- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
- Home
- /
- हमसे जुड़ें
- /
- इस योजना में इतना...
इस योजना में इतना भ्रष्टाचार सामने आएगा पिछले सभी घोटालो का रिकॉर्ड टूट जाएँगे!
गिरीश मालवीय
लीजिए मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि माने जाने वाली योजना 'स्वच्छ भारत' की पोल भी अब खुलने लगी है. मंगलवार को कैग ने राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजटीय प्रबंधन कानून 2003 के क्रियान्वयन का ऑडिट किया है जिसमें यह खुलासा हुआ है कि पिछले 5 सालों मे सरकार को 553.22 करोड़ रुपये कमिटमेंट चार्ज के रूप में देने पड़े है. आप पूछेंगे कि यह कमिटमेंट चार्ज क्या होता है? असल में सरकार का कोई विभाग जब विदेश से वित्तीय मदद या उधार लेता और उसे समय पर ड्रॉ नहीं कर पाती तो कमिटमेंट चार्ज देना पड़ता है।
विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कर्ज देते समय यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि वह राशि समय पर खर्च हो और विकास कार्यो को पूरा किया जा सके। इसी इरादे से वे विदेशी लोन में कमिटमेंट चार्ज का प्रावधान रखती हैं ताकि जो संस्थाएं कर्ज मंजूर करवाकर अगर समय पर उसे ड्रॉ नहीं करेंगी तो उन पर यह चार्ज लगाया जा सके.
अब इस कमिटमेंट चार्ज का स्वच्छ भारत योजना से क्या संबंध है यह भी समझिए .......
दरअसल देश के राज्यों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए वर्ल्ड बैंक की ओर कर्ज दिया जाना था, 2015 की शुरुआत में विश्व बैंक ने महत्वकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान के लिए 1.5 अरब डॉलर के कर्ज को मंजूरी दी थी यह कितना बड़ा लोन था इसे इस तथ्य से आंकिए कि 2015 में सैंक्शन किया गया लोन सोशल सेक्टर में वर्ल्ड बैंक की ओर से अभी तक की सबसे बड़ी लेंडिंग था, लेकिन इस लोन के लिए विभिन्न चरणों में वास्तविक परिणामों की स्वतंत्र जांच रिपोर्ट सौंपने की शर्त थी.
वर्ल्ड बैंक ने लोन लेने की शर्तों को स्पष्ट करते हुए स्पष्ट किया था कि जैसे ही उसे इंडिपेंडेंट वेरिफिकेशन एजेंसी से योजना के सही क्रियान्वयन की रिपोर्ट मिलेगी वह इस योजना के लिए तुरंत फंड जारी कर देगा.
इसके तहत 14.7 करोड़ डॉलर की पहली किस्त जुलाई 2016 और 22.9 करोड़ डॉलर की दूसरी किस्त जुलाई 2017 में जारी की जानी थी लेकिन मोदी सरकार द्वारा किसी भी एजेंसी से इस योजना की स्वतंत्र रूप में जांच नही कराई गयी. खुले में शौच को कम करने पर स्वतंत्र जांच सर्वेक्षण न हो पाने के कारण भारत को वर्ल्ड बैंक से कोई फंड नहीं मिला लेकिन चूँकि लोन भारत सरकार ने मंजूर कराया था इसलिए उसे यह कमिटमेंट चार्ज तो चुकाना ही पड़ा
वर्ल्ड बैंक के अधिकारी ने 2017 में ही कह दिया था कि, 'यह चिंता की बात है कि सरकार लोन हासिल किए बिना कमिटमेंट फीस चुका रही है'. लेकिन मन के लड्डू फोड़ते हुए मोदी सरकार ऑफिशियल तौर पे देश के 96 प्रतिशत गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुकी है. लेकिन यदि एक बार किसी अंतराष्ट्रीय एजेंसी से इसकी स्वतंत्र रूप से जाँच कराई जाए तो इस योजना की सारी पोल पट्टी खुल जाएगी और इस योजना में इतना भ्रष्टाचार सामने आएगा पिछले सभी घोटालो का रिकॉर्ड टूट जाएँगे.