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मोदी, तेजस्वी और चिराग के बिहार चुनाव प्रचार में क्या रहा ख़ास?
बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए प्रचार गुरुवार शाम छह बजे समाप्त हो गया. तीसरे और आख़िरी चरण में सात नवंबर को 78 सीटों पर मतदान होगा. इससे पहले पहले चरण में 71 सीटों पर 28 अक्तूबर और दूसरे चरण में 94 सीटों के लिए तीन नवंबर को वोट डाले गए थे. वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी.
चुनाव आयोग ने 25 सितंबर को चुनाव की तारीख़ों की घोषणा कर दी थी. उसके बाद से सभी पार्टियों ने ज़ोर-शोर से प्रचार शुरू कर दिया. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) वाले एनडीए गठबंधन के प्रचार की अगुआई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की.
दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और वाम दलों के महागठबंधन के प्रचार की ज़िम्मेदारी महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव और कांग्रेस के राहुल गांधी ने की.
बिहार में चुनाव प्रचार में क्या रहा ख़ास
कोरोना महामारी के दौरान बिहार देश का पहला राज्य बना, जहाँ विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. दुनिया के कई देशों में कोरोना के दौरान चुनाव करवाए जा चुके हैं, लेकिन सात करोड़ से ज़्यादा मतदाता वाले बिहार जितने बड़े किसी भी राज्य या देश में चुनाव नहीं हुए हैं. चुनाव आयोग ने गाइडलाइंस ज़रूर जारी किए हैं, लेकिन प्रचार के दौरान कई बार इसका पालन होता नहीं दिखा.
बिहार में क़रीब तीन दशक बाद कोई ऐसा चुनाव हुआ जिसमें लालू यादव, रामविलास पासवान और शरद यादव नहीं दिखे. रामविलास पासवान का आठ अक्तूबर को दिल्ली में बीमारी के बाद निधन हो गया. शरद यादव भी दिल्ली में बीमार हैं और लालू यादव चारा घोटाला मामले में दोषी पाए जाने के बाद राँची की एक जेल में सज़ा काट रहे हैं.
लालू प्रसाद की ग़ैर-मौजूदगी में उनके छोटे बेटे और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पार्टी की कमान संभाली है. तो दूसरी ओर रामविलास पासवान की जगह उनके बेटे चिराग पासवान ने ले ली है और पार्टी के प्रचार की अगुआई कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अपनी सफलता दोहराने का दबाव है, तो तेजस्वी ये कह रहे हैं कि नीतीश कुमार अब थक चुके हैं. नीतीश कुमार ने तो ये भी कह दिया है कि ये उनका आख़िरी चुनाव है. इस चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रहे हैं. हालाँकि उन्हें बीजेपी से कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि नीतीश कुमार से वे नाराज़ हैं. उनका दावा है कि इस बार नीतीश कुमार सीएम नहीं बन पाएँगे.
वहीं जेडीयू का कहना है कि इन दावों का कोई मतलब नहीं.
विपक्षी महागठबंधन ने इस चुनाव में जहाँ बेरोज़गारी का मुद्दा ज़ोर शोर से उठाया, तो बीजेपी-जेडीयू ने जंगलराज की बात की. नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार के दौरान अपना काम भी गिनाया, तो तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने कहा कि एनडीए सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है.बिहार में इस बार एनडीए और महागठबंधन के अलावा पप्पू यादव और उपेंद्र कुशवाहा का गठबंधन भी चुनावी मैदान में है.