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RBI ने Mobikwik और Spice Money पर लगाया जुर्माना, नियम तोड़ने पर हुई कार्रवाई
रिजर्व बैंक ने आज दो पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर पर जुर्माना लगाया है. रिजर्व बैंक ने आज इसकी जानकारी देते हुए कहा कि पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर One Mobikwik systems और Spice money limited दोनों पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. रिजर्व बैंक के मुताबिक ये कार्रवाई दोनो पेमेंट ऑपरेटर्स के द्वारा नियामकीय अनुपालन पूरा न करने की वजह से की गयी है.
क्यों लगा पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर पर जुर्माना
एक बयान में रिजर्व बैंक ने कहा है कि One Mobikwik और Spice money पर जु्र्माना इसलिये लगाया गया है क्योंकि दोनो पेमेंट ऑपरेटर ने भारत बिल पेमेंट ऑपरेटिंग यूनिट के लिये नेट वर्थ से जुड़ी आवश्यकताओं को लेकर रिजर्व बैंक के द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों को पूरा नहीं किया. रिजर्व बैंक ने कहा कि दोनों ऑपरेटर को इसके लिये नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद दोनों ने अपना जवाब भी दाखिल किया.हालांकि उनके जवाबों के बाद रिजर्व बैंक के नियम न पालन करने के आरोप की पुष्टि हुई और इसी आधार पर दोनो ऑपरेटर पर जुर्माना लगाया गया है. रिजर्व बैंक ने साफ किया कि ये कार्रवाई पूरी तरह से नियामकीय अनुपालन में कमी को लेकर है.और इसका दोनों के द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किये गये किसी भी लेनदेन या समझौते पर असर नहीं पड़ेगा. दोनो पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स पर ये जुर्माना पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम एक्ट 2007 के सेक्शन 26 (6) के आधार पर नियमों को पूरा न करने की वजह से लगा है. रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने पीएसएस एक्ट के सेक्शन 30 के तहत प्रावधानों से मिली शक्ति का इस्तेमाल करते हुए ये जुर्माना लगाया है.
नियमों के उल्लंघन पर RBI सख्त
पिछले हफ्ते ही भारतीय रिजर्व बैंक ने नियामकीय अनुपालन में कमी को लेकर पंजाब नेशनल बैंक पर 1.8 करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई बैंक पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. वहीं पिछले महीने ही रिजर्व बैंक ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर नियामकीय अनुपालन में कमी को लेकर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. उस वक्त के अपने आदेश में आरबीआई ने कहा था कि वित्तीय स्थिति के संदर्भ में 31 मार्च 2018 और 31 मार्च 2019 के बीच एसबीआई के निगरानी संबंधी मूल्यांकन को लेकर वैधानिक निरीक्षण किया गया था. आदेश के अनुसार जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट की जांच, निरीक्षण रिपोर्ट में बैंकिंग विनियमन अधिनियम के एक प्रावधान का उल्लंघन पाया गया। एसबीआई ने उधारकर्ता कंपनियों के मामले में कंपनियों की चुकता शेयर पूंजी के तीस प्रतिशत से अधिक की राशि शेयर गिरवी के रूप में रखा था