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RBI के नए गवर्नर ने दी ब्याज पर बड़ी खुशखबरी, अब कम होगी आपकी EMI
दरअसल, रीपो रेट ब्याज की वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक बैकों को फंड मुहैया कराता है। चूंकि रीपो रेट घटने से बैंकों को आरबीआई से सस्ती फंडिंग प्राप्त हो सकेगी, इसलिए बैंक भी अब कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है।
बहरहाल, एमपीसी ने उम्मीद के मुताबिक नीतिगत रुख को 'नपी-तुली कठोरता' बरतने को बदल कर 'तटस्थ' कर दिया। इस बार विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई थी कि एमपीसी मौद्रिक स्थिति के संबंध में अपने मौजूदा 'सोच-विचार' वाले रुख को 'तटस्थ' कर सकती है क्योंकि मुद्रास्फीति दर नीचे बनी हुई है।
5, 6 और 7 फरवरी को चली छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की। आरबीआई गवर्नर बनने के बाद यह उनका पहली एमपीसी बैठक थी। समिति ने कहा है कि ये फैसेल मीडियम टर्म में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई दर को 4 प्रतिशत (2 प्रतिशत कम-ज्यादा) तक रखने के लक्ष्य के मद्देनजर लिए गए हैं। खाद्य कीमतों में लगातार गिरावट के चलते खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2018 में 2.19 प्रतिशत रही जो 18 माह का निचला स्तर है।
बता दें कि यह चालू वित्त वर्ष की छठी और आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा है। आरबीआई ने पिछले तीन बार से अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रीपो रेट को लेकर स्थिति पहले जैसी बरकरार रखी थी। उससे पहले चालू वित्त वर्ष की अन्य दो समीक्षाओं में प्रत्येक बार उसने दरों में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की थी। दिसंबर 2018 में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में परिवर्तन नहीं किया था, लेकिन वादा किया था कि अगर मुद्रास्फीति का जोखिम नहीं हुआ तो वह दरों में कटौती करेगा।