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मौद्रिक समीक्षाः ब्याज दरें 6.75 से नहीं होगी कम
Special News Coverage
2 Feb 2016 6:11 AM GMT
मुंबई
रिजर्व बैंक से साल 2016 के अपने पहले मौद्रिक समीक्षा की शुरुआत ब्याज दर को अपरिवर्तित रखते हुए किया। केंद्रीय बैंक का तर्क है सुधार नीतियों के जोर पकड़ने के बाद ही रेपो रेट में कटौती का सार्थक परिणाम देखने को मिलता है। विशेषज्ञ पहले से ही इस बात का अंदेशा जाहिर कर रहे थे कि ब्याज दर अपरिवर्तित रहेंगे। लेकिन नये साल में अर्थव्यव्स्था के सुधार के लिए गवर्नर रघुराम राजन के बयान काफी मायने रखेंगे। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आज होने वाले मौद्रिक समीक्षा को लेकर आर्थिक जानकारों व ब्रोकरेज हाउसों के बीच कयासों का दौर जारी रहा। वर्तमान में रेपोरेट 6.75 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 4 फीसदी है।
गवर्नर रघुराम राजन बोले
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि वर्ष 2016-17 में महंगाई दर वर्तमान स्तर पर ही रहने का अनुमान है। सातवां वेतन आयोग के इंपेक्ट और मानसून व सुखे की स्थिति का भी रिजर्व बैंक समीक्षा करेंगा, उसके बाद ही आने वाले समय में रेट कट का निर्णय लेगा। रिजर्व बैंक ने कहा है कि एक से दो साल तक सातवें वेतनमान का असर रहेगा। रिजर्व बैंक यह देखना चाहता है कि सरकार इसे कब से लागू करती है। राजन ने कहा कि सरकार के कदम पर निर्भर करता है कि वह सातवां वेतन आयोग के लिए क्या कदम उठाती है। रिजर्व बैंक ने संकेत दिया है कि अगले एक साल तक रेट कट की संभावना नहीं है। मौजूदा वित्त वर्ष में विकास दर 7.4 फीसदी रहेगा। अगले वित्त वर्ष में 7.6 फीसदी रहने का अनुमान है।
कई विशेषज्ञों का मानना था कि रघुराम राजन बजट से ठीक पहले ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं करेंगे और बजट घोषणाओं व सरकारों की नीतियों का इंतजार करेंगे। जबकि कुछ का कहना था कि रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की जा सकती है। गौरतलब है कि पिछले दिनों रघुराम राजन ने कहा था कि महंगाई दर में नियंत्रण जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को देखते हुए सरकार को राजकोषीय घाटा पर नियंत्रण रखना चाहिए था। ब्याज दरों के घटने से महंगाई बढ़ सकती है। कुछ अर्थशास्त्रियों को मानना है कि सरकार राजकोषीय घाटे का चिंता करने की बजाय सरकारी खर्च बढ़ाना चाहिए ताकि लोगों के पास पैसा पहुंच सके। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) कल होने वाली अपनी छठी द्वैमासिक नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरें अपरिवर्तित रख सकता है। यह बात सिंगापुर के प्रमुख बैंक डीबीएस ने कही।
कब-कब रिजर्व बैंक ने की ब्याज दरों में कटौती
साल 2015 में रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षा में चार बार ब्याज दरों मं कटौती की है। 2015 की शुरुआत में रेपो रेट 8 फीसदी था। रिजर्व बैंक ने 15 जनवरी 2015 को साल की पहली कटौती करते हुए 0.25 फीसदी बेसिस अंक की कटौती की घोषणा की। इसके साथ ही रेपो रेट 7.75 फीसदी हो गया। हालांकि पहली कटौती के बाद अधिकतर बैंकों ने इसका फायदा अपने ग्राहकों को नहीं दिया। बाद में रिजर्व बैंक ने 4 मार्च 2015 को रेपो रेट में दूसरी कटौती की। इस बार भी केंद्रीय बैंक ने 25 बेसिस अंक की कटौती की। इस कटौती के बाद रेपो रेट 7.50 हो गया। रेपो रेट में तीसरी कटौती रिजर्व बैंक की 2 जून को हुई मौद्रिक समीक्षा में की गयी। इस समय भी रेपो रेट में 25 बेसिस अंक की कटौती की गयी। इस कटौती के बाद रेपो रेट 7.25 फीसदी रह गया। साल की अंतिम कटौती 29 सितंबर 2015 को की गयी। रघुराम राजन ने एक अप्रत्याशित फैसला लेते हुए इस बार 50 बेसिस अंक की कटौती कर दी। इस कटौती के बाद रेपो रेट 6.75 फीसदी रह गया है।
स्रोत प्रभात खबर
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