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गिरीश मालवीय
सरकार ने इस साल बजट में मनरेगा के लिए 61,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, किंतु लॉक डाउन को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए आवंटन 40,000 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया था यानी टोटल इसमे 101,500 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला लिया गया. लेकिन इनमें करीब 16,000 करोड़ रुपये पिछले वर्ष की बकाया रकम के मद में आवंटित थे यानी कुल मिलाकर इस वर्ष योजना के लिए 86,000 करोड़ रुपये ही शेष बचे.
बजट के शुरुआत में आवंटित रकम करीब 63,176.43 करोड़ रुपये के अलावा इसमे 40 हजार करोड़ का फंड अब तक नही डाला गया है. मनरेगा की वेबसाइट के अनुसार 9 सितंबर तक योजना पर 63,511.95 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं यानी 5 महीने मे है 60 प्रतिशत से अधिक रकम खर्च की जा चुकी है अभी आवंटित रकम और खर्च हुई रकम के बीच 335.52 करोड़ रुपये का अंतर है.
अगर घोषणा के अनुसार 40 हजार करोड़ रुपये तुरंत नही डाले गए तो मनरेगा में काम कर रहे मजदूरों को वेतन देने में देरी होनी शुरू हो जाएगी. अब सरकार के सामने ये समस्या है कि वह यह 40 हजार करोड़ रुपये लाएगी कहा से ? क्योंकि उसके पास तो राज्यों को जीएसटी मुआवजा देने के लिए भी फंड नही है. भारत आर्थिक तबाही के मुहाने पर खड़ा है.