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- *कर्म किए बिना मिले ना...
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कर्म प्रधान विश्व करि राखा।
जो जस करहिं सो तस फल चाखा।।
गोस्वामी तुलसीदास ने भाखा।
श्रीराम चरित मानस रचना में भाखा।।
कर्म सभी को अपना है करना।
छोटा बड़ा न कोई सब को ही करना।।
जाति वर्ण चाहे कुछ भी होये।
कर्म से उसकी पहचान जगत में होये।।
कर्म देव दानव सब ही हैं करते।
कर्म के कारण ही सुर असुर हैं कहते।।
मनुष्य को ऐसा कर्म है करना।
मोक्ष मिले ये भवसागर पार है करना।।
कर्म किये बिना मिले ना रोटी।
आटा गूँथे बेले सेंके बिन बने न रोटी।।
पक्षी कर्म करें व घोसले बनायें।
अंडे दे के सेवें अपने बच्चे को रखायें।।
किसान कर्म कर अन्न उपजायें।
अन्न फल सब्जी सब तब हम सब पायें।।
कर्म से होते हैं कुछ लोग योगी।
अपने जीवन में कभी बनते नहीं भोगी।।
कर्म से अपने पाप पुण्य हैं होते।
फल पाते तो कुछ सुख भोगें कुछ रोते।।
कर्म न होता कोई छोटा महान।
कर्म से लोग जाने दुनिया सकल जहाँन।।
कर्म है डाकू के आये उसे ज्ञान।
लिखता रामायण है बने बाल्मीक महान।।
कर्म बालि का देखें बुरी नजर।
क्रिश्किन्धा नरेश जो थे हुआ है क्या हश्र।।
कर्म करें धर्म संगत जो ना बुरा।
ईश्वर सब देखता है कभी होगा न तेरा बुरा।।
रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
संपर्क : 9415350596