आर्थिक

संकट की पहली मार प्रोविडेंट और पेंशन फंड्स के हजारों करोड़ रुपयों डूबने वाले है, जानिए क्यों?

Special Coverage News
18 Jan 2019 11:13 AM IST
संकट की पहली मार प्रोविडेंट और पेंशन फंड्स के हजारों करोड़ रुपयों डूबने वाले है, जानिए क्यों?
x
विशेषज्ञ बता रहे है कि इस संकट की पहली मार प्रोविडेंट और पेंशन फंड्स के हजारों करोड़ रुपयों पर पड़ने वाली है क्योकि आपके पीएफ और पेंशन फंड खाते का ज्यादातर पैसा कर्ज के बोझ तले इंक्रा कंपनी आईएलएंडएफएस में निवेश किया गया है.

गिरीश मालवीय

पानी अब नाक तक पुहंच चुका है आईएलऐंडएफएस (IL&FS) संकट भारत का लीमैन ब्रदर्स साबित होने जा रहा है इस सबकुछ होम कर देने वाले हवन की पहली आहुति भारत के लाखों मध्य वर्गीय वेतनभोगी देने वाले है और दूसरी आहुति अपनी बचत को एलआईसी में डाल कर भूल जाने वाले साधारण लोग देने वाले हैं.

विशेषज्ञ बता रहे है कि इस संकट की पहली मार प्रोविडेंट और पेंशन फंड्स के हजारों करोड़ रुपयों पर पड़ने वाली है क्योकि आपके पीएफ और पेंशन फंड खाते का ज्यादातर पैसा कर्ज के बोझ तले इंक्रा कंपनी आईएलएंडएफएस में निवेश किया गया है. जिसके वापस आने की कोई गारंटी नही है क्योंकि इस समूह का कर्ज 91,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है. एलआईसी के पास इस कम्पनी की हिस्सेदारी 26.01 प्रतिशत है यह सबसे बड़ा हिस्सा है. कम्पनी दीवालिया होगी तो एलआईसी को ही सबसे बड़ा नुकसान झेलना होगा.

आप कहेंगे कि इसका दोषी कौन है? तो वही मशहूर शीर्षक सुनने में आएगा कि 'नो वन किल्ड जेसिका' सब अपनी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट चुके है. पिछले दिनों इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंट्स ऑफ इंडिया और सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस की रिपोर्ट्स के आधार पर सरकार ने यह आरोप भी लगाया था कि ऑडिटरों ने IL&FS ग्रुप और उसकी सब्सिडियरीज के फर्जी एकाउंट्स तैयार किए थे.

लेकिन ऑडिटर इस आरोप से साफ नकर गए उन्होंने कहा कि ऑडिटरों ने बही-खाते तैयार नहीं किए, यह काम मैनेजमेंट ने किया था। उन्होंने कहा कि यह कहना तथ्यात्मक रूप से गलत है कि ऑडिटरों ने एकाउंट्स तैयार किए थे। मंत्रालय के अधिकारियों ने माना कि ऐसा कहना तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है कि ऑडिटरों ने बही-खाते तैयार किए.

यह मामला जब एनसीएलटी के पास गया तो एनसीएलटी ने कहा कि ऑडिटरों के खिलाफ टिप्पणियां तभी की जा सकती हैं, जब यह पाया जाए कि एकाउंट्स में फर्जीवाड़ा किया गया था, उन्होंने यह रूलिंग भी दी कि IL&FS और उसकी सब्सिडियरीज के बही-खाते दोबारा तैयार किए जाने चाहिए.

यह तो हालत है देश की अदालतों की, अब दोबारा बही खाते तैयार होंगे तब मालूम पड़ेगा कि बदमाशी किसने की थी. इसमे सालो का वक्त लगेगा तब तक आम आदमी की जेब का पैसा इन कम्पनियों को बचाने के नाम पर भेंट चढ़ जाएगा.

लेखक आर्थिक मामलों के जानकार है

Next Story