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बजाज के बाद अब पारले बिस्कुट ने की बड़ी घोषणा, जो TV चैनल नफरत फैलाते है उन्हें नहीं देंगे विज्ञापन

Shiv Kumar Mishra
12 Oct 2020 11:02 AM GMT
बजाज के बाद अब पारले बिस्कुट ने की बड़ी घोषणा,  जो TV चैनल नफरत फैलाते है उन्हें नहीं देंगे विज्ञापन
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बजाज कम्पनी लिमिटेड के बाद बिस्किट बनाने वाली कम्पनी पारले जी ने तय किया है कि वह ऐसे टीवी चैनलों को विज्ञापन नहीं देगी जो टॉक्सिटी प्रसारित करते हैं, सनसनी फैलाते हैं, नफरत फैलाते हैं। पारले जी का ये फैसला सामान्य दृष्टि से तो साधारण है। आखिर घृणा और झूठ फैलाने वालों को विज्ञापन के माध्यम से फंड करने का मतलब है। घृणा के कारोबार में खुद भी भागीदार बनना इसलिए ये बेहद सामान्य है कि कोई कम्पनी ऐसा न करे।

लेकिन ऐसे दौर में जबकि ऐसे किसी भी फैसले के बाद दक्षिणपंथी नफरती चिंटू बायकॉट कैम्पेन शुरू कर देते हैं। तब पारले जी का ये निर्णय एक साहसी फैसला लगने लगता है। आज रिपब्लिक tv जैसे टीवी चैनल पर आम आदमी पार्टी का विज्ञापन भी आता है। जबकि ये वो पार्टी है जो बदलाव की राजनीति करने का वायदा करके चुनावों में उतरी थी लेकिन वह भी नफरत के इस साम्राज्य में हिस्सा लेने से नहीं चुकी, ऐसे में एक कॉरपोरेट कम्पनी का ये निर्णय लेना अपने आप में बहुत बड़ी बात है।

बजाज कम्पनी और पारले जी के इस निर्णय को लोगों को बताने की जरूरत है। ताकि जनता इस निर्णय का स्वागत करे, बाकी कम्पनियां भी ऐसा करें तो घृणा फैलाने वाले चैनलों को या तो अपना चैनल बदलना पड़ जाएगा या घृणा फैलाना बन्द करना पड़ेगा। टीवी चैनल कॉरपोरेट के विज्ञापन के पैसे के बिना नहीं चल सकते। रिपब्लिक टीवी, जी न्यूज, सुदर्शन टीवी जैसे चैनलों और अखबारों का पूरा कारोबार कॉरपोरेट और सरकारी विज्ञापनों के दम पर चलता है।

सरकार केवल उन्हीं चैनलों, अखबारों को विज्ञापन देती है जो सरकार के भौंपू बनकर काम करते हैं, सरकार उन चैनलों को विज्ञापन देना बन्द कर देती है जो जनसरोकारों को उठाते हुए सरकार से जरूरी प्रश्न करते हैं। फलस्वरूप नफरती चैनल दिनरात फलते फूलते हैं और अच्छे समाचार चैनल बन्द हो जाते हैं या संसाधनों की कमीं से जूझते रहते हैं। लेकिन टीवी चैनल केवल सरकारी विज्ञापन के पैसे से नहीं चल सकते, अंततः कॉरपोरेट ही इन सब टीवी चैनलों की रीढ़ की हड्डी है। यदि कॉरपोरेट तय कर ले कि वह ऐसे चैनलों को विज्ञापन देंगे जो झूठ-फरेब, अफवाह और घृणा नहीं बेचते, ऑटोमेटिकली मीडिया की स्थिति सुधर जाएगी।

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