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मुकेश अंबानी ने बिग बाजार डील के नाम पर जिस तरह का खुला खेल खेला है , वह अगर अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया आदि विकसित देशों में किसी भी बड़े से बड़े उद्योगपति ने खेला होता तो वहां उसका जेल जाना तय था। कुल 24-25 हजार करोड़ की डील होते ही अंबानी ने बिना पूरा भुगतान किए महज कानूनी दांवपेंच खेल कर बिग बाजार स्टोर्स हथिया लिए। फिर फ्यूचर ग्रुप के शेयरधारकों और कर्जदाता बैंक आदि का हजारों करोड़ न देना पड़े, इसके लिए डील ही रद्द कर दी।
अब फ्यूचर ग्रुप के शेयरधारकों के पास कर्ज में डूबी, कंगाल और स्टोर विहीन कम्पनी के शेयर रूपी कागज के टुकड़े ही बचे हैं। जाहिर है, कारोबार विहीन, कर्जदार और दीवालिया कम्पनी को लेने के लिए अब न तो अमेज़न कोई रुचि दिखाएगी और न ही कम्पनी खुद अपने पांव पर खड़ी हो पाएगी।
ऐसे में फ्यूचर ग्रुप के शेयरधारक और कर्जदाता अपने हजारों करोड़ के डूबने का शिकवा लेकर कहां जाएंगे, यह भी बड़ा पेचीदा सवाल है। कानूनी दांव- पेंच लगाकर जिस शातिराना ढंग से ये हजारों करोड़ और फ्यूचर ग्रुप के स्टोर्स हथियाए गए हैं, उसे लूट साबित कर पाना तब ही संभव है, जब खुद सरकार या मीडिया, न्यायपालिका आदि दिन दहाड़े हुई इस लूट को देखने लायक अंतरात्मा अपने भीतर जगा सकें।