लाइफ स्टाइल

कंगना का मुद्दा और नेताओं का फायदा, आखिर किसकी डूबेगी कश्ती!

Shiv Kumar Mishra
10 Sep 2020 2:56 AM GMT
कंगना का मुद्दा और नेताओं का फायदा, आखिर किसकी डूबेगी कश्ती!
x
Kangana Ranaut : कुल मिलाकर जितने लोग विवाद में डायरेक्ट इन्वाल्व है किसी को कुछ नुकसान नही है।

कंगना को इस विवाद से फायदा है और वो भरपूर फायदा उठा भी रही है। उनका फिल्मी कैरियर लगभग हो चुका है, राजनीति की नई राह खुल रही है। वैसे भी फिल्म लाइन में निगेटिव हो या पोजिटिव, every publicity is good publicity मानी जाती हैं। इधर शिवसेना भी मामले को उछाल रही है। शिवसेना ने एक ही झटके में बहुतो को मैसेज दे दिया। ज्यादा बोलने वालों को नुकसान होगा भले केंद्र मेहरबान होकर y श्रेणी की सुरक्षा दे दे जरा भी मौका रहा तो कानूनन भी दिक्क्क्त उतपन्न की जा सकती है।

ऐसे में अब कंगना के अलावा बहुतो को डर लगेगा स्पेशली जिनका कुछ भी कार्य गड़बड़ रहेगा वे चुप रहेंगे। अभी तक देश भर में यह मौहाल था भाजपा के पक्ष से दूसरे दलों के लिए कोई कुछ भी कभी भी बोल देता था। जिसका राजनीति से वास्ता भी नही रहे और बीजेपी का मीडिया सेल उनके बयान को उठा लेता था। जिसे कुछ ही घण्टो में पुरे देश मे ट्रेंड करा दिया जाता और उसका राजनैतिक इस्तेमाल कर लिया जाता था। उस व्यक्तियों को भी बैठे बैठे कवरेज मिल जाता है।

अब उद्योगपति, एक्टर, समाजसेवी सब डरेंगे उतने मुखर नही होंगे, यह मैसेज गया लोगो को की बिना मतलब राजनीति पर मुँह खोलने पर नुकसान भी होगा, दुश्मनी अलग से होगी। भाजपा को तो मुद्दा मिल गया है। उनके लोग जोश में है, मीडिया सेल को जनता का मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने का भी रास्ता मिल गया है। निर्जीव पड़ी करनी सेना फिर से पिक्चर में आ गई, इन तीनो की लड़ाई में अपना वजूद ढूढने आरपीआई भी कूद पड़ी थोड़ा ही सही उनको भी कवरेज मिला।

टीआरपी के भूखे लोगो को जिन्हें पोस्टमैन व बीएमसी कर्मचारी में अंतर ही नही समझता, उनके ग्राहक भी स्क्रीन से चिपके बैठे है, उनकी भी बल्ले बल्ले है। कंगना का घर अवैध था तो टूटना ही था। अब यह कार्यवाई बस टाईमिंग का मामला है, जब कर्नाटक विधायको को डराने इनकम टैक्स की टीम केंद्रीय सुरक्षा बल लेकर रिशोर्ट में जाती है , संजीव भट का अहमदाबाद में मकान ढ़हाया जाता है। तब खुशी खुशी ताली बजाने वालो को कोई हक नही बनता की कंगना के घर तोड़ फोड पर सियापा फैलाये।

देखते रहिये देर सबेर सभी राज्य सरकारें इसी पैटर्न को फॉलो करेंगी। अभी तो बस शुरुआत है। श्रद्धा से ओत प्रोत होकर इसी तरह सरकार गिराने, नेता ख़रिदने के मंडी को देख, ताली बजाते रहिये, लोकतंत्र को कितना नुकसान हुआ, वह देखते रहिये! यह तो बस आरम्भ है। कानून और सिस्टम की जब भी बाहें तोड़ मरोड़ कर बेजां इस्तेमाल होगा नुकसान जनता का होगा। आज नही तो कल नम्बर सबका आएगा।

कुल मिलाकर जितने लोग विवाद में डायरेक्ट इन्वाल्व है किसी को कुछ नुकसान नही है।

Win win situation सबके लिए है, बजाए हम जैसे लोगो के! जो इन अनावश्यक के मुद्दों को टीआरपी देते है। मुख्य व मूल मुद्दों को भूलकर ऐसे महत्वहीन मुद्दों पर लड़ते है । हम राजनीति को राजनीति की तरह नही देखते व न ही समझते हैं, बल्कि इन मुद्दों को भावना से देखते समझते हैं, जिसका बेजां इस्तेमाल करना राजनेता व फिल्मी कलाकार भलीभांति जानते हैं।

शैलेश तिवारी

Next Story