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किसने तोड़ा जन्म दिन पर ताजपोशी का अदानी का सपना !!!
-शेयर बाजार में हुए सनसनीखेज खुलासे के बाद से तेजी से गिर रही अदानी की हैसियत
- 24 जून को अपने जन्म दिन तक अदानी अब नहीं छीन पाएंगे अंबानी से एशिया के सबसे बड़े धनकुबेर उद्योगपति का सिंहासन
अगले कुछ दिनों बाद यानी 24 जून को नरेंद्र मोदी के अति प्रिय धनकुबेर गौतम अदानी का जन्म दिन है. अभी कुछ ही रोज पहले तक खबरें आ रही थीं कि पिछले एक बरस से हर रोज अपनी दौलत में दिन-दूनी, रात-चौगुनी रफ्तार से इजाफा कर रहे अदानी अब मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ कर अपने जन्म दिन तक भारत ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे बड़े धनकुबेर बन जाएंगे.
दोनों के बीच अंतर भी बहुत कम रह गया था. करीब 63,530 करोड़ रुपए की संपत्ति अर्जित करते ही अडानी एशिया के सबसे रईस उद्योगपति बन जाने वाले थे.
जाहिर है, बरसों से एशिया में सबसे अमीर उद्योगपति के सिंहासन पर विराजमान मुकेश अंबानी इन खबरों से विचलित तो हो ही रहे होंगे. लेकिन अंबानी की बादशाहत छिनती, उससे पहले अचानक सुचेता दलाल नाम की एक महिला पत्रकार ने अपने ट्वीट से विस्फोट करके अदानी को धनकुबेरों की सूची में वापस नीचे ला पटका. सुचेता दलाल वही नामचीन पत्रकार हैं, जिन्होंने कभी हर्षद मेहता का घोटाला उजागर करके भारत के शेयर बाजार को लंबे अरसे के लिए धराशाई कर दिया था.
इस बार सुचेता ने अदानी के समूह के शेयरों में तेजी के लिए विदेश से हो रहे अरबों रुपए के संदिग्ध निवेश को उजागर कर दिया. यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि सुचेता को इन विदेशी फंड की जानकारी उसी तरह मिली होगी, जिस तरह हर्षद मेहता के घोटाले की जानकारी उन्हें हर्षद के प्रमुख कारोबारी प्रतिद्वंदी ने दी थी. हालांकि अदानी ने जिस तरह एक के बाद भारत के सभी धनकुबेरों को पीछे छोड़ा है, उसके कारण उनसे घबराने या शत्रुता मानने वालों की लंबी सूची भी होगी ही. इस लिस्ट में से सुचेता तक इस राज को पहुंचाने वाले का नाम ढूंढना आसान नहीं है. लेकिन यह संयोग भी दिलचस्प ही है कि अदानी कुछ ही दिनों के भीतर मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ने वाले थे कि तभी अचानक किसी विभीषण ने उनकी नाभि में अमृत का राज सुचेता तक पहुंचा दिया.
इस खुलासे के बाद, Bloomberg Billionaires Index के मुताबिक अडानी एशिया के अमीरों की लिस्ट में तीसरे स्थान पर खिसक गए हैं। पिछले 3 दिन में उनकी नेटवर्थ में 9.4 अरब डॉलर यानी करीब 69263 करोड़ रुपये की गिरावट आई है। यानी जितनी दौलत कुछ दिनों में जोड़कर वह अपने जन्म दिन पर एशिया का सबसे रईस उद्योगपति बनने का सपना देख रहे थे, उससे ज्यादा दौलत सुचेता ने उनसे तीन दिनों में छीन ली.
सुचेता के ट्वीट का ही असर है कि अदानी के शेयर जितनी तेज रफ्तार में चढ़ रहे थे, उससे भी तेज रफ्तार से अब हर रोज नीचे आते हुए अदानी और अंबानी के बीच का फासला फिर पहले जैसा करते जा रहे हैं. भले ही अदानी जल्द ही संभल जाएं लेकिन अंबानी की बादशाहत को अदानी से मिली तात्कालिक चुनौती अब लंबे समय के लिए टल गई है.
