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लो जी देश की अर्थव्यवस्था को लेकर आ गई एक और बुरी खबर!
गिरीश मालवीय
देश की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर में पुहंच गयी है कल एक बड़ी खबर आयी . देश में बैंक क्रेडिट ग्रोथ अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। अप्रैल 2020 में बैंक क्रेडिट ग्रोथ 5.26 फीसदी पर आ गई है। इससे पहले 1994 में भी बैंक क्रेडिट ग्रोथ 6 फीसदी के करीब आई थी। यानी यह सबसे वर्स्ट स्थिति है.
आपको यह समझना होगा कि बैंक क्रेडिट ग्रोथ ही वह ईंधन है जो अर्थव्यवस्था के इंजन को गतिमान रखता है बैंक क्रेडिट ग्रोथ का मतलब बैंकों द्वारा कंपनियों, बिजनेसमैनों या लोगों को दिए जाने वाले उधार से है। लोग बैंक से जितना कर्ज लेते हैं बैंक क्रेडिट ग्रोथ उतनी ही ज्यादा बढ़ती है।
दरअसल अर्थव्यवस्था हमेशा पैसों के रोटेशन पर निर्भर करती हैं। पैसों का रोटेशन जितना ज्यादा होगा देश की अर्थव्यवस्था उतनी अच्छी रहेगी। क्रेडिट ग्रोथ के निम्नतम स्तर पर होने का मतलब यह है कि लोग पैसा ही नही उठा रहे हैं, जब हम मार्केट में पैसा ही नही डाल पा रहे हैं तो रोटेशन का पहिया कहा से घूमेगा ? लोग न तो नए व्यवसाय शुरू कर रहे हैं हैं न लोग घर, गाड़ी या अन्य कोई बड़ा सामान खरीद रहे है इस कारण मार्किट में पैसे का फ्लो खत्म हो रहा है,
आज हालत यह है होम लोन अब तक के सबसे कम ब्याज पर दिया जा रहा है तो भी कोई लेने को तैयार नही है.
बैंक पहले से ही NPA के बोझ से दबे हुए हैं अब कोई लोन भी नही ले रहा ?.....बैंकों की आय का मुख्य साधन लोन ही होता है, और ऐसे में अगर लोग लोन नहीं लेंगे तो बैंक की आय कम हो जाएगी। बैंक को जमा पर ब्याज भी देना होता है जो लोन के ब्याज से ही आता है, ऐसे में जब बैंक का रोटेशन कम होगा तो तो वो सेविंग स्कीम्स का ब्याज जमाकर्ताओं को कैसे दे पाएंगे?
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने भी कल कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इस बात के निहितार्थ हमे समझने होंगे, यह सिर्फ कोरोना काल की बात नही है यह प्रक्रिया बहुत पहले से शुरु हो गई थी , अप्रैल 2020 में बैंक क्रेडिट ग्रोथ 5.26 फीसदी पर आ गई वही जनवरी 2020 में सर्विस सेक्टर के लोन की ग्रोथ रेट 8.9 फीसदी रही, जो जनवरी 2019 में 13.5 फीसदी थी.....जनवरी 2020 में सर्विस सेक्टर के लोन की ग्रोथ रेट 8.9 फीसदी रही, जो जनवरी 2019 में 23.9 फीसदी थी। यानी नोटबन्दी ओर जीएसटी जैसी नीतियो के दुष्प्रभाव मार्केट पर अब दिखना शुरू हुए हैं
सर्विस सेक्टर आज सबसे बुरी तरह से पिटा रहा है
आरबीआई ने रेपो रेट दो दशक में सबसे कम कर दिया, ताकि लोगों को सस्ता कर्ज मिल सके लेकिन उसके बावजूद न लोग लोन ले रहे हैं न बैंक उन्हें लोन देने में इंट्रेस्टेड है इसका कारण है वर्तमान वित्तीय अनिश्चितता, जहां कर्ज बांटना पहले की तरह आसान नहीं रहा है। बैंक भी उन्हीं ग्राहकों को कर्ज दे रहे हैं, जिनका डाटा उपलब्ध है नया लोन पास करने से पहले बैंक यह भी देख रहे हैं कि जिस कंपनी में ग्राहक काम करता है, उसकी वित्तीय स्थिति कैसी है। साफ है कि इससे हालात सुधरने के बजाए बिगड़ते जा रहे है......
साफ दिख रहे है कि भावनात्मक मुद्दों की खींचतान में हमे उलझाया जा रहा है जबकि हमारी रोजीरोटी पर इस सरकार की नीतियों ने बेहद प्रतिकूल प्रभाव डाला है .