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मीडिया की सुर्खियों में आंगनबाड़ी की महिलाओं के प्रदर्शन में चली लाठियों से ज़्यादा मायावती का बयान घूम रहा है तो माज़रा क्या है। मेरे अपने अनुभव में मायावती का हाल ही में आया बयान जो बीजेपी के लिए दिया गया "अगर मुझे ज़्यादा परेशान किया गया तो बौद्ध धर्म अपना लुंगी" मायावती का अबतक का सर्वश्रेष्ठ राजनैतिक बयान है क्योंकि इस बयान में कहे गए "लुंगी" शब्द ने फ़र्ज़ी बहुजन चिंतकों के साथ साथ कई बड़े राजनैतिक दलों को भी लुंगी डांस करा दिया है।
मायावती के बौद्ध धर्म अपना लेने के अचानक आये इस बयान पर खुद मायावती की मंशा क्या थी यह प्रश्नवाचक है लेकिन राजनीतिक नीतियों के लिहाज़ से देखे तो यह बयान राजनेताओं के होश फाख्ता करने वाला जबरदस्त मुक्का था। इन दिनों पूरे देश में हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग ज़ोरो पर है जिसके सपने को साकार करने लिए बीजेपी को मिले बहुमत से खुश हुए या सहारनपुर विवाद पर चुटकी लेने वाले फ़र्ज़ी बहुजन चिंतक या बहुजन सेवी ये कहकर बहुजनों को सिखाने लगे कि हम हिन्दू नहीं बुद्धिस्ट हैं इसलिए आप हिन्दू धर्म जहां सबसे ज़्यादा ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रिय ही सर्वश्रेष्ठ हैं का बहिष्कार करो, फ़र्ज़ी चिंतक ऐसे बहानो से एक अलग समाज खड़ा करने के भरसक प्रयास में थे जिससे हिन्दू धर्म के बहिष्कार पर बीएसपी को हिन्दू विरोधी दल बताकर बीजेपी के प्रति संवेदनाएं जुटा सके, पर मायावती के आकस्मिक आये बयान ने सब पर पानी फेर दिया। मुख्यतः देखा जाए तो भारत मे बुद्धिज़्म की पैरवी करने वाला सबसे बड़ा तबका बहुजन तबका है, लेकिन बहुजनों ने कभी किसी अन्य धर्म का मखौल नहीं बनाया क्योंकि बहुजन समाज की लड़ाई किसी धर्म से नहीं बल्कि सीधे ब्राह्मणवाद और मनुवाद के ख़िलाफ़ रही है।
इसी के चलते मायावती ने सर्व समाज के जनादेश पर 4 बार यूपी मुख्यमंत्री की कुर्सी कब्जाई। ये राजनीति है भाई बाप को बेटा नही सिखा सकता। एक तरफ बहुजनों के बुद्धिस्ट होने का दावा दूसरी तरफ़ हिन्दू राष्ट्र की मांग और दोनों के बीच में पिस रही बहुजन समाज पार्टी फ़ीकी पड़ रही थी जहां मेहनतकश बहुजन मिशनरी मनुवादियों के दलितों पर किये अत्याचार के हवाले दे रहे थे वहीं फ़र्ज़ी चिंतक बीएसपी को सम्पूर्ण हिन्दू विरोधी पार्टी साबित करने में लगे थे जिसके लिए उन्होंने बहुजनों की मनुवादियों के ख़िलाफ़ चल रही लड़ाई को धर्म के ख़िलाफ़ की लड़ाई बनाना शुरू कर दिया, लिहाज़ा मायावती सीधे सीधे उन फ़र्ज़ी बहुजन चिंतकों को खत्म नहीं कर सकती थी जो बुद्धिज़्म के नाम पर बीएसपी के लिए भ्रामक प्रचार कर रहे थे जो कहना चाहते थे कि बीएसपी बुद्धिस्ट पार्टी है जिसमे हिन्दू धर्म का हित सुरक्षित नहीं है ऐसे लोगो को मायावती ने अपने बयान से चेताया है कि वह खुद हिन्दू हैं और तकलीफ के पैदा होने पर वह धर्म परिवर्तन कर लेंगी वहीं मायावती ने अम्बेडकरवादी होने के सबूत देते हुए उन बुद्धिस्टों का भी ख्याल रखा जो लगातार बीएसपी के लिए काम करते हैं।
मायावती ने मंच से ये कहना कि मैं हिन्दू हूं से बेहतर समझा कि वह जताए बौद्ध धर्म अच्छा धर्म है, जिसके लिए बीएसपी सुप्रीमो ने विकल्प के तौर पर सिर्फ बुद्ध धर्म को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए कहा कि वह बुद्ध धर्म अपना लेंगी। इसे कहते हैं एक तीर से दो नहीं तीन निशानें, मायावती ने बीजेपी की हिन्दू वोट छिनने की मंशा को भी धराशाई कर दिया और खुद को हिन्दू भी प्रमाणित कर दिया साथ ही बुद्धिस्टों का भी मान रख लिया बेहतर विकल्प में बौद्ध धर्म का नाम देकर।
दरअसल मायावती के बारे में प्रचलित है कि वह उम्दा दर्ज़े की राजनीतिज्ञ हैं इस कथनी को मायावती ने बदलते दौर की राजनीती में भी करनी में साबित कर दिया है मायावती का यह पहला धार्मिक बयान बीजेपी की रीढ़ तोड़ने वाला है। मायावती ने फिर यह भरोसा कायम कर दिया है कि हिंदुओं का हित बीएसपी में सुरक्षित है और बहुजनों में भीम राव अम्बेडकर से पैदा हुई बुद्धिज़्म की ज्योति कितनी श्रेष्ठ है इसका जवाब था "मैं बौद्ध धर्म अपना लुंगी" अब जितने फ़र्ज़ी बहुजन चिंतक हैं जो तमाम हिन्दू रिवाजों को मानते हुए भी खुद को बौद्धिस्ट कहते थे वह कम से कम इस बयान के बाद तो मायावती से अपनी दूरी बना लेंगे