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विजय माल्या ने खुद को भारत प्रत्यर्पित करने के आदेश के खिलाफ लंदन की अदालत में अपील दायर की
नई दिल्ली : भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या ने खुद को भारत प्रत्यर्पण किये जाने के खिलाफ लंदन की अदालत में अपील दायर की. माल्या ने लंदन के सुप्रीम कोर्ट में यह अर्जी दायर की है. बीते 20 अप्रैल को ब्रिटिश हाईकोर्ट ने माल्या की अपील खारिज कर दी थी और उसे 14 दिन के भीतर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करनी थी. विजय माल्या भारत में करीब 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग के मामले में वॉन्टेड है.
ब्रिटेन में अदालती प्रक्रिया में भारत सरकार का पक्ष रही न्यायिक कंपनी यूके क्राउन प्रोसेक्यूशन सर्विस (शाही अभियोजन सेवा) के एक प्रवक्ता ने कहा, 'अपील करने की छूट को लेकर आवेदन दायर किया जा चुका है. हमारे पास उसका जवाब दाखिल करने के लिए 14 मई तक का समय है.' प्रत्यर्पण संबंधी मामलों के विशेषज्ञ तथा गुएर्निका 37 इंटरनेशनल जस्टिस चैंबर्स के सह संस्थापक टॉबी कैडमैन ने कहा, 'उच्च न्यायालय ने प्रभावी रूप से फैसला सुनाया है कि भले ही मुख्य मजिस्ट्रेट का दृष्टिकोण गलत रहा हो, पर उनका निर्णय गलत नहीं था. अत: यह स्पष्ट है कि माल्या के समक्ष अब सर्वोच्च न्यायालय में इसे चुनौती देने की अनुमति मिलने राह में बड़ा रोड़ा है.'
माल्या इसके बाद में अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिये यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में भी इस आधार पर आवेदन कर सकता है कि उसे प्रत्यर्पण के बाद एक निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी और उसे यूरोपियन कंवेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स का उल्लंघन करते हुए हिरासत में लिया जा सकता है. हालांकि इस तरह की अपील की शर्तें भी काफी सख्त हैं और इस बात की काफी कम संभावनाएं हैं कि माल्या की इस बाबत अपील को यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में स्वीकार किया जायेगा.
माल्या को भारत में भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. वह मार्च 2016 से ब्रिटेन में है. उसे ब्रिटेन में स्कॉटलैंड यार्ड ने 18 अप्रैल 2017 को हिरासत में लिया था. वह तब से जमानत पर है. ब्रिटेन के गृह विभाग ने भारतीय जांच एजेंसियों की मांग पर उसके प्रत्यर्पण की मंजूरी दे रखी है. माल्या उसके खिलाफ न्यायिक मंचों में फरियाद लगा रहा है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली है.
भारत और ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि पर 1992 में हस्ताक्षर हुए थे. यह संधि नवंबर 1993 से प्रभाव में है.अब तक केवल एक सफल प्रत्यर्पण ब्रिटेन से भारत हुआ है. समीरभाई बीनुभाई पटेल को 2016 में भारत भेजा गया ताकि वह 2002 में गोधरा हिंसा के बाद दंगे में शमिल होने को लेकर सुनवाई का सामना कर सके.