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वह बाहुबली जिसके पीछे हाथ धोकर पड़ी रही यूपी-बिहार की पुलिस, BJP के टिकट से होना चाहते हैं 'पवित्र'
पटना : बाहुबलियों की राजनीति, गुनाहों की गलियों से निकले उन सियासतदानों का सच है जिनके दामन पर यूं तो गुनाहों के दाग हैं, लेकिन सियासत के रसूख से उन्हें अलग पहचान मिलती है। ऐसे लोग खुद को आवाम का रहनुमा कहते हैं, लेकिन जनता की जुबान में उन्हें कभी अपराधी तो कभी बाहुबली कहा जाता है। बिहार की राजनीति में सक्रिय ऐसे ही लोगों की फेहरिस्त में एक राजन तिवारी भी हैं। राजन तिवारी ऐसे बाहुबली हैं जिनका जलवा दो राज्यों यूपी और बिहार दोनों जगह रहा है।
श्रीप्रकाश शुक्ला के गैंग में सक्रिय रहे राजन तिवारी
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्में राजन तिवारी ने कॉलेज के वक्त से ही अपराध की राह पकड़ ली थी। यूपी के कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का गैंग ज्वाइन कर राजन तिवारी ने जवानी के दिनों में साफ कर दिया था कि वह इसी राह पर चलेंगे। पहली बार राजन तिवारी राष्ट्रीय स्तर पर तब फेमस हुए जब यूपी सरकार के विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही पर हमले में उनका नाम आया। यूपी के महराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही मूल रूप से गोरखपुर कैंट के निवासी थे। 24 अक्टूबर 1996 को वह गोलघर कार्यालय से अपने घर जा रहे थे, वे कैंट में एक लॉज के पास पहुंचे तो उनकी कार पर बदमाशों ने जमकर फायरिंग की थी। हमले में शाही की जांघ में गोली लगी थी। लेकिन उनके गनर जयराम की मौत हो गई थी। इस वारदात में श्रीप्रकाश शुक्ला और राजन तिवारी समेत चार लोगों को आरोपी बनाया गया था। हालांकि सबूतों के अभाव में राजन तिवारी को 2014 में बरी कर दिया गया था।
यूपी पुलिस के डर से बिहार में रहने लगे राजन तिवारी
उत्तर प्रदेश में श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर होने के बाद राजन तिवारी बिहार भाग आए। यहां आकर उन्होंने फिर से गैंग बना लिया। यूपी पुलिस के डर से राजन तिवारी बिहार में रहकर ही अपने डर के साम्राज्य को चलाने लगे। इसी दौरान राजन तिवारी का नाम बिहार सरकार के मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या में आया। इस हत्याकांड में राजन तिवारी को निचली अदालत से आजीवन करावास की सजा भी हुई, लेकिन सबूतों के अभाव में वह साल 2014 में पटना हाईकोर्ट से बरी हो गए।
राजन तिवारी बिहार में लालू सरकार के मंत्री की हत्या में जा चुके हैं जेल
बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में राजन तिवारी 15 साल चार महीने जेल में रहे, लेकिन सियासत के गलियारे में उनका रसूख बना रहा। इसकी वजह यह रही कि जेल जाने से पहले राजन तिवारी ने अपने ऊपर लगे दाग को छुपाने के लिए खादी पहन ली। वह राजनीति में सक्रिय हो गए थे। यही वजह है कि जेल जाने से पहले और रिहा होने के बाद भी राजनीति में सक्रिय रहे।
दामन पर लगे दाग को छुड़ाने के लिए राजनीति में आए राजन तिवारी
राजन तिवारी बिहार के गोविंदगंज क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। लंबे समय तक जेल में रहने के चलते उनके रसूख में थोड़ी कमी जरूर आई है, लेकिन वह उसे दोबारा पाने की कोशिश में हैं। जेल से बाहर आने के बाद राजन तिवारी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता ली थी। इसपर काफी विवाद हुआ जिसके बाद उन्हें साइडलाइन कर दिया गया। इन दिनों दोबारा से बिहार विधानसभा चुनाव में सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने 2016 में बीएसपी ज्वाइन किया था, लेकिन वहां से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी का रुख किया है।
एलजेपी के प्रति झुकाव दिखा रहे हैं राजन तिवारी
बिहार विधानसभा चुनाव में राजन तिवारी लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के प्रति भी झुकाव दिखा रहे हैं। किसी जमाने में लालू प्रसाद यादव के करीब रहे राजन तिवारी इन दिनों मीडिया में तेजस्वी यादव की कमियां और एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान की खूबियां गिनाने में लगे हैं। इतना ही नहीं राजन तिवारी ये भी मानते हैं कि बीजेपी और एलजेपी की दोस्ती अटूट है। माना जाता है कि बृजबिहारी हत्याकांड में एक साथ जेल जाने वाले पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की मदद से राजन तिवारी एलजेपी में जाने की कोशिश में हैं। हालांकि देखना होगा कि एलजेपी या बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव में राजन तिवारी को टिकट देती है या नहीं।
राजन तिवारी, पप्पू यादव, सूरजभान सिंह की तिकड़ी रही है फेमस
राजनीति में आने से पहले राजन तिवारी, सूरजभान सिंह और पप्पू यादव की तिकड़ी फेमस रही है। तीनों अपने अपने इलाके बाहुबली रहे हैं। हालांकि सूरजभान सिंह पहले निर्दलीय फिर एलजेपी के टिकट पर विधायक और सांसद रह चुके हैं। वहीं पप्पू यादव आरजेडी के टिकट पर सांसद रहे। अब वह अपनी पार्टी चला रहे हैं। वहीं राजन तिवारी फिलहाल बीजेपी में हैं, एलजेपी से भी वह नजदीकी जाहिर कर रहे हैं।