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सरल स्वभाव के नवनिर्वाचित विधायक राम रत्न सिंह गरीबों के सच्चे मसीहा हैं
संसदीय राजनीति में त्याग तपस्या, बलिदान, और जनता के प्रति समर्पण के भाव केवल और केवल वाम दलों में ही मिलते हैं।वाम दलों के विधायक या सांसद स्वयं नहीं बल्कि अपनी पार्टी के नियम के अनुसार चलते है। यह देश एवं प्रदेश की पहले तकदीर और तस्वीर नही व्यक्ति की दशा और दिशा बदलने का प्रयास करते हैं वाम पंथी शांति, सद्भभाव और विकास में विश्वास करने वाले सच्चे योद्धा होते हैं।
बिहार के लेनिन ग्राद कहे जाने वाले बेगूसराय के तेघड़ा विधानसभा से रिकॉर्ड मतों(लगभग 48 हजार) से कामयाबी हासिल करने वाले सी पी आई के विधायक रामरतन सिंह प्रत्येक दिन सुबह 9:00 बजे अपनी साइकिल से बरौनी पार्टी कार्यालय पहुंच जाते हैं और जनता के लिए दिन भर सुलभ रहते हैं। वे बहुत ही साधारण जीवन व्यतीत करने वाले, समाज सेवा से परिपूर्ण, मृदुभाषी और नेकदिल तमाम वर्ग और धर्म का सम्मान करने वाले विधायक हैं l इनके पास चार पहिया वाहन नहीं है l राम रत्न सिंह के जज़्बे और हौसले को मेरा सलाम...
वैसे तो बेगूसराय के भूमि पर तरह-तरह के अनमोल रत्न है, जिसमें अभी तेघरा के सीपीआई विधायक श्री रामरतन सिंह है, जो कि पूरे दिन जन समस्याओं को जानने और सुनने के लिए साइकिल पर यात्रा करते हैं ! ऐसे भी बेगूसराय के सीपीएम के पूर्व विधायक तथा शिक्षक नेता स्वर्गीय बासुदेब प्रसाद सिंह भी पूरे राजनीतिक जीवन में साइकिल पर ही अपने क्षेत्र में अंतिम सांस तक जनता के जन समस्याओं को समाधान करते रहते थे,जो कि आज भी बेगूसराय के गांव की गलियों में उनकी चर्चाएं गूंज रही हैl
अभी बिहार विधानसभा का चुनाव संपन्न हुआ है इस चुनाव में कई विधायक चुने गए हैं इन विधायकों में से एक विधायक ऐसे भी हैं जो आज के आडंबर के दौर में भी सादगी से जीता है।जी हां हम बात कर रहें है। तेघरा विधानसभा से रिकॉर्ड मतों(लगभग 48 हजार) से जीते सीपीआई के विधायक रामरतन सिंह की जो पहले भी कई बार मुखिया और जिला परिषद सदस्य पद को सुशोभित कर चुके हैं और कई वर्षों से आरसीएसएस कॉलेज बीहट के सचिव और चाँद सुरज अस्पताल पपरौर के उप महानिदेशक भी रहे है।
स्टूडेंट्स क्लब जैसी कई संस्थाएं इनके संरक्षण में फल फूल रही है।इनके दिन की शुरुआत जनता के समस्याओं से शुरू होती है और दिन का अंत भी इसी तरह। प्रत्येक दिन सुबह 9:00 बजे ये अपनी साइकिल से बरौनी सीपीआई कार्यालय पर पहुंच जाते हैं और जनता के लिए दिन भर सुलभ रहते हैं।कम संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद भी ये क्षेत्र की जनता के सुख-दुख में हरदम हंसते और रोते नजर आते हैं।
समस्या चाहे थाना का हो,चाहे पढाई-लिखाई का हो,चाहे आपसी विवाद का हो या अस्पताल का लोग तुरंत सर्व सुलभ रामरतन सिंह के पास पहुंचते हैं।सादगी इतनी कि पहले उप मुखिया फिर मुखिया फिर जिला पार्षद और अब विधायक बनने के बाद भी चार चक्का वाहन का उपयोग नहीं करते और सुरक्षा गार्ड का भी नहीं।लोग इन्हें आज भी प्यार से "मुखिया जी" ही कहते हैं, इनका मानना है कि हमारी जनता गरीब है जीवन की समस्याओं से दुखी है और यही जनता हमारी मालिक भी है इनके सुख दुख में साथ रहना ही हमारी जिम्मेवारीl