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रियल एस्टेट मार्केट हुआ कोरोना का शिकार

रियल एस्टेट मार्केट हुआ कोरोना का शिकार
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लिहाजा इन दो प्रमुख वजहों से लोग अपनी जमा- पूंजी को कहीं निवेश करके फंसाने से बच रहे हैं.

कोरोना के कहर से लखनऊ का रियल एस्टेट मार्केट मार्च से ही अपनी रफ्तार खो देने के बाद अब पूरी तरह से बैठ चुका है. इसके इस तरह ठप हो जाने की दो- तीन प्रमुख वजहें हैं. एक तो यह कि देश के ज्यादातर लोगों के नौकरी- व्यापार या उनके काम- धंधों पर अस्तित्व का संकट है. दूसरा यह कि लोग अभी इस ऊहापोह में फंसे हैं कि कोरोना संकट आखिर चलेगा कब तक? इसके कारण कौन किस गहरी मुश्किल में कब फंस जाएगा, यह डर भी लोगों के मन में गहरे बैठ चुका है. लिहाजा इन दो प्रमुख वजहों से लोग अपनी जमा- पूंजी को कहीं निवेश करके फंसाने से बच रहे हैं.

इनके अलावा, तीसरी वजह यह भी है कि दिल्ली- मुंबई जैसे दूरदराज के बड़े शहरों में बसे लोग लखनऊ आकर साइट विजिट करने से परहेज़ कर रहे हैं और जो आ भी जा रहे हैं, उन्हें 14 दिनों तक क्वारांटीन होने का प्रावधान या यहां फैले कोरोना की चपेट में आ जाने का डर सता रहा है. जाहिर है, बिना साइट या ऑफिस में विजिट करके डिस्कशन किए बिना लोग ऑनलाइन निवेश तो कर नहीं देंगे.

गौरतलब है कि लखनऊ का रियल एस्टेट बिजनेस मूलतः लखनऊ में बाहर से आकर नौकरी या कोई और काम- धंधा कर रहे बाहरी लोगों, लखनऊ के आसपास कुछ सौ किलोमीटर के दायरे में बसे जिलों, पूर्वांचल के साथ- साथ दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में नौकरी कर रहे या विदेश में बसे उत्तर प्रदेश के लोगों से ही चलता है. ये लोग उत्तर प्रदेश के किसी जिले के भी निवासी होंगे तो भी राजधानी में निवेश के लिए या भविष्य में बसने के इरादे से यहां प्रॉपर्टी खरीदते हैं. हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश लखनऊ के रियल एस्टेट मार्केट में नगण्य योगदान ही देता है क्योंकि वहां के लोग यहां लखनऊ में नहीं बसते बल्कि एनसीआर को चुनते हैं. लखनऊ के स्थानीय लोग, जिनके पास रहने के लिए अपनी जगह है , वे भी नए प्रोजेक्ट्स में निवेश करते हैं लेकिन उनकी तादाद बहुत ज्यादा नहीं है.

इन्हीं तीन वजहों से अब रियल एस्टेट मार्केट पर भी टूर- ट्रैवल, होटल इंडस्ट्री, मॉल- मल्टीप्लेक्स आदि की तरह कोरोना ने लगभग ब्रेक ही लगा रखा है. जब तक वैक्सीन नहीं आती, रियल एस्टेट में यहां की ज्यादातर कम्पनियों का कामकाज इसी तरह लगभग ठप ही रहना है. वैक्सीन आने के बाद भी इसे वापस रफ्तार पकड़ने में कम से कम एक साल तो और लग ही जाएगा. यानी 2020 ही नहीं, 2021 भी रियल एस्टेट इंडस्ट्री के लिए कठिनाई से भरा होने की पूरी आशंका है.

अश्वनी कुमार श्रीवास्त�

अश्वनी कुमार श्रीवास्त�

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