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एमएसएमई को बड़ी राहत, रियल एस्टेट को बोले तो लॉलीपॉप

Shiv Kumar Mishra
14 May 2020 3:18 AM GMT
एमएसएमई को बड़ी राहत, रियल एस्टेट को बोले तो लॉलीपॉप
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आलोक कुमार

आप सभी से कल वादा किया था कि राहत पैकेज की घोषणा पर अपनी टिप्पणी दूंगा। त्वरित टिप्पणी तो नहीं दे पाया क्योंकि अभी-अभी ऑफिस काम से फुर्सत पाया हूं। मेरा मानना है कि आज के राहत पैकेज से मध्यम, सूक्ष्म, लघु उद्योग, कुटीर उद्योग और घरेलू उद्योग (एमएसएमई) को बड़ी राहत मिलेगी। कोरेाना संकट और लॉकडाउन से प्रभावित एमएसएमई सेक्टर को 3 लाख करोड़ के कोलेट्रल फ्री लोन और 12 महीने की ईएमआई छूट से पटरी पर लौटने में मदद मिलेगी।

पैकेज श्रृंखला के पहले चरण से यह संकेत जरूर मिले हैं कि सरकार को संकट का भान है। इसलिए करीब 11 करोड़ लोगों का जॉब देने वाले और जीडीपी में करीब 30 फीसदी योगदान देने वाले एमएसएमई सेक्टर को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने पूरा जोर लगा दिया। न सिर्फ लोन सहायता बल्कि एमएसएमई की परिभाषा बदलकर भी सहायता देने की कोशिश की गई। इसके साथ ही एनबीएफसी को 75 हजार करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी देकर भी राहत देने की कोशिश की गई है। यह सब छोटे कारोबारियों को एक बार फिर से इस संकट की घड़ी में लड़ने की ताकत देगा। लेकिन, एक चूक जरूर हुई कि इस सेक्टर में काम करने वालों के वेलफेयर की कोई बात नहीं की गई जो बहुत जरूरी था।

आम आदमी को पहले पैकेज में टीडीएस की दरों में 25% की कटौती कर राहत देने की कोशिश की गई है। इससे आम लोगों के हाथ में 50 हजार करोड़ की नकदी आएगी जो अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद करेगी। इसके साथ ही रिटर्न भरने की सीमा के साथ विवाद से विश्वास स्कीम की डेडलाइन भी बढ़ाई गई है। हालांकि, आम लोगों के लिए यह नकाफी है और मैं उम्मीद कर रहा हूं कि आने वाले दिनों में बड़ी घोषणाएं होंगी।

अब लौटते है रियल एस्टेट सेक्टर पर तो एक बार फिर सरकार ने इसे झुनझुना पकड़ाने का काम किया है। क्यों न क्यों मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी इस सेक्टर को बड़ी करीब से समझते हैं। जिस तरह से उनकी टेढ़ी नजर इस सेक्टर पर शुरू से वह इस बात का संकेत है कि वह इसे सुधारने का मन बना चुके हैं। वहीं, डेवलपर्स ठान लिए हैं कि हम तो सुधरेंगे नहीं। अब यह तो वक्त ही तय करेगा कि कौन किसे सुधरता है लेकिन एक बात तो तय है कि इस सेक्टर के अच्छे दिन अभी नहीं आने वाले हैं।

मेरा खुद का भी मानना है कि जब तक डेवलपर्स और ब्रोकर अपने काम करने के तरीके और पारदर्शिता नहीं लाएंगे इस सेक्टर को भागवान भी पटरी पर नहीं ला पाएंगे। कोरोना संकट अभी खत्म नहीं हुआ है लेकिन कुछ डेवलपर्स के विज्ञापन देखकर मुझे खुद लगा कि ये कुत्ते की दुम हैं (माफ कीजिए) जितना धी तेल लगा लो सुधरेंगे नहीं। जब तक इनमें सुधार नहीं आएगा विश्वास बहाली नहीं होगी। विश्वास बहाली नहीं होने पर ये लाख घोड़े खोल लें घर की बिक्री नहीं बढ़ेगी।

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

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