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भ्रष्टाचार और रिश्वत खोरी से ऐसे चल रही है लड़ाई, सबका नंबर आएगा, चुन-चुन कर कार्रवाई होगी
संजय कुमार सिंह
रिश्वत देने की शिकायत पर क्या कार्रवाई हुई यह तो पता नहीं चला लेकिन फेसबुक पर टिप्पणी के लिए पेज चलाने वाले को गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उसने भाजपा पर पत्रकारों को रिश्वत देने का आरोप लगाया था। हालांकि उसी दिन जमानत मिल गई। पर परेशान करने और धमकाने का मकसद तो पूरा हो ही गया। भले संबंधित व्यक्ति पर असर न हो, दूसरों पर तो होगा ही। दिलचस्प यह है कि शिकायत मिलने पर पेज चलाने वाले पत्रकार Tsewang Rigzin ने कहा कि 34,000 सदस्यों वाले फेसबुक पेज की टिप्पणियों को नियंत्रित करना संभव नहीं है और वे आपत्तिजनक टिप्पणी को डिलीट कर देते हैं। पर उनसे कहा गया कि वे ऐसा न करें क्योंकि इससे सबूत नष्ट हो जाएगा।
दूसरी ओर, सरकारी अधिकारी कमेंट करने वाले का पता नहीं लगा पाए। और ऐसे में जो होना था वही हुआ, रिगजिन को गिरफ्तार कर लिया गया। कहने की जरूरत नहीं है कि यह सब तय योजना के तहत हुआ होगा वरना किसी की टिप्पणी के लिए किसी और को गिरफ्तार करने का कोई मतलब नहीं है। ना इस दलील का कि आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाला नहीं मिला। द टेलीग्राफ में आज प्रकाशित एक खबर से यह जानकारी मिली। यह तो कानून की ऐसी व्याख्या का मामला है जिससे किसी को फंसाया जा सकता है।
बेशक, इससे बचने का एक ही उपाय है कि आप, मैं या कोई और फेसबुक पेज न चलाए क्योंकि हजारों सदस्यों में किसी एक के आपत्तिजनक पोस्ट को डिलीट करना किसी भी फेसबुक पेज या ग्रुप के लिए संभव नहीं है। और दिलचस्प यह है कि कोई ऐसी व्यवस्था कर भी ले तो उसे आपत्तिजनक पोस्ट डिलीट करने यानी सबूत नष्ट करने के आरोप में पकड़ा जा सकेगा। इस तरह किसी को भी फंसाया जा सकता है। इसलिए सीख और संदेश यह है कि फेसबुक पेज मत चलाइए और चलाइए तो सरकार का गुन गान कीजिए। राजा का बाजा बजाइए।
मैं भी कुछेक ग्रुप का एडमिन हूं। पेज चलाता हूं। हमलोग बहुत सोच समझकर सदस्य बनाते हैं। और आपत्तिजनक पोस्ट तुरंत डिलीट कर देते हैं पर मुझे आज पता चला कि आपत्तिजनक पोस्ट डिलीट करना सबूत नष्ट करना है। बेशक इसे सही और जरूरी ठहराने के भी तर्क हैं और ऐसा आम तौर पर नहीं होगा। लेकिन किसी को फंसाना हो तो उससे यह अपराध करवाया जा सकता है और इसके लिए भी कार्रवाई हो सकती है। डिजिटल इंडिया में यह भी संभव है।
द टेलीग्राफ में ही आज एक और खबर है। खबरों और तथ्यों की जांच करने वाले अल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर को भी परेशान करने का तरीका ढूंढ़ा गया है और इसके लिए बच्चों की रक्षा करने वाले एक अच्छे-भले कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। हुआ यह है कि जुबैर ने एक गालीबाज के ट्वीटर प्रोफाइल में लगी फोटो में एक बच्ची की तस्वीर का चेहरा धुंधला कर गालीबाज से पूछा था कि क्या आपकी पोती (उम्र के अंतर के लिहाज से) को पता है कि आप लोगों को गाली देने का काम करते हैं?
मोहम्मद जुबैर के इस 'अपराध' के लिए शिकायत की गई है और कार्रवाई चल रही है। साथ ही #IStandWithZubair भी चल रहा है। जब आप आंखबंद करके सरकार का समर्थन करेंगे ताली-थाली बजाएंगे। बत्ती बुझाकर दीया जलाएंगे तो सरकार वही करेगी जो वह चाहती है। अगर ताली बजाने से कोरोना नियंत्रित रहा तो रिया की गिरफ्तारी से नशा भी बंद हो जाएगा। यह अलग बात है कि कुंभ में गांजा-भाग की सप्लाई सुनिश्चित की जाती है। जब गिरफ्तार करना हो तो यह अपराध हो जाएगा। टेलीविजन चैनल भी इसी हिसाब से दिखाएंगे जैसा कल हुआ। रिपोर्टर कह रहा था सुशांत सिंह कई साल से नशा करता था तो एंकर ब्रेक पर चला गया।
सरकारी उत्पीड़न में सही गलत कुछ नहीं होता। गलत को सही और सही को गलत बनाना बहुत आसान है। अगर मेरी याद्दाश्त सही है तो नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आने से पहले पुराने कानून खत्म करने का वादा किया था और कोई 1200 कानून रद्द भी किए हैं पर ऐसे कानून हैं और कानून का दुरुपयोग भी अपनी जगह है ही। इसमें कोई दो राय नहीं है कि सरकार आपको परेशान करना चाहे तो कर ही देगी और आपके पास बचने का कोई तरीका नहीं है। ताली – थाली बजाने पर तो बिल्कुल नहीं। अमूमन लोग समझते हैं कि पैसा हो, अच्छे वकील हों तो कोई परेशानी नहीं होगी। पर पी चिदंबरम का उदाहरण सामने है।
वे खुद अच्छे वकील हैं पैसे की कोई कमी नहीं है पर उन्हें फंसाया गया एक शिकायत पर। और सरकारी एजेंसियों ने जांच करने, सबूत जुटाने के नाम पर उन्हें जेल में रखा और लक्ष्य पूरा होने के बाद सब शांति है। जो सरकार प्रदर्शनकारियों से जुर्माना वसूलती है वही लोगों को बिला वजह जेल में रखती है। अपराधियों को कम लिखने-पढ़ने वालों को ज्यादा। लोकतंत्र जिन्दाबाद।