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यूपी सरकार के इस प्लान पर CM नीतीश का वार, कही ये बड़ी बात?
पटना : कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से लिए जा रहे फैसले पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने सवाल उठाया है। सीएम नीतीश ने आरोप लगाया है कि यूपी सरकार लॉकडान (Coronavirus lockdown) का माखौल उड़ा रही है। सीएम नीतीश के इस बयान के इसलिए भी मायने बढ़ गए हैं, क्योंकि वे बिहार में बीजेपी के साथ सरकार चला रहे हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी की ही सरकार है।
यूपी सरकार के इस फैसले से नाराज हैं नीतीश
दरअसल, राजस्थान के कोटा में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले सामने आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। कोटा में देशभर के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए रहते हैं। कोटा में कोरोना फैलने की खबर आने के बाद इन छात्रों के लिए खतरा बढ़ गया है। मांग होने लगी है कि छात्रों को वहां से निकाला जाए। मामले को तूल पकड़ता देख राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार इन छात्रों को यहां से जाने देने को तैयार हो गई है।
इसके बाद मीडिया में खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्थान में 300 बसें भेजकर वहां फंसे अपने राज्य के छात्रों को निकालने जा रही है। यूपी सरकार की ओर से कोटा में बस भेजने की खबर आते ही निजी टीवी चैनल एनडीटीवी की ओर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) से पूछा गया कि क्या वे भी कोटा बस भेजेंगे। इसपर सीएम नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने साफ शब्दों में कहा कि यह लॉकडाउन का माखौल उड़ाने वाला फैसला है। बस भेजने का फैसला पूरी तरह से लॉकडान (Coronavirus lockdown) के सिद्धांतों को धता बताने वाला है। साथ ही सीएम नीतीश ने राजस्थान सरकार से मांग की है कि वह बसों का परमिट वापस ले। कोटा में जो छात्र जहां हैं उनकी सुरक्षा वहीं की जाए।
इस मसले पर बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने राजस्थान सरकार को पत्र भेजा है, जिसमें कहा है, 'कोटा ये यूपी के छात्रों को निकलने देने का फैसला भानुमती का पिटारा खोलने जैसा है। यदि आप छात्रों को कोटा से निकलने की अनुमति देते हैं, तो आप किस आधार पर प्रवासी मजदूरों को वहां रुकने के लिए कह सकते हैं। इसलिए राजस्थान सरकार को चाहिए कि वह बसों को जारी की गई विशेष परमिट रद्द कर दे।'
बस भेजने को लेकर भिड़ चुके हैं बीजेपी के दो डिप्टी सीएम
लॉकडाउन के दौरान बस भेजकर अपने लोगों को निकालने के सवाल पर यूपी और बिहार के बीच पहले भी टकराव के हालात बन चुके हैं। 21 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से देश में लॉकडाउन की घोषणा किए जाने के बाद दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर भारी संख्या में दिहाड़ी मजदूर जमा हो गए थे। इनमें से ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के थे। इसके बाद यूपी सरकार ने विभिन्न जिलों के लिए बसें भेजकर अपने लोगों को दिल्ली से बुला लिया था। इसपर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने साफ शब्दों में कहा था कि वह ऐसी गलती नहीं करेंगे, क्योंकि यह लॉकडाउन के नियमों का सीधा-सीधा उल्लंघन है।
इस मुद्दे पर एक निजी टीवी चैनल पर बातचीत के दौरान बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी और यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच कहासुनी हो गई थी। गौर करने वाली बात यह है कि सुशील मोदी और केशव मौर्य दोनों बीजेपी के ही नेता हैं, लेकिन अलग-अलग राज्यों की सरकारों में डिप्टी सीएम हैं।
इसके अलावा उत्तराखंड के हरिद्वार में गुजरात के करीब 1800 पर्यटक लॉकडाउन में फंस गए थे। इसपर गुजरात सरकार ने बसों से अपने सभी लोगों को अहमदाबाद बुला लिया था। यहां आपको बता दें कि गुजरात के साथ उत्तराखंड में भी बीजेपी की सरकार है।