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जेट एयरवेज की उड़ान थमी : 22,000 कर्मचारियों के भविष्य का क्या होगा?
नई दिल्ली : नकदी संकट से जूझ रही पूर्णकालिक विमान सेवायें देने वाली निजी क्षेत्र की एयरलाइन जेट एयरवेज ने आखिरकार बुधवार को अपने विमान सेवा परिचालन को अस्थाई तौर पर रोकने की घोषणा कर दी। बैंकों के समूह द्वारा 400 करोड़ रुपये की त्वरित ऋण सहायता उपलब्ध कराने से इनकार कर दिये जाने के बाद एयरलाइन ने यह घोषणा की है।
26 साल से अपनी सेवाएं दे रही जेट एयरवेज ने आखिरकार अपनी उड़ाने रोक दी हैं। गौर करने वाली बात है कि जेट ने एक दिन में 650 फ्लाइट्स तक का परिचालन किया है। जेट की उड़ानें रुक जाने के बाद अब कंपनी के 16,000 स्थाई और 6,000 कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारियों के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले एक दशक में किंगफिशर के बाद कामकाज बंद करने वाली जेट दूसरी कंपनी बन गई है। विजय माल्या की किंगफिशर ने साल 2012 में कामकाज बंद किया था।
जेट एयरवेज के परिचालन बंद करने के फैसले से जहां यात्रियों, एयरलाइन के आपूर्तिकर्ताओं का करोड़ों रुपया फंस गया है वहीं उसके 20 हजार से अधिक कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है। एयरलाइन पर बैंकों का 8,500 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है जिसके चलते वह कर्ज संकट में फंसती चली गई।
करीब ढाई दशक तक लोगों को विमान सेवायें देने वाली एयरलाइन ने कहा कि बुधवार मध्यरात्रि को अमृतसर से नयी दिल्ली के लिये उसकी आखिरी उड़ान थी। इसके बाद उसकी विमान सेवायें अस्थाई तौर पर बंद रहेंगी।
अब जेट की फ्लाइट्स दोबारा तभी उड़ान भर पाएंगी जबकि कंपनी को एक नया खरीददार मिले जो इसे नए सिरे से शुरू कर सके। जेट ने बुधवार रात अस्थाई तौर पर अपनी सेवाएं बंद करने का ऐलान करते हुए बीएसई की फाइलिंग में लिखा, 'बैंकों या किसी अन्य जरिये से कोई इमरजेंसी फंडिंग नहीं आ रही है। हमारे पास कामकाज जारी रखने के लिए तेल खरीदने या किसी अन्य सेवा के लिए भुगतान करने लायक पैसा भी नहीं है। इसलिए जेट तुरंत अपनी सारी इंटरनेशनल और डोमेस्टिक फ्लाइट्स बंद करने पर मजबूर हो गई है। आखिरी फ्लाइट बुधवार को उड़ान भरेगी।'
जेट ने मंगलवार के अपनी उड़ानों का परिचालन जारी रखने के लिए एसबीआई की अगुआई वाले कर्जदाताओं से 983 करोड़ रुपये के इमरजेंसी फंड की मांग की थी।
जेट की आखिरी फ्लाइट अमृतसर-मुंबई कई तरह से प्रतीकात्मक रही। यह उड़ान उसी मुंबई में खत्म हुई, जहां 5 मई, 1993 को जेट ने अपनी शुरुआत की थी। 5 मई, 1993 को ही मुंबई-अहमदाबाद के लिए जेट की पहली फ्लाइट ने उड़ान भरी थी। इस प्लेन का नाम बोइंग 737 था। 2007 में 1,450 करोड़ रुपये की महंगी डील के साथ एयर सहारा खरीदने वाले नरेश गोयल ने कंपनी को जेटलाइट नाम दिया था। यही वह बेहद कीमती डील थी जिससे जेट कभी उबर नहीं पाई। आखिरकार कंपनी 20,000 करोड़ रुपये के कर्ज में डूब गई।
लेकिन अभी भी जेट के दोबारा उड़ान भरने की उम्मीद है। जेट की इमर्जेंसी फंडिंग की अपील को कर्जदाताओं ने खारिज कर दिया लेकिन उन्होंने एयरलाइन से मंगलवार रात कहा, 'ऐक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट हमें मिल चुका है और बोली के दस्तावेज योग्य प्राप्तकर्ताओं को जारी कर दिए गए हैं। बोली के दस्तावेज में कंपनी के जल्द इस संकट से उबरने का मजबूत प्लान बताया गया है। बोली की यह प्रक्रिया 10 मई, 2019 तक चलेगी। हम भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि बोली की प्रक्रिया के जरिए कंपनी की मुश्किल का कोई स्थाई हल ढूंढा जा सके।'
पिछले नवंबर तक जेट के पास बोइंग 777 और एयरबस ए330, सिंगल बी737 और टर्बोप्रॉप एटीआर के साथ कुल 124 एयरक्राफ्ट थे। कंपनी हर दिन करीब 600 फ्लाइट्स ऑपरेट कर रही थी। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों के मामले में जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस में से एक थी।
कर्मचारियों को भेजा मेल
मंगलवार को एयरलाइन के बोर्ड ने कर्जदाताओं से इमर्जेंसी फंड पाने की अंतिम कोशिश के बाद, सीईओ विनय दुबे को कंपनी की उड़ानों का परिचालन बंद करने का फैसला करने की अनुमति दे दी। बुधवार शाम कर्मचारियों को लिखे एक मेल में दुबे ने कहा, 'कर्जदाताओं से इमर्जेंसी फंडिंग और किसी दूसरे सोर्स से कोई भी फंडिंग न मिलने के चलते कंपनी के लिए अब उड़ानें जारी रखने के लिए ईंधन और दूसरी सेवाओं का भुगतान करना मुश्किल संभव नहीं होगा। परिणामस्वरूप, हम सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को तत्काल प्रभाव से बंद करने पर मजबूर हैं।
दुबे ने अपने कर्मचारियों को सांत्वना दी और बताया, 'बिक्री की प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा और आने वाले समय में हमें कई और चुनौतियों का सामना करना होगा, जिनमें से कई का जवाब हमारे पास आज नहीं है। उदाहरण के लिए, हम अभी इस महत्वपूर्ण सवाल का जवाब नहीं जानते कि 'बिक्री की प्रक्रिया के दौरान, हम कर्मचारियों का क्या होगा।'