
RBI : रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, बैंक रेट 6.75% तय, EMI पर नहीं पड़ेगा असर

मुंबई : आरबीआई ने मौद्रिक नीति की मीक्षा के बाद रेपे और रिवर्स रेपो दरों के साथ सभी महत्वपूर्ण दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है. आरबीआई की मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए बैठक 3 दिसंबर को शुरू हुई थी. इस समय रेपो रेट की दरें 6.5 फीसदी हैं। आरबीआई ने मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के पहले ही बाजार के जानकारों ने प्रमुख दरों में फेरबदल न होने का अनुमान जताया था।
इससे पहले आरबीआई ने बीते मंगलवार को ओपेन मार्केट्स के जरिए सरकारी सिक्योरिटीज की खरीद के जरिए सिस्टम में 10,000 करोड़ रुपये डालने की घोषणा की है. इससे बाजार में लिक्विडिटी बढ़ेगी, जिसकी काफी कमी महसूस की जा रही है.
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं. रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे. जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह.
जैसा इसके नाम से ही साफ है, यह रेपो रेट से उलट होता है. यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है. बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दे.
देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत हरेक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होता है. इसे ही कैश रिजर्व रेश्यो या नकद आरक्षित अनुपात कहते