दरअसल एक साल में ऐसी हैरतअंगेज तरक्की और अंबानी की बादशाहत को खत्म करने लायक दौलत अदानी को शेयर बाजार से ही मिल रही थी. लिहाजा इस पर किया गया वार उनकी नाभि में लगे तीर की तरह घातक साबित हुआ.
आंकड़ों के मुताबिक, इस साल मई में रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति 5.73 लाख करोड़ रुपए आंकी गई थी. जबकि इस साल मई के आखिर तक अदानी कुल 4.98 लाख करोड़ रुपए संपत्ति के साथ एशिया के दूसरे अमीर बन चुके थे. इसमें से आधी दौलत अदानी ने इस साल ही कमाई है यानी उनकी दौलत में लगभग 2.47 लाख करोड़ रुपए का इजाफा इसी साल हुआ है. इसी एक साल से अडानी ग्रुप के शेयर की कीमतों में भी लगातार तेजी देखी जा रही है. शेयरों की इसी तेजी के कारण इस साल अडानी की संपत्ति दुनिया के सबसे अमीर शख्स जेफ बेजोस और एलन मस्क से भी तेज गति से बढ़ी.
अडानी की शेयर बाजार में लिस्टेड 6 कंपनियों का मार्केट कैप एक साल में 41.2 गुना बढ़ा है. पिछले साल अदानी ग्रुप की कंपनियों का मार्केट कैप 1.5 लाख करोड़ रुपए था, जो बढ़कर अब 8.5 लाख करोड़ रुपए हो गया है.
एक साल में अदानी ग्रुप के शेयरों में पैसा लगाने वालों को मिला रिटर्न देखें तो अदानी इंटरप्राइजेज का रिटर्न 12.18 गुना, ग्रीन एनर्जी का 4.5 गुना, अदानी टोटल गैस का 13.44 गुना, अदानी ट्रांसमिशन का 8.66 गुना, अदानी पावर का 4.11 गुना और अदानी पोर्ट का 3.02 गुना रिटर्न रहा है।
बहरहाल, इन दिनों गौर करने वाली एक दिलचस्प बात यह भी है कि मोदी की लोकप्रियता भी आजकल कोरोना के कारण मची तबाही से उसी तरह गिर रही है, जिस तरह अदानी समूह की दौलत इन दिनों गिर रही है. जबकि इससे पहले पिछले दो दशक से अदानी की तरक्की का ग्राफ भी नरेंद्र मोदी की तरक्की के ग्राफ के साथ ही बढ़ता जा रहा था.
साल 1998 में जब नरेंद्र मोदी को गुजरात में विधानसभा चुनावों की चयन समिति का सदस्य बनाया गया तो उसी वक्त केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार भी बनी. मोदी के गुजरात की राजनीति में अहम होते ही अदानी को गुजरात में सैकड़ों करोड़ का पहला ठेका मिला. यानी मोदी ने राजनीति में तो अदानी ने व्यापार में पहला मजबूत पड़ाव आगे पीछे ही हासिल किया. फिर अदानी को अगली कामयाबी 2001 में मिली और उसी साल नरेंद्र मोदी भी गुजरात के मुख्यमंत्री बन गए.
फिर गुजरात में मोदी बतौर मुख्यमंत्री 2014 तक अपना एकछत्र राज कायम करके फलते फूलते रहे तो उनकी छत्रछाया में अदानी भी गुजरात में एक के बाद एक बढ़िया ठेके पाकर दोनों हाथों से धन बटोरते रहे. हालांकि अदानी इस दौरान केवल गुजरात तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि कांग्रेस व अन्य दलों के शासन वाले प्रदेशों या केंद्र में भी अदानी ने बढ़िया ठेके हासिल किए.
फिर 2014 से केंद्र में मोदी युग आया तो अदानी समूह ने तरक्की की ऐसी उड़ान भरी कि जिस तरह मोदी भारत में सबसे ताकतवर नेता बनकर दुनियाभर में अपना नाम कायम करने में कामयाब रहे, ठीक उसी तरह गुजरात के एक औद्योगिक समूह के रूप में बनी अदानी की पहचान भी न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि ग्लोबल हो गई.