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उद्योग नहीं धंधा है, वित्त मंत्री अँधा है, मोदी हम शर्मिंदा हैं - ज्वैलर्स
Special News Coverage
1 April 2016 6:10 AM GMT
नई दिल्ली
केंद्र सरकार बनाम ज्वैलर्स हड़ताल दिनोंदिन बढती जा रही है और ज्वैलर्स की गुस्सा का पारा वित्त मंत्री अरुण जेटली एवम बीजेपी के खिलफ फूटता नजर आरहा है। ज्वैलर्स चाहते है कि हम बिना टेक्स पेय किये अपना व्यापर चलाते रहे, जबकि सरकार कह रही है कि एसा हम नहीं होने देंगे।
क्या है मामला
सरकार को आपकी कमाई से टैक्स लेने का अधिकार है क्योंकि उसी पैसे से सरकार आपके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करती है, आपके लिए रोड बनती है, आपके लिए रेल चलाती है, पावर हाउस बनाती है, स्कूल, अस्पताल और नहरें बनाती है, पानी की सप्लाई की व्यवस्था खड़ी करती है। अगर आप सोचते हैं की आप अपनी कमाई का सरकार को टैक्स नहीं देना चाहते तो आप गलत है। अगर आप चाहते हैं की आपकी कमाई का आपके पैन कार्ड में एंट्री ना हो तो आप गलत हैं। हमारे देश के ज्वेलर्स यही चाहते हैं, ये लोग चाहते हैं की इनकी कमाई का सरकार कोई हिसाब ना ले, इनसे ग्राहकों को पक्का बिल देने के लिए ना कहे, पक्के बिल पर इनका पैन कार्ड ना मांगे, इनसे एक्साइज़ ड्यूटी और टैक्स ना मांगे, ज्वैलर्स चाहते हैं की सरकार उनसे टैक्स भरने के लिए ना कहें और ये दिन दूना रात चौगुना कमाई करके अपनी इमारतें खड़ी करते रहें।
मोदी सरकार ज्वेलरों की कमाई का पाई पाई का हिसाब चाहती है। कालेधन का पूरा हिसाब चाहती है, एक्साइज़ ड्यूटी लगाकर यह जानता चाहती है कि ज्वेलर्स सोना कहाँ से खरीदते हैं, उसकी ज्वेलरी कैसे बनाते हैं और किसे बेचते हैं, उस ज्वेलरी से कितना कमाते हैं और सरकार को कितना टैक्स देते हैं।
चोरी पकडे जाने के डर से सुनार चाहते हैं की मोदी सरकार एक्साइज ड्यूटी का कानून वापस ले ले और उनको बेईमानी करने दें। ज्वेलर्स चाहते हैं की सरकार उनकी कमाई का हिसाब ना ले, इसके लिए पूरे देश के ज्वेलर्स मोदी सरकार को ब्लैकमेल कर रहे हैं।
२.5 लाख से ऊपर कमाई करने वाले हर भारतीय सरकार को टैक्स देता है लेकिन ज्यादातर सुनार 10-20 लाख सालाना कमाई करने के बाद भी सरकार को टैक्स नहीं देते। टैक्स ना देने के लिए देश भर के सुनार मोदी सरकार को ब्लैक करने पर उतर आये हैं और सुनारों का साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी दे रहे हैं क्योंकि वे सुनारों में एक बड़ा वोटबैंक देख रहे हैं लेकिन देश की जनता भी बहुत चालक है, पूछने पर सभी बताते हैं कि सुनार बहुत लूटते हैं लेकिन सरकार को टैक्स नहीं देते।
ज्वेलर्स का क्या है कहना
1-वैट दो, एक्साइज दो, तीन गुना कस्टम ड्यूटी दो, बिल के साथ PAN नंबर दो, जैसे कि हम ज्वेलरी नहीं बल्कि RDX या AK47 बेच रहे हैं।
2-उद्योग नहीं धंधा है, वित्त मंत्री अँधा है, मोदी हम शर्मिंदा हैं, तुम मार रहे हम जिन्दा हैं, अगर ना देते तुमको वोट, ना होती रोजी रोटी पर चोट।
3-हीरे की पहचान तो जोहरी ही कर सकता है लेकिन आपको तो पहचानने में जोहरी ही दोखा खा गए मोदी साहब, क्या यही है स्वर्णकारों और सर्राफा व्यापारियों के अच्छे दिन।
4-भारतीय जनता पार्टी – सदस्यता छोडो अभियान, काला कानून – एक्साइज ड्यूटी एक्ट, के विरोध में व्यापारीगण स्वर्णकार भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र दे रहे हैं, हमने तुमको मौका दिया तुमने हमको धोखा दिया।
जेटली हटाओ, व्यापार बचाओ
कांग्रेस पार्टी के वित्त मंत्री प्रणब मुख़र्जी ने जो सोने पर एक्साइज का बीज 2012 में बोया था, वो अब कांटो का वृक्ष बन गया है है, अब उस वृक्ष को अरुण जेटली पानी दे रहे हैं, अब हम स्वर्णकार भाई इस वृक्ष को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे।
स्वर्णकारों के साक्षात् हनुमान बनकर उतरे केजरीवाल, केजरीवाल ने सभी मुख्यमंत्रियों को लेटर लिखा और कहा कि काले कानून का खुलकर विरोध करें, यह कानून सर्राफा व्यापारियों के लिए ही नहीं बल्कि देश के विकास के लिए घातक है, दिल्ली के मुख्यमंत्री को शुक्रिया।
अगर मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी है तो भ्रस्टाचार का नाम एक्साइज यानी इंस्पेक्टर राज, बेशर्मी का नाम अरुण जेटली और ख़ामोशी का नाम महात्मा गाँधी, एक्साइज ड्यूटी वापस लो।
हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था, स्वर्ण व्यापारियों की कश्ती वहां डूबी जहाँ पानी कम था।
हमारी भूल, कमल का फूल।
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