आर्थिक

नसीब बाले नसीब फेल, महंगा डॉलर महंगा तेल, मोदी जी अब तो खुल गई सारे झूंठ की पोल!

Special Coverage News
4 Oct 2018 4:45 AM GMT
नसीब बाले नसीब फेल, महंगा डॉलर महंगा तेल, मोदी जी अब तो खुल गई सारे झूंठ की पोल!
x

गिरीश मालवीय

नसीब वाले का नसीब अब काम नही कर रहा क्रूड महँगा हो रहा .है पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. लोगो कह रहे हैं कि बढ़ते दामो से जनता में कोई आक्रोश देखने को नही मिल रहा है पर जैसे ऊपर वाले की लाठी बेआवाज़ होती है ऐसे ही जिस दिन जनता वोट देने निकलती है वह पांच सालों का हिसाब एक झटके में निबटा देती है, रुपये के दाम लगातार नीचे आ रहे हैं सिर्फ कल ही कल में सेंसेक्स 550.51 अंक लुढ़क गया और निवेशकों को 1.72 लाख करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है.


सरकारी आर्थिक विश्लेषक रुपये के 72 के आंकड़े पर आश्वस्त थे कि अब इससे नीचे नही जाएगा ओर कुछ दिनों पहले तक इसे रुपये की सही कीमत बता रहे थे. उनका मानना था कि इससे निर्यात में बहुत फायदा होगा और निर्यात बढ़ेगा पर जैसे शेखचिल्ली के सारे अंडे फुट जाते है ऐसे ही उनके अनुमान अब ध्वस्त होने लगे हैं.

मोदी सरकार के चाटुकार विश्लेषकों ने यह माहौल बनाने की पूरी कोशिश की कि रुपये में गिरावट से निर्यात बढ़ जाएगा पर इसका उल्टा असर देखने मे आया है.

विदेशी खरीदार भारतीय निर्यातकों को चेतावनी दे रहे हैं कि उन्हें घरेलू बाजार में डॉलर के ज्यादा रुपये मिलेंगे, ऐसे में वे अपने मार्जिन को कम करें नहीं तो ऑर्डर रद्द कर दिया जाएगा., एफआईआईओ के महानिदेशक अजय सहाय बता रहे है कि बासमती चावल, फल-सब्जियां और मार्बल के कई ऑर्डर इस प्रक्रिया में रद्द हो रहे हैं.

डॉलर के मुकाबले चीन भी अपनी करेंसी युआन का अवमूल्यन कर भारतीय निर्यातकों को तगड़ा झटका दिया है.

चमड़ा, कपड़ा और कृषि उत्पादों के निर्यात में भारत को मोलभाव का सामना करना पड़ रहा है। जबकि अन्य देश सस्ती दरों पर चीजें बेच रहे हैं तैयार कपड़ों का निर्यात अप्रैल-अगस्त तक 12.12% घट गया है गारमेंट एक्सपोर्ट में 25 फीसदी तक की कमी आ सकती है.

मार्बल, ज्वैलरी, हैंडीक्राफ्ट और कपड़ा आदि निर्यात को भारी नुकसान हुआ हैं रुपए की मंदी से इस वित्त वर्ष में सिर्फ राजस्थान जैसे राज्य के उद्योगों को 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान पहुंचने की संभावना बताई जा रही है.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन का कहना है कि निर्यातकों को करेंसी में गिरावट का फायदा कम नुकसान अधिक हो रहा है. कुल मिलाकर रूपये के गिरने से निर्यात में फायदा जैसी कोई चीज वास्तविकता में नही है और सच तो यह है कि यह सरकार सिर्फ मिथ्या प्रचार करके ही सत्ता में बने रहना चाहती है.

लेखक आर्थिक मामलों के जानकार है

Next Story