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बड़े संकट की ओर बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था, अन्य देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा मुसीबत में
कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए घोषित लॉकडाउन के बीच देश का सर्विस सेक्टर (Service sector) अप्रैल में ढह गया। इसके चलते सेवा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छंटनी (Lay Off) हुईं। इससे भीषण सुस्ती (Recession) का डर बढ़ गया है। यह जानकारी बुधवार को एक प्राइवेट सर्वे में सामने आई। आईएचएस मार्किट सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स अप्रैल में गिरकर 5.4 पर आ गया, जो मार्च में 49.3 पर था। 14 साल पहले इस सर्वे को शुरू किए जाने के बाद से इस तरह की असाधारण गिरावट पहली बार दिखी है।
इंडेक्स में 40 पॉइंट की गिरावट
आईएचएस मार्किट के इकनॉमिस्ट जो हाएज ने कहा, 'इंडिया की सर्विसेज इकनॉमी ने अप्रैल में माह दर माह आधार पर सबसे खराब प्रदर्शन किया है। इंडेक्स में 40 प्वाइंट्स से ज्यादा की गिरावट आई। इससे पता चलता है कि लॉकडाउन के कड़े नियमों के बीच यह सेक्टर बिल्कुल ही थम गया।'
इकॉनमी पर गहरा असर
कोविड 19 महामारी से हो सकने वाले आर्थिक नुकसान के बारे में हाएज ने कहा कि भारत में इसका अब तक 'बहुत गहरा' असर पड़ा है। उन्होंने कहा, 'जीडीपी डेटा के साथ तुलना से पता चलता है कि अप्रैल में इंडिया की इकॉनमी 15 प्रतिशत की सालाना दर से सुस्ती की शिकार हुई है।' पिछले महीने के आंकड़े 7 से 28 अप्रैल के बीच के थे। देश में 21 दिनों का लॉकडाउन 25 मार्च को लगाया गया था। इसे पहले 3 मई तक और फिर 17 मई तक बढ़ाया गया है।
इकरा की प्रिंसिपल इकनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा, 'हमें लग रहा है कि शौकिया खर्च से जुड़ा सर्विसेज सेक्टर का हिस्सा उसी तरह की गिरावट का शिकार हुआ है, जैसा अप्रैल के लिए पीएमआई सर्विसेज ने संकेत दिया है।' हालांकि नायर ने कहा कि बैंक, फाइनैंशल इंटरमीडियरीज और सरकारी सेवाओं जैसे सेवा क्षेत्र के दूसरे हिस्सों की गतिविधि में इस तरह की भीषण गिरावट नहीं आई होगी।
भारत में ज्यादा गिरावट
आने-जाने पर लगे प्रतिबंधों और कंपनियों के बंद होने के कारण डिमांड में आई कमी को सर्विसेज एक्टिविटी में गिरावट का बड़ा कारण बताते हुए बार्कलेज के चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट राहुल बाजोरिया ने कहा कि दूसरे एशियाई देशों के मुकाबले भारत में सर्विसेज पीएमआई में कहीं ज्यादा कमी आई है। चीन में सर्विसेज सेक्टर की एक्टिविटी अप्रैल में कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ी, वहीं जापान में इसमें डबल डिजिट ग्रोथ रही।
छंटनी ने बनाया रेकॉर्ड
अप्रैल में सेवा क्षेत्र में छंटनी ने इस सर्वे के इतिहास का रेकॉर्ड बना दिया। हालांकि, सर्वे में शामिल 90 प्रतिशत इकाइयों ने कहा कि उन्होंने वर्कफोर्स की संख्या नहीं घटाई। भविष्य में आउटपुट के बारे में उम्मीद लगातार दूसरे महीने गिरी और दिसंबर 2015 के बाद के निचले स्तर पर आ गई। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया कि सेवाओं के लिए विदेशी मांग का पता देने वाला इंडेक्स जीरो पर आ गया, वहीं ओवरऑल डिमांड इंडेक्स रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहा।
मैन्युफैक्चरिंग में सबसे बड़ी गिरावट
सोमवार को जारी इससे जुड़े एक अन्य सर्वे में बताया गय था कि मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी ने अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की है। दोनों को मिलाकर देखें तो कंपोजिट पीएमआई मार्च के 50.6 से गिरकर अप्रैल में 7.2 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया।