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- सुशांत सिंह की याद में...
सुशांत सिंह की याद में विवेक ओबेरॉय का ओपन लेटर, बॉलीवुड को सुनाई खरी-खोटी
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद एक्टर विवेक ओबेरॉय ने ट्विटर पर एक ओपन लेटर लिखा है. इस लेटर में विवेक ने अपने दिल की वो सारी बातें लिखी हैं जो उन्होंने अंमित संस्कार के दौरान और हमेशा इस इंडस्ट्री के बारे में महसूस की हैं. विवेक का ये ट्वीट काफी वायरल हो रहा है.
उन्होंने लिखा, "आज सुशांत के अंतिम संस्कार में शामिल होते हुए बहुत तकलीफ हो रही थी. मैं सच में ये दुआ करता हूं कि काश मैं उसके साथ अपना पर्सनल एक्सपीरियंस साझा कर पाता और उसके दर्द को कम करने में उसकी मदद कर पाता. इस दर्द का मेरा अपना सफर रहा है, ये बहुत तकलीफभरा और बहुत अकेला हो सकता है."
विवेक ने बताया, "...लेकिन मौत कभी भी उन सवालों का जवाब नहीं हो सकती है, आत्महत्या कभी कोई हल नहीं हो सकती है. काश वह अपने परिवार, अपने दोस्तों और उन फैन्स के बारे में सोचना बंद कर देता जो आज इस बड़े नुकसान को महसूस कर रहे हैं... उसने एहसास किया होता कि लोग उसकी कितनी परवाह करते हैं."
"आज जब मैंने उसके पिता को देखा उसकी चिता को अग्नि देते हुए, तो उनकी आंखों में जो दर्द था वो नाकाबिल-ए-बर्दाश्त था. जब मैंने उसकी बहन को रोते देखा और उसे वापस आ जाने के लिए कहते देखा तो मैं बता नहीं सकता कि मुझे अपने मन की गहराई में कैसा महसूस हुआ था."
उन्होंने लिखा, "उम्मीद करता हूं कि हमारी इंडस्ट्री जो खुद को एक परिवार कहती है खुद का गंभीर रूप से अवलोकन करेगी, हमें बेहतर बनने के लिए बदलने की जरूरत है, हमें एक दूसरे की बुराइयां करने से ज्यादा एक दूसरे की मदद करने की जरूरत है. अहंकार के बारे में कम सोचते हुए टैलेंटेड और डिसर्विंग लोगों की तरफ ध्यान देने की जरूरत है."
#RIPSushantSinghRajput 🙏 pic.twitter.com/gttlJHY3r3
— Vivek Anand Oberoi (@vivekoberoi) June 15, 2020
बॉलीवुड के लिए वेकअप कॉल
"इस परिवार को वाकई एक परिवार बनने की जरूरत है. वो जगह जहां टैलेंट को तराशा जाता है न कि उसे नष्ट किया जाता है. ये हम सभी के लिए एक वेकअप कॉल है. मैं मुस्कुराते रहने वाले सुशांत को हमेशा मिस करूंगा, मैं दुआ करूंगा कि ईश्वर वो सारा दर्द ले ले जो तुमने महसूस किया है मेरे भाई, और तुम्हारे परिवार को इस नुकसान का सामना करने की शक्ति दे. उम्मीद है कि अब तुम एक बेहतर जगह पर होगे. शायद हम लोग तुम्हें डिजर्व ही नहीं करते थे."