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जलवायु परिवर्तन के चलते भारतीय कंपनियों को लग सकता है US$100 बिलियन का फटका
जलवायु परिवर्तन के वित्तीय प्रभावों का सामना इंडिया इंक भी कर रहा है। इसका असर कुछ ऐसे पड़ेगा कि महत्वाकांक्षी विकास योजनाएं भी सीमित की जा सकती हैं। इस बात की और इशारा किया है सीडीपी नाम की संस्था ने जो कि एक वैश्विक गैर-लाभकारी कंपनी है, जो कि दुनिया भर की कंपनियों और नगरीय इकाइयों के लिए एक पर्यावरणीय प्रकटीकरण प्रणाली चलाती है।
सीडीपी को पहले कार्बन डिस्क्लोज़र प्रोजेक्ट नाम से जाना जाता था। इस संस्था की प्रणाली प्रयोग कर निवेशकों को अपनी पर्यावरणीय प्राथमिकताओं के बारे में बताते हुए 42 कम्पनियों ने बताया है कि जलवायु परिवर्तन के चलते लगभग 71,4000 करोड़ रूपये, या लगभग 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर, ख़तरे में हैं।
व्यावसायिक खुलासे की आवश्यकताएं भारतीय व्यवसायों की बढ़ती संख्या को इस बात के लिए प्रेरित पर कर रही हैं कि वो जलवायु परिवर्तन के खतरे के लिए सजग हो जाएँ और तत्काल जलवायु कार्रवाई के लिए कुछ करें। 2020 की तबाही के बावजूद, 220 भारतीय कंपनियों ने निवेशकों के अनुरोधों का जवाब दिया और सीडीपी के माध्यम से अपने जलवायु संबंधी डेटा का खुलासा किया।
निवेशकों द्वारा खुलासा करने के लिए अनुरोध की गई कंपनियों में से, बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) पर लिस्टेड शीर्ष 200 में से 60 ने जवाब दिया (कुल 69 में से)। बाकियों ने भी अपने कॉर्पोरेट ग्राहकों द्वारा सीडीपी की आपूर्ति श्रृंखला कार्यक्रम के माध्यम से खुलासा करने का अनुरोध किया।
इनमें से चार भारतीय कंपनियों ने पहली बार प्रतिष्ठित सीडीपी ए लिस्ट में जगह बनाई है, यह उन 16 में से एक हैं जिन्होंने लीडरशिप बैंड अपनी बोल्ड जलवायु कार्रवाई के चलते हासिल किया।
2020 एसबीटी: शीर्ष 10 देश
1. संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) - 200
2. यूनाइटेड किंगडम (यूके) - 128
3. जापान- 107
4. फ्रांस- 74
5. स्वीडन- 57
6. भारत और जर्मनी- 52
7. स्विट्जरलैंड- 33
8. नीदरलैंड और स्पेन- 29
9. ऑस्ट्रेलिया- 27
10. डेनमार्क- 26
यह सब जानकारियां सीडीपी की वार्षिक भारत रिपोर्ट, "बिल्डिंग बैक ग्रीनर : इंडिया इंक आज जारी की गई। यह रिपोर्ट जलवायु के लचीलेपन की बात करती है। पेरिस समझौते से पांच साल और COP26 से महीनों दूर, इंडिया इंक एक हरित और लचीली अर्थव्यवस्था बनाने में मदद के लिए पर्यावरणीय कार्रवाई के लिए तैयार दिखती है। संकेत इंगित करते हैं कि बाजार के दबाव को बढ़ाने वाले निवेशक कंपनियों को जलवायु संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
सीडीपी इंडिया के निदेशक दमनदीप सिंह कहते हैं, "डेटा से पता चलता है कि भारतीय कंपनियों ने जलवायु कार्रवाई पर अपनी प्राथमिकतायें बनाई हैं। यह भविष्य में भारत की महत्वाकांक्षी विकास योजनाओं को अच्छी तरह से प्रमाणित करता है।"
सीडीपी की रिपोर्ट इस बात को साफ़ करती है कि बड़े व्यापार और संस्थान अपनी व्यावसायिक रणनीति में जलवायु के खतरों को शामिल कर रही हैं और उसी अनुरूप फैसले ले रहे हैं। सीडीपी की हालिया वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला रिपोर्ट कंपनियों के बीच बढ़ती व्यस्तता को उजागर करती है।
आर. मुकुंदन प्रबंध निदेशक और सीईओ टाटा केमिकल्स और सीडीपी इंडिया बोर्ड के सदस्य ने कहा, "चेतना, प्रतिबद्धता और सहयोग भारतीय संदर्भ में जलवायु परिणामों का बेहतर तरीके से दिखाएगा। पहले से ज्यादा भारतीय कंपनियां आगे बढ़ रही हैं सक्रिय कार्रवाई में आगे जिसमें समुदाय, आपूर्ति श्रृंखला, ग्राहकों सहित हितधारक शामिल हैं।"
भारतीय कंपनियां कीमती जल संसाधनों की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाने लगी हैं। 2020 में, CDP के माध्यम से निवेशकों को जवाब देने वाली 28 कंपनियों में से 25 प्रश्नावली में कहा गया है कि वे पानी से संबंधित जोखिम का आकलन करते हैं। उल्लेखनीय रूप से, इन 28 में से 24 कंपनियों ने पानी से संबंधित लक्ष्य भी तय किए हैं। CDP India की वार्षिक रिपोर्ट 2020, "बिल्डिंग बैक ग्रीनर सीडीपी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।