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वैश्या--...और अचानक से धड़कन नापने वाली मशीन का सम्पर्क टूट जाता है,और राजू धम्म से बेड पर गिरकर मुर्दे की तरह मूर्छित हो जाता है, भाग 7
वैश्या--
...और अचानक से धड़कन नापने वाली मशीन का सम्पर्क टूट जाता है,और राजू धम्म से बेड पर गिरकर मुर्दे की तरह मूर्छित हो जाता है।
डॉक्टर साब...यह कहते हुये मधु दरवाजे की तरफ भागती है।
अभी तक आपने पढ़ा, अब आगे।
भाग 7--
मैंने पहले ही आप लोगों को ताक़ीद की थी। मगर आप लोग मानी ही नहीं,मरीज को ज्यादा नहीं बोलवाना चाहिये था। डॉक्टर ने राजू की नब्ज़ देखते हुए कहा।
इंजेक्शन लगाते हुये चिंता की बात नहीं है। फिलहाल यह दिमाग पर लोड पड़ने से बेहोश हो गये हैं।दिमाग में खून का थक्का जमा है। अब होश में कब आएंगे। यह कुछ कहा नही जा सकता। डॉक्टर ने चिंता जताई।
म..म मगर यह ठीक तो हो जाएंगे न डॉक्टर साहब। मधु रुआँसे स्वर में बोली।
बिल्कुल...हमारा प्रयास भी यही है। मगर प्लीज आप लोग मरीज की कंडीशन समझिए। हम दो दिन बाद ऑपरेशन करेंगे आप लोग काउंटर पर कल तक पैसे जमाकर दीजिये। और हां अब मरीज को अकेला। छोड़िये।
डॉक्टर ने थोड़ी बेरुखी से कहा।
हां-हां अब हम लोग जा रही है...आप हमारे राजू का ध्यान रखना हां। हम कल पैसा जमा कर देगी। दीदी ने डॉक्टर के हां में हां मिलाते हुये कहा।
अब चल माही...राजू वाला झोला उठाकर आ मैं बाहर रिक्शा रोकती है। यह कहकर दीदी अस्पताल के कमरे से बाहर निकल जाती है।
मधु ने एक नजर बेहोश राजू की तरफ देखा और आसमान की तरफ डबडबाई आंखों से देखते हुये। प्रभु भरोसे की लाज रखना कहकर झोला लिया और निकल ली।
माही राजू ने जो कहा है उसपर तू क्या सोचती है। दीदी ने रिक्शे पर गुमसुम उदास बैठी मधु से कहा।
ओय कहाँ खोई है तू...मैं तेरे से ही पूछ रही है...मधु को चुप देखकर कोठा मालकिन ने कहा।
हं हां दीदी जो आप कहें,वैसे भी मैंने अपनी जिंदगी के फैसले उस दिन से लेना छोड़ दिया जब जित्तू के साथ मैंने भागने का फैसला किया था।
अरे तू पीछे काहे को जा रही है।गड़े मुर्दे उखाड़ेगी तो माहौल गन्दा होगा। हम लोगों के धंधे में हम क्यों और कैसे आयें यह भूला दिया जाता है। यहां तक कि साथ सोने वाले मर्दों के चेहरों को भी। और तू पुरानी बात लेकर बैठ गयी। दीदी ने सलाह देते हुये कहा।
तो दीदी मेरा क्या आप जो कहें...क्योंकि आप ही मेरी सब कुछ हो। मधु ने रिक्शे से उतरते हुए कहा।
देख माही मैं सब जानती है। तेरे अंदर राजू के लिये जज्बात हैं जो तू ज़ाहिर नही कर रही है। हम धंधा मर्दों से पैसा को पाने के लिये करते हैं। जिस्म जज्बात जलाने के लिये नहीं । वैसे भी राजू ने इत्ते पैसे दे दियें हैं जित्ते तू अगले पांच साल भी नहीं कमा पाएगी। इसलिए मैंने यह तय किया है तू अबसे धंधा नहीं करेगी। राजू के जज्बात की क़दर है हमें।
मधु दीदी से लिपटकर जार-जार रोने लगी। अरे शांत हो जा... मैं जानती है रे तू भी यही चाहती है। आखिर क्यों कोई औरत उस मर्द से अपना जिस्म नुचवायेगी जिसके अंदर उसके लिये प्यार न हो।
अच्छा तू ऊपर चल मैं रिक्शे का भाड़ा देकर आती है। मेरे को आज तुझसे कई बातें करनी है।
क्रमशः...
विनय मौर्या।
बनारस।