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11 साल के निचले स्तर पर देश की GDP, इकोनॉमी में 2009 की मंदी जैसा माहौल
साल 2009 की बात है, कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार दोबारा सत्ता में आई थी. इसी साल वित्त वर्ष 2008-09 के जीडीपी आंकड़े जारी किए गए. इन आंकड़ों से पता चला कि वित्त वर्ष 2008-09 (अप्रैल से मार्च ) में देश की जीडीपी यानी विकास दर 3.09 फीसदी रही. जीडीपी के इन आंकड़ों पर वैश्विक मंदी का साया था.
दरअसल, साल 2008 में दुनियाभर में मंदी छाई हुई थी. इस मंदी ने भारतीय इकोनॉमी को भी प्रभावित किया. इसका असर जीडीपी आंकड़ों पर देखने को मिला.आज करीब 11 साल बाद देश की जीडीपी एक बार फिर उसी स्तर के करीब जा पहुंची है.
दरअसल, वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की ग्रोथ 4.2 फीसदी पर रही. यह करीब 11 साल का निचला स्तर है. इससे पहले 2008- 09 में जीडीपी ग्रोथ इस स्तर तक पहुंची थी.
इन 11 साल में जीडीपी के चाल की बात करें तो ग्रोथ का सबसे उच्चतम स्तर वित्त वर्ष 2016-17 में रहा. इस वित्त वर्ष में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 8.25 फीसदी पर रही. हालांकि, इसके बाद के 3 वित्त वर्ष में लगातार गिरावट का दौर देखने को मिल रहा है.
वित्त वर्ष 2019-20 के चारों तिमाही का हाल
वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच जीडीपी ग्रोथ रेट 3.1 फीसदी पर रही. इसी तरह, दिसंबर तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 4.7 फीसदी पर आ गई थी. इसके अलावा 2019-20 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट को संशोधित कर 5.6 फीसदी और दूसरी तिमाही के लिए 5.1 फीसदी कर दिया गया था.
ये साल और बुरा...
कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 का साल और बुरा होने की आशंका है. बीते दिनों भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने तो यहां तक कह दिया कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश के जीडीपी में ग्रोथ निगेटिव रहेगी यानी इसमें गिरावट आएगी.
राहत पैकेज का फायदा नहीं
बीते दिनों कोरोना संकट को देखते हुए मोदी सरकार ने करीब 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था. देश के सामने इस पैकेज का ब्यौरा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रख चुकी हैं. लेकिन तमाम रेटिंग एजेंसियों को अनुमान है कि इस राहत पैकेज से जीडीपी को कोई फायदा नहीं होगा. इस पैकेज का अधिकतर हिस्सा क्रेडिट स्कीम की तरह है. ऐसे में इससे इकोनॉमी में कोई उत्साह नहीं आएगा.