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बाहर से लौटे मजदूरों को अब बिहार में ही काम मिल सकता है।श्रम संसाधन मंत्री जीवेश कुमार ने कहा कि बिहार से बाहर काम करने वाले मजदूरों की सरकार ट्रैकिंग कराएगी। पोर्टल बन रहा है। आकलन कर उन्हें हुनर के अनुसार काम दिया जाएगा।
बता दें कि सीएम उद्यमी योजना के तहत भी 16 हजार लोगों का चयन किया गया है। इन्हें दस लाख रुपये देकर सरकार स्वरोजगार में लगाएगी। इससे लगभग एक लाख 60 हजार युवकों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा 18 कलस्टर बनाकर कोरोना काल में बिहार लौटे युवकों को रोजगार देने की व्यवस्था हो रही है।
मंत्री विधान परिषद में देवेश कुमार के एक तारांकित प्रश्न का जवाब दे रहे थे। कहा कि यह बताना कठिन है कि कोरोना काल में लौटे 15 लाख मजदूरों में कितने वापस गये, लेकिन जो लौट गये उन्हें जल्द बिहार बुलाया जाएगा।
उस अवधि में तीस लाख मजदूरों के वापस आने की सूचना काल्पनिक है। सरकार ने एक-एक मजदूर की उस समय मुकम्मल व्यवस्था की थी। उनकी संख्या 15 लाख थी। विभाग के उक्त पोर्टल में केवल उन्हीं श्रमिकों का डाटा उपलब्ध है, जिनका रजिस्ट्रेशन क्वॉरंटीन कैम्प अथवा होम आईसोलेशन के लिए हुआ था।
महामारी की अवधि में विभाग द्वारा रोजगार के लिए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जिला स्तर पर 34 शिविर का आयोजन किया गया जिसके माध्यम से कुल 998 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। सरकार का प्रयास है कि बिहार के बार काम करने वाले सभी मजदूरों को उनकी क्षमता के अनुसार काम राज्य में ही मिले।