालों के बेतुके जवाब देने वाली महिला और बाल विकास विभाग की MD हरजोत कौर बम्हरा पर सख्त कार्रवाई की मांग हो रही है। टीईटी शिक्षक संघ ने उन्हें हटाने की मांग उठाई है। मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी संज्ञान लिया है। 7 दिनों में हरजोत कौर से जवाब मांगा गया है।
पटना में बच्चियों की अवेयरनेंस के लिए हुई एक वर्कशॉप में एक लड़की ने पूछा कि क्या सरकार 20-30 रुपए का सैनिटरी पैड नहीं दे सकती। इसके जवाब में एक सीनियर महिला IAS अधिकारी ने कहा कि इस मांग का कोई अंत है। वे आगे बोलीं, '20-30 रुपए का सैनिटरी पैड दे सकते हैं। कल को जींस-पैंट दे सकते हैं। परसों सुंदर जूते क्यों नहीं दे सकते हैं?'
IAS अधिकारी हरजोत कौर बम्हरा यहीं नहीं रुकीं। वे यह भी बोल गईं कि अंत में जब परिवार नियोजन की बात आएगी तो निरोध भी मुफ्त में भी देना पड़ेगा। मंगलवार को 'सशक्त बेटी, समृद्ध बिहार: टुवर्ड्स एन्हान्सिंग द वैल्यू ऑफ गर्ल चाइल्ड' विषय पर हुई इस वर्कशॉप को महिला एवं बाल विकास निगम द्वारा यूनिसेफ, सेव द चिल्ड्रेन एवं प्लान इंटरनेशनल ने संयुक्त रूप से आयोजित किया था।
मामला सामने आने के बाद समाज कल्याण विभाग के मंत्री मदन सहनी ने कहा है कि 'जितने भी मुद्दे छात्राओं ने उठाए, सरकार ने उन पर प्रावधान कर रखा है। एमडी महोदय को यह बात कंठस्थ होनी चाहिए। मामले पर सख्त संज्ञान लिया गया है।'
इस मामले पर टीईटी शिक्षक संघ ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि महिला विकास निगम की एमडी आईएएस हरजोत कौर ने शर्मनाक जवाब दिए।शिक्षक संघ बयानों की कड़ी निंदा करता है। हमने सरकार से कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
स्कूलों में बच्चियों के लिए अलग साथ-सुधरे शौचालय जरूरी
अमित विक्रम ने कहा कि ऐसा लगता है इस आईएएस महोदया को नहीं पता है कि विद्यालयों में बच्चियों के लिए अलग साफ सुथरे शौचालय की व्यवस्था करना अनिवार्य है। साथ ही सरकार की एक योजना है जिसमें उन्हें सैनिटरी पैड्स के बदले पैसे दिए जाते हैं। उन बच्चियों ने तो केवल यह कहा था ना कि उन्हें सीधे सैनेटरी पैड्स दिए जाए न कि पैसे, क्योंकि उन पैसों का वे सदुपयोग नहीं कर पाती हैं।
उनको खुद सोचना चाहिए न कि किसी बच्ची को 300 रुपए मिलते हैं साल में सैनेटरी पैड खरीदने के लिए। अब वह 300 रुपए निकालने के लिए पहले वह बैंक जाए फिर बैंक से मार्केट जाए। वह भी किस उम्र की बच्चियां? 12 से 16 साल की बच्चियां! आप सोचिए कि क्या यह संभव है!
सरकार की योजना ही गलत, इसमें सुधार हो
उन्होंने कहा कि इस उम्र की बच्चियां तो संकोचवश अपने माता-पिता से कह भी नहीं पाती कि उन्हें पीरियड हो रहे हैं और ऐसे में वे उम्मीद कर रही हैं कि पैसे निकलवा कर के उस पैसे से सैनेटरी पैड्स खरीदें। एक तो सरकार की योजना गलत है। सैनिटरी पैड्स के बदले पैसे देना बिल्कुल ही गलत है।
बच्चियों को सीधे सैनिटरी पैड दिए जाएं और दूसरी बात यह है कि यह जो आईएएस लोग बैठे हैं इनको न तो जमीनी हकीकत का पता है और न ही सरकार की अलग-अलग योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी है। ऐसी महिला अधिकारी को क्यों महिला विकास निगम का एमडी बनाया गया है! इनको स्कूली बच्चियों के कार्यक्रम में जाकर अनाप-शनाप बोलने के लिए इन पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
संघ ने लोक शिकायत निवारण के माध्यम से सरकार से मांग की है कि सभी बच्चियों को सैनिटरी पैड्स के बदले पैसे देने की व्यवस्था बंद हो। विद्यालयों में प्रत्येक माह सभी स्कूली बच्चियों को सैनेटरी पैड्स वितरण किए जाए